नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम.वेंकैया नायडू ने कहा कि लोगों को जानकारी और ज्ञान उनकी भाषाओं और बोलियों में उपलब्ध कराना भारत जैसे विविध, जटिल और बहुभाषी देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। वे आज हैदराबाद में मशीन भाषा अनुवाद सॉफ्टवेयर के प्रदर्शन के अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे।
श्री नायडू ने कहा कि हमारे लिए यह आवश्यक हो जाता है कि हम अगर अपने नागरिकों को शिक्षित और सशक्त बनाना चाहते हैं तो जानकारी और प्रौद्योगिकी तक पहुंच बनाने के लिए उनके सामने आने वाली बाधाओं को दूर करें। इस संदर्भ में उन्होंने सारा जैसी अनुवाद पहल के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अनुवाद से संचार, विचारों और जानकारी के आदान-प्रदान में मदद मिलती है। यह भाषा और साहित्य को समृद्ध करने के साथ-साथ दुनिया को एक मंच पर भी लाता है। इस संदर्भ में उन्होंने सारा का साथ देने के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय हैदराबाद की सराहना करते हुए कहा कि यह एक अच्छी शुरूआत है। देश की भाषाओं के महत्व के बारे में श्री नायडू ने मत व्यक्त किया कि संस्कृति के विकास के लिए मातृभाषा को बढ़ावा देना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सारा जैसे सॉफ्टवेयर सर्वश्रेष्ठ अनुवादित संस्करण लोगों की मदद करते हैं।
मशीन अनुवाद प्रणालियों की निपुणता और लागत पर निर्भर करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि मशीनें स्थिर नहीं थी वे नई चीजों को अपनाने, विकसित करने, भविष्यवाणी करने और निर्णय लेने में अधिक सक्षम थीं। मशीन ट्रांसलेशन भविष्य के लिए बहुत बड़ा वायदा है। इस तथ्य को स्वीकार करते हुए कि अधिक कार्य निष्पादन वाली मशीन अनुवाद प्रणालियां विकसित करने का कार्य आज की तारीख तक एक बड़ी चुनौती है।
उपराष्ट्रपति ने नेचुरल लैंग्वेज इंजीनियरिंग और मशीन ट्रांसलेशन पर ’सारा’ की टीम द्वारा किए गए अच्छे काम की सराहना करते हुए उन्होंने विशेष रूप से हैदराबाद विश्वविद्यालय की प्रशंसा की। उन्होंने टीम द्वारा विकसित अनुवाद की नई पहुंच की भी सराहना की। इसने अच्छे कार्य प्रदर्शन अनुवाद प्रणालियों के तेजी से विकास का वादा किया है।
कृत्रिम आ सूचना को भविष्य की प्रौद्योगिकी करार देते हुए श्री नायडू ने सारा टीम को इस अत्याधुनिक तकनीक को अपनाने के लिए बधाई दी। उन्होंने यह उम्मीद जाहिर की कि अगले कुछ वर्षों में अनेक भाषा युग्मों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली अनुवाद प्रणाली विकसित की जाएगी।
भारत में 19500 से भी अधिक मातृभाषाओं के रूप विद्यमान हैं जो हमारी महान भाषायी विविधता को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी भाषाएं हमारा एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हमारे इतिहास और एक समाज के रूप में हमारा विकास, सुरक्षित और संरक्षित होना चाहिए। हमारी अनेक प्राचीन भाषाएं क्षय के कगार पर थीं, जब कोई भाषा मर जाती है, तो वह अपने साथ संपूर्ण संस्कृति के इतिहास को भी बहा ले जाती है। उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूलों में निर्देश आवश्यक रूप से मातृभाषाओं में दिए जाएं। मशीन अनुवाद को राष्ट्रीय मिशन के रूप में लिया जाना चाहिए ताकि हमारे लोगों को अपनी भाषाओं और लिपियों में प्राथमिकता के आधार पर जानकारी उपलब्ध कराई जा सके।