नई दिल्ली: गोवा में आयोजित आईएफएफआई-2016 में लोगों ने बेजोड़ वेनेजुएलाई फिल्म ‘तामरा’ का वर्ल्ड प्रीमियर शो देखा। यह फिल्म सामाजिक ड्रामा है जो एक ट्रांसजेंडर तियो अलमांजा की अपनी सच्चाई की खोज की यात्रा की कहानी है। इस फिल्म में व्यक्ति के सामाजिक वर्जनाओं के साथ अपने भीतर अंतरद्वंद्व के संघर्ष का वर्णन किया गया है। इमें बताया गया है कि कैसेट किसी व्यक्ति का संघर्ष समाज की अपेक्षाओं के विपरीत अपने को बनाने के लिए चलता है।
‘तामरा’ समाज के तय मापदंडों और नियमों पर प्रतिक्रिया है जो मनुष्य के लिए तय शर्तों में किसी तरह के सामाजिक बदलाव से इंकार करते हैं। यह फिल्म ट्रांसजेंडरों के खिलाफ समाज द्वारा घृणा के प्रदर्शन के बारे में है। यह फिल्म टॉमस मारियानो एड्रियन हेरनांडज के जीवन से प्रेरित है। टॉमस मारियानो एड्रियन हेरनांडज जो अब तामरा एड्रियन हैं। वह पहली ट्रांसजेंडर हैं जो वेनुजुएला संसद की सदस्य बनी।
वेनुजुएलाई लेखक- निर्देशक सुश्री एलिया सिनेइडर ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि फिल्म का सबसे मुश्किल भाग यह था कि कैसे तामरा की कहानी का वर्णन किया जाए। तामरा कहानी को फिल्म में बदलने में पांच साल लग गए क्योंकि यह फिल्म समाज के बहुत ही संवेदनशील मुद्दे पर आधारित थी। उन्होंने बताया कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है जिसपर समाज में व्यापाक रूप से चर्चा होने की आवश्यकता है।
अपने जीवन के अनुभवों की चर्चा करती हुईं ट्रांसजेंडर सुश्री तामरा एर्डियन ने बताया कि उनकी कहानी उन सभी वंचित और वर्जित अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर ट्रांसजेंडर समुदाय की कहानी है जो रोज भेदभाव का शिकार होता है। हर ट्रांसजेंडर को दो तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ता है। एक तो उसे अपने-आपको पहचानने के लिए संघर्ष करना पड़ता है कि आखिर वह है कौन। इसके साथ ही अपनी पहचान की कमी और बाकी दुनिया द्वारा उसके खिलाफ किए जा रहे बहिष्कार और हिंसा से भी उसे संघर्ष करना पड़ता है।
सुश्री तामरा ने कहा कि मानवाधिकार सभी मनुष्य के लिए एक समान होना चाहिए और इससे किसी को भी वंचित नहीं रखा जाना चाहिए। उन्होंने आशा जताई कि विश्व व्यापी सामूहिक जागृति पैदा करने के लिए सिनेमा इस तरह के मुद्दों को सामने लाने और समाज में इनपर चर्चा करने को बढ़ावा देगा।
इस फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने वाले लुईस फरनांडिज ने हमारे समाज में अंदर तक अल्पसंख्यकों के प्रति पैठ बनाए भेदभाव का उल्लेख करते हुए कहा कि हम सभी को सबसे पहले इस तरह के पूर्वग्रहों को भूला देने की जरूरत है। वह बच्चों की मानसिकता में बैठ रहे भेदभाव से संबंधित सवालों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें शुरू से ही अपने बच्चों को समाज की विविधता को खुले दिमाग से स्वीकार करने के लिए शिक्षित करना होगा।
ए डॉट एंड ए लाइन (2004) और ए डिस्टेंट प्लेस(2010) जैसी फिल्मों की निर्देशक सुश्री एलिया सिनेइडर ने इस फिल्म का निर्देशन किया है। बगोटा फिल्म महोत्सव में उन्हें उनकी फिल्म पुंटो वाई राया(2004) के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार दिया गया था। मीडिया से बाचीत के दौरान फिल्म के अन्य क्रू सदस्यों में निर्माता जोसेफ नावोआ, प्राकृति एंटो मादुरो मार्टिन और अभिनेत्री तामरा भी शामिल थे।