नई दिल्ली: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा शुरू किए गए ‘इन्स्पायर संकाय पुरस्कार’ से नवाजे गए आईआईटी बॉम्बे के डॉ. अचिंत्य कुमार दत्ता अपने शोध समूह के साथ क्वांटम केमिस्ट्री के लिए नए तरीके विकसित करने और उन्हें अत्यंत प्रभावकारी एवं फ्री सॉफ्टवेयर में इस्तेमाल करने पर काम कर रहे हैं, ताकि जलीय डीएनए से इलेक्ट्रॉन के संयोजन का अध्ययन किया जा सके। कैंसर के विकिरण चिकित्सा (रेडिएशन थेरेपी) आधारित उपचार में इसके व्यापक निहितार्थ हैं।
क्वांटम केमिस्ट्री दरअसल रसायन शास्त्र की नई शाखाओं में से एक है जिसके तहत प्रयोगशाला में कोई प्रयोग किए बिना ही परमाणुओं और अणुओं के रासायनिक गुणों को परखने की कोशिश की जाती है। इसके बजाय क्वांटम केमिस्ट्री में वैज्ञानिक अणुओं से संबंधित श्रोडिंगर समीकरण को हल करने की कोशिश करते हैं और इससे वास्तव में माप किए बिना ही उस विशेष अणु के बारे में हर मापने योग्य मात्रा प्राप्त हो जाती है। हालांकि, श्रोडिंगर समीकरण के अनुप्रयोग से उत्पन्न गणितीय समीकरण काफी जटिल होते हैं और केवल कंप्यूटर का उपयोग करके ही इन्हें हल किया जा सकता है। अत: इन समीकरणों को हल करने के लिए नए सिद्धांतों को विकसित करना और अत्यंत कारगर कंप्यूटर प्रोग्राम लिखना आवश्यक है।
क्वांटम केमिस्ट्री के लिए नए सिद्धांतों को विकसित करने में भारतीय वैज्ञानिक ही सबसे आगे हैं। हालांकि, इन सिद्धांतों को व्यावहारिक रूप से उपयोगी या काम में आने लायक कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में परिणत करने की दिशा में अब तक कोई खास प्रगति नहीं हो पाई है। बड़ी तेजी से विकसित हो रहे भारतीय आईटी उद्योग और अंतरराष्ट्रीय ख्याति वाले अनगिनत अत्यंत प्रतिभाशाली सॉफ्टवेयर प्रोफेशनलों को देखते हुए यह आश्चर्य की ही बात है।
आईआईटी बॉम्बे में डॉ. दत्ता का शोध समूह दरअसल रसायन शास्त्रियों, कंप्यूटर वैज्ञानिकों और इंजीनियरों का एक संगठन है, जो क्वांटम केमिस्ट्री से जुड़े अत्यंत प्रभावकारी तरीकों और फ्री सॉफ्टवेयर को विकसित करने के एक साझा लक्ष्य के लिए एकजुट हुए हैं। इसका उपयोग दुनिया भर के वैज्ञानिक नियमित रूप से रसायन शास्त्र संबंधी अपनी समस्याओं का समाधान निकालने में कर सकते हैं।
डॉ. दत्ता ने बताया, ‘मेरी इन्स्पायर फेलोशिप ने मुझे एक नए और प्रभावकारी क्वांटम केमिस्ट्री सॉफ्टवेयर का विकास एवं परीक्षण करने के लिए एक अत्याधुनिक कंप्यूटिंग सुविधा या यूनिट की स्थापना करने में समर्थ बनाया है। इसने मुझे पूरे भारत के काबिल श्रम बल या प्रोफेशनलों को प्रशिक्षित करने के लिए भी प्रेरित किया है जो भारतीय विज्ञान की भावी प्रगति में बहुमूल्य योगदान कर सकते हैं।’
क्वांटम केमिस्ट्री के ये नव विकसित कारगर तरीके इस शोध समूह को व्यापक जलीय परिवेश में डीएनए से इलेक्ट्रॉन के संयोजन से संबंधित श्रोडिंगर समीकरण को हल करने में समर्थ बनाते हैं। डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड या डीएनए मानव शरीर में आनुवांशिक जानकारियों अथवा सूचनाओं का वाहक है। वहीं, दूसरी ओर डीएनए से इलेक्ट्रॉन का संयोजन दरअसल मानव कोशिकाओं को विकिरण क्षति पहुंचाने वाले महत्वपूर्ण कदमों में से एक है। उनकी टीम ने यह साबित कर दिखाया है कि व्यापक जलीय परिवेश में डीएनए से इलेक्ट्रॉन का संयोजन एक द्वार-मार्ग व्यवस्था के जरिए होता है और जलीय परिवेश में इलेक्ट्रॉन का यह संयोजन बड़ी तेजी से कुछ ही क्षणों में हो जाता है। जलीय परिवेश में डीएनए से इलेक्ट्रॉन के संयोजन की इस नई उल्लिखित प्रक्रिया के ‘विकिरण चिकित्सा आधारित कैंसर उपचार’ में बड़े निहितार्थ हैं।
यह अध्ययन रेडियो-सेंसिटाइजर की एक नई श्रेणी के विकास में मददगार साबित हो सकता है, जो ट्यूमर कोशिकाओं को विकिरण चिकित्सा के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है और इस तरह से सामान्य कोशिकाओं की रक्षा करता है। अभिकलन (कम्प्यूटेशन) के इस तरीके से नए रेडियो-सेंसिटाइजर के विकास में आने वाली लागत समय और पैसा दोनों ही दृष्टि से काफी घट सकती है।
डॉ. दत्ता इन्स्पायर फेलोशिप का उपयोग क्वांटम केमिस्ट्री के कुछ और अभिनव तरीकों को विकसित करने, आनुवांशिक सामग्री को होने वाली विकिरण क्षति का अध्ययन करने के लिए प्रभावकारी कम्प्यूटेशनल प्रोटोकॉल की बेंचमार्किंग करने और हमारे समाज एवं मानवता की भलाई के लिए विज्ञान के क्षेत्र में अभी और आगे बढ़ने में करना चाहते हैं। (डीएसटी-इंडिया साइंस वायर)
(विस्तृत जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें: डॉ. अचिंत्य कुमार दत्ता, ईमेल: achintyachemist@gmail.com)