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दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की शिक्षक शिक्षा पर राज्य सरकारों के विचार.विमर्श बैठक में प्रतिभाग करते हुए प्रदेश के शिक्षा मंत्री, मंत्री प्रसाद नैथानी

उत्तराखंड
नई दिल्ली/देहरादून: उत्तराखण्ड के विद्यालयी शिक्षा, प्रौढ शिक्षा, संस्कृति शिक्षा, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री, मंत्री प्रसाद नैथानी ने आज दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के “शिक्षक शिक्षा पर राज्य

सरकारों के विचार-विमर्श विषय पर आयोजित बैठक में भाग लिया। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने की। शिक्षा मंत्री, मंत्री प्रसाद नैथानी ने बैठक में सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान सहित अन्यों मुद्दों पर राज्य सरकार का पक्ष रखा।
श्री नैथानी नेे बताया कि प्राथमिक स्तर पर भाषा, गणित एवं स्वच्छता तथा उच्च प्राथमिक स्तर पर विज्ञान, गणित, तकनीकी शिक्षा तथा स्वच्छता के प्रति बच्चों में रूचि पैदा करने के लिये उत्तराखण्ड सरकार द्वारा अनेकों प्रयास किये जा रहे है। उसके अन्तर्गत बी.आर.सी. एवं सी.आर.सी. स्तरीय सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण हेतु टी.एन.ए. के अनुसार राज्य स्तर पर  एस.सी.ई.आर.टी. के सहयोग से विषय आधारित प्रशिक्षण माॅड्ल्यूल्स का निमार्ण तथा फील्ड प्रशिक्षण के पश्चात् प्रत्येक प्रशिणार्थी को उपलब्ध करवाया जा रहा है। प्रशिक्षण का लाभ बच्चों तक कक्षा कक्ष शिक्षण के रूप में समय से पहुचाने के लिये कुल लक्ष्य के 29197 सापेक्ष 26210(90 प्रतिशत) शिक्षकों को प्रथम त्रैमास में ही बी.आर.सी. स्तरीय सेवारत शिक्षण प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
उन्होनंे बताया कि प्राथमिक स्तर पर बच्चों में भाषा तथा उच्च प्राथमिक स्तर पर विज्ञान तथा गणित में रूचि पैदा करने के लिये राज्य संदर्भ समूह के द्वारा स्थानीय कहानियों, कविताओं एवं लोक कथाओं का विकास कर एन.सी.आर.ई.टी. की बरखा श्रृंखाला पुस्तकों के तरह संकलन तथा गतिविधि/प्रयोगशाला मैनुअल तैयार किये गये है। शीघ्र ही इन्हे मुद्रित कर विद्यालयों तक उपलब्ध करा दिया जायेगा। स्वच्छता कार्यक्रम को सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों से जुड़ा गया है। इसके अतिरिक्त विद्यालयों में स्वच्छता, भाषा, गणित तथा विज्ञान से संबन्धित वाद-विवाद, व्याख्यान आदि प्रतियोगतिओं के आयोजन करवाये जा रहे है।
श्री नैथानी ने बताया कि रूम टू रीड संस्था के सहयोग से अद्यतन 823 राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में पुस्तकालयों की स्थापना की गयी है एवं सम्पर्क फाउण्डेशन के सहयोग से समस्त जनपदों के एक-एक विकासखण्ड के 1915 राजकीय प्राथमिक विद्यालय में बच्चों में गणित के भय को दूर करने तथा गणित विषय के प्रति रूचि पैदा करने हेतु खेल-खेल से गणित सीखने हेतु गणित किट उपलब्ध कराकर अध्यापकों को प्रशिक्षण दिया गया है।
उन्होनें कहा कि सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत सभी बच्चोें को अपेक्षित गुणावत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करने के लिये कूड़ा बीनने वाले, भीख मांगने वाले, सपेरे, अनाथ अतिनिर्धन तथा घूमन्तु जैसा अपवंचित वर्ग के बच्चों को स्कूली शिक्षा उपलब्ध कराने के लिये पी0पी0पी0 के तहत 20 मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों के साथ समन्वयन कर “पहल” कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। उत्तराखण्ड मे पहल कार्यक्रम के अन्तर्गत 911 बालक-बालिकाएंे अघ्ययनरत हैं। शहरी क्षेत्रों के घुमन्तु, अपवंचित वर्ग के बच्चों के लिये बहुउद्देशीय वाहन(मोबाइल स्कूल) का उपयोग जनपद देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल व ऊधमसिंह नगर में किया जा रहा है। इसके अलावा बालिकाओं की शिक्षा के लिये उत्तराखण्ड राज्य में शैक्षिक रूप से पिछडे हुये विकासखण्डों में 28 कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय संचालित किये जा रहे है। इन विद्यालयों में 1332 बालिकाऐं नामांकित है, जिनमेें 361 बी0पी0एल0 परिवारों की, 598 अनुसूचित जाति, 113 अनुसूचित जनजाति, 245 अन्य पिछड़ा वर्ग तथा 15 अल्पसंख्यक वर्ग की बालिकाऐं अध्ययनरत है।
साथ ही आर्थिक एवं सामाजिक रूप से पिछडे़ वर्गो मुख्यतः अनुसूचित जाति, अनूसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक, पिछ़डा वर्ग एवं गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों के बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा में सम्मिलित करने के लिये 669330 बच्चों को गणवेश सुविधा दी गयी है।
शिक्षा मंत्री नैथानी ने मांग की कि उत्तराखण्ड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के मध्य नजर वार्षिक कार्य योजना एवं बजट में अलग से आपदा मद में धनराशि स्वीकृत की जाये। सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत वर्ष 2012-13 में स्वीकृत एवं डेफर्ड की गयी विद्यालय वृहद् मरम्मत, चाइल्ड फ्रेन्डली आदि से सम्बन्धित एवं निर्माण कार्यों की धनराशि रू0 194.63 लाख की स्वीकृति अद्यतन प्राप्त नहीं हुयी है, उक्त कार्य निर्माणाधीन है, इसलिए धनराशि नितान्त आवश्यक है। 460 विद्यालयों भवनों के निर्माण/पुनर्निर्माण  के लिए रू0 6023.40 लाख की आवश्यकता है एवं राज्य के पेयजल विहीन 1171 रा0प्रा0वि0/रा0उ0प्रा0वि0 में पेयजल व्यवस्था हेतु रू 1528.30 लाख का प्रस्ताव वर्ष 2014-15 में भारत सरकार द्वारा स्वीकृत नहीं किया गया है। वर्तमान में 945 विद्यालयों में पेयजल व्यवस्था के लिये अनुमानित रू0 1500.00 लाख धनराशि की आवश्यकता है। जिससे पेयजल व्यवस्था की जा सके।
उन्होनें बैठक में बताया कि माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा उल्लेखनीय कार्य किये जा रहे है जिसके अन्तर्गत राज्य, जनपद तथा विकासखण्ड स्तर पर सघन एवं प्रभावी अनुश्रवण तंत्र को विकसित किया गया है। जिसके द्वारा विद्यालय, संकुल विकासखण्ड व जनपद स्तरीय संस्थाओं को आकस्मिक व नियमित भ्रमण कर प्रशासनिक तथा शैक्षिक समस्याओं का पहचान की जाती है व जनपद स्तर  पर प्रशासनिक तथा शैक्षिक समस्याओं की पहचान की जाती है व जनपद स्तर पर जिलाधिकारी, शिक्षा अधिकारियों व अन्य सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर समस्याआंे का निराकरण किया जाता है एवं राज्य स्तर के अपर शिक्षा निदेशक, संयुक्त शिक्षा निदेशक, उप शिक्षा निदेशक तथा सहायक शिक्षा निदेशक स्तरीय अधिकारियों को विकासखण्ड ब्लाक मेंटर नियुक्त किया गया है जो नियमित रूप से विद्यालय व विकासखण्ड स्तर पर संवाद कर शैक्षिक गतिविधियों का अनुश्रवण करते है। इसके अलावा अध्यापकों की पदस्थापना, नियुक्ति तथा स्थानान्तरण हेतु पारदर्शी एवं प्रभावी नीति को क्रियान्वित करने के लिए काउन्सिलिंग की व्यवस्था को लागू किया गया है। माध्यमिक शिक्षा में शिक्षकों के रिक्त पदों पर योग्यताधारी, अतिथि शिक्षकों की तैनाती की गयी है।
शिक्षा मंत्री नें कहा कि उत्तराखण्ड में राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अन्तर्गत उन्नति कार्यक्रम एवं छात्रों का अधिगम स्तर मूल्यांकन तथा उपचारात्मक शिक्षा के अभिनव प्रयोग किये जा रहे है। उन्न्ति कार्यक्रम के अन्तर्गत छात्र-छात्राओं में क्रियात्मक अंगे्रजी का ज्ञान व साॅफ्ट स्किल को विकसित करने के लिए यह कार्यक्रम कक्षा-09 में संचालित किया गया। इसके अन्तर्गत छात्र-छात्राआंे में अंग्रेजी भाषा को बोलने, पढ़ने, समझने तथा संवाद करने का विकास किया गया है व विद्यार्थियों में अनुशासन नेतृत्व सामुदायिक सहभागिता, राष्ट्रीय कार्यक्रमों यथा स्वच्छता अभियान, स्वास्थ्य कार्यक्रम आदि के प्रति चेतना विकसित की जाती है। वर्ष 2014-15 में कुल 731 विद्यालयों में लगभग 75000 छात्र-छात्राओं को इस कार्यक्रम से लाभान्वित किया गया।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा के अन्तर्गत भारत वर्ष में उत्तराखण्ड प्रथम राज्य था, जिसका कि वार्षिक कार्ययोजना एवं बजट स्वीकृत किया गया। जैसा कि विदित है कि उत्तराखण्ड राज्य की विशेष भौगोलिक परिस्थितियां है, जिसमें आपदा, बाढ़, भूकम्प एवं भूस्खलन की सम्भावना अधिक रहती है। आपदा के दौरान विद्यालय ही एक मात्र ऐसा स्थल/भवन होता है, जहां क्षेत्रीय जनता को सुरक्षित रखा जा सके।जिसके दृष्टिगत विद्यालयों के सृदृढ़ीकरण हेतु राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अन्तर्गत अनुदान दिया जाना अत्यन्त आवश्यक है। साथ ही राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान में केद्रांश एवं राज्यांश(90ः10) अनुदान किया गया है लेकिन अभी भी कई मदों में धनराशि आंवटित नहीं की गयी है। जिनमें वर्ष 2014-15 की वार्षिक कार्ययोजना एवं बजट मंे भारत सरकार द्वारा अनुमोदित धनराशि के सापेक्ष बचनबद्ध देयता हेतु रू0 1.51 करोड़ राज्य सरकार को अवमुक्त की जानी है। भारत सरकार द्वारा समेकित राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अंतर्गत अनावर्ती मदों में वर्ष 2015-16 में रू0 145.26 करोड़(रू012.19 करोड़ की नवीन योजना व रू 133.07 करोड़ स्पिल ओवर सहित) अनुमोदित की गयी है। जिसमें केन्द्रांश रू0 112.32 करोड़(रू0 1.35 करोड़ विगत वर्षो का केन्द्रांश 75 प्रतिशत व रू0 9.97 करोड़ इस वर्ष का केन्द्रांश 90 प्रतिशत है) जिसके सापेक्ष मात्र रू0 0.22 करोड़ ही अवमुक्त हुआ है। अतः केन्द्र सरकार द्वारा रू0 112.10 करोड़ की धनराशि अवमुक्त की जानी है। इसके अलावा वार्षिक कार्ययोजना एवं बजट 2015-16 के आवर्ती मदों के सापेक्ष पर्याप्त धनराशि अवमुक्त नहीं की गयी है।
नैथानी ने कहा कि भारत सरकार 2308 प्रयोगशाला सहायक एवं कार्यालय सहायक के पदों की स्वीकृति प्रदान की गई थी। वार्षिक कार्ययोजना एवं बजट 2014-15 में 1713 कार्यरत कार्मिको का मानदेय भारत सरकार द्वारा स्वीकृत किया गया, किन्तु वार्षिक कार्ययोजना एवं बजट 2015-16 में उक्त मद में धनराशि स्वीकृत न किये जाने के कारण इन कार्मिकों की सेवा समाप्त कर दी गई है। इन पदों को छठे वेतन आयोग द्वारा आउटसोंर्सिग से भरे जाने का प्रावधान किया गया था। इन आउटसांेर्सिग पदों हेतु मानदेय न दिये जाने के कारण जहां एक ओर विद्यालय में कार्यालय एवं प्रयोगशाला का कार्य प्रभावित हो रहे है, वही इनके परिवारों पर भी आर्थिक संकट आ गया है। इन आउटसोर्सिंग पदों हेतु शीघ्र बजट आंवटन किया जाये।
उन्होनें कहा कि उन्नति कार्यक्रम का लेवल-1 वर्ष 2014-15 मे पूर्ण किया जा चुका है एवं लेवल-2 वर्ष 2015-16 में भारत सरकार की अनुमति प्राप्त किये जाने के उपरान्त किया जाना है। यह एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है इसकी संस्तुति थर्ड पार्टी मूल्यांकन रिपोर्ट में की गयी है। इसलिये आगामी शैक्षिक सत्र 2016-17 के प्रारम्भ में उन्नति कार्यक्रम के संचालन की अनुमति भारत सरकार शीघ्र प्रदान करें।
श्री नैथानी ने अनुरोध किया कि केन्द्र सरकार द्वारा उत्तराखण्ड राज्य की विभिन्न योजनाओं में अवशेष धनराशि शीघ्र अवमुक्त की जाये जिससें की योजनाओं को त्वरित गति से पूर्ण किया जा सके।

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