नई दिल्ली: भारत के कृषि क्षेत्र में बदलाव में युवा अहम रोल अदा करते हैं। गांव देहात में युवाओं को उनका कौशल विकास कर सशक्त करना और कृषि क्षेत्र में उन्हें बने रहने योग्य बनाना आज के दिन की उभरती चुनौतियां हैं। इन मुद्दों से निपटने के लिए ग्रामीण इलाकों में कुछ ऐसे आर्थिक मॉडल बनाए जाने हैं जिससे ग्रामीण इलाकों में युवा उद्यमियों का उभार हो सके और जो अन्य लोगों के लिए मार्गदर्शन का भी काम कर सकें। कृषि विकास खास कर देश में खाद्य सुरक्षा के नजरिए से ग्रामीण युवाओं के महत्व को समझते हुए आईसीएआर ने वर्ष 2015-16 के दौरान कृषि क्षेत्र में युवाओं के आकर्षण और उन्हें बनाए रखने (एआरवाईए) पर एक कार्यक्रम की शुरूआत की थी। इस योजना के तहत 35 साल तक के ग्रामीण युवाओं को कृषि क्षेत्र में आकर्षित करने के लिए विशेष कदम उठाए जा रहे हैं ताकि शहरों की ओर पलायन कर रहे ग्रामीण युवाओं की संख्या को नियन्त्रित किया जा सके।
तेजी सी बढ़ती आबादी को सतत आजीविका उपलब्ध कराने की चुनौती से निपटने के लिए और कृषि क्षेत्र में युवाओं को आकर्षित करने के लिए सचिव (डीएआरई) एवं महानिदेशक (आईसीएआर) डॉ. त्रिलोचन महापात्रा ने कृषि क्षेत्र में युवाओँ को प्रेरित एवं आकर्षित करने पर (एमएवाईए) नई दिल्ली में 30 अगस्त, 2018 को दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। उन्होंने पड़ोसी देशों की साझेदारी से ‘कृषि क्षेत्र में युवाओं के लिए मिशन’ और ‘कृषि में युवाओं के लिए क्षेत्रीय मंच’ बनाने का आग्रह किया और कहा कि आकर्षक विकल्प मुहैया कराते हुए कृषि क्षेत्र में युवाओं को आकर्षित करने की जरूरत है।
इस अवसर पर टीएएएस के अध्यक्ष डॉ. आर.एस.परोदा ने कृषि क्षेत्र से युवाओं को जोड़ने का आग्रह किया। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि युवाओं को रोजगार ढूंढने वाले बनने की बजाय उन्हें रोजगार प्रदाता बनने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
इस सम्मेलन का आयोजन ट्रस्ट फॉर एडवांस्मेंट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेस (टीएएएस), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), एमएस स्वामीनाथन अनुसंधान फाउंडेशन (एमएसएसआरएफ), एशिया-प्रशांत कृषि अनुसंधान संस्थान संघ (एपीएएआरआई), स्किल इंडिया, भारतीय कृषि कौशल परिषद (एएससीआई), कृषि विकास युवा पेशेवर (वाईपीएआरडी) और नाबार्ड ने मिलकर किया है।