नई दिल्ली: केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉक्टर हर्षवर्द्धन ने निजी क्षेत्र को ग्रामीण क्षेत्रों के ऐसे अप्रत्यक्ष अन्वेषकों की सहायता के लिए आमंत्रित किया जो रोज़मर्रा की समस्याओं के समाधान सामने ला रहे हैं, किंतु उनके पास अपने उत्पादों को प्रोन्नत कर बिक्री करने के अवसर नहीं हैं। आईआईटी दिल्ली में आज भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के प्रथम अंक का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा, “हमें उद्यमिता के लिए समावेशी दृष्टिकोण की आवश्यकता है एवं अनौपचारिक क्षेत्र में काफी संभाव्यता है जिसका उपयोग निजी क्षेत्र भी कर सकता है।” उदाहरण के लिए उन्होंने कहा कि अहमदाबाद के राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान ने कई जमीनी समाधानों की पहचान की है जिन्हें बढ़ावा दिया जा सकता है, इनमें से कुछ का विकास जनजातीय समाजों के अन्वेषकों ने किया है।
डॉक्टर हर्षवर्द्धन ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में वैज्ञानिक अनुसंधान का हिस्सा प्रतिवर्ष 1 लाख करोड़ से 2 लाख करोड़ के मध्य प्राक्कलित किया जाता है। उन्होंने कहा, “नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकॉनोमिक रिसर्च ने बताया है कि आईएमडी के मौसमी पूर्वानुमानों ने ही मत्स्यिकी क्षेत्र को 34000 करोड़ सालाना का फायदा पहुंचाया है।”
महोत्सव को युगांतरकारी घटना बताते हुए उन्होंने कहा, “आईआईएसएफ तीन से चार दिन चलने वाला कोई सामान्य कार्यक्रम नहीं है, यह जवाहरलाल नेहरू से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक भारत के महान नेताओं के भारत को विश्व के शीर्ष देशों में ला खड़ा करने के सपनों को सच करने का आरंभिक प्रयास है।”
आईआईएसएफ 2015 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के साथ विज्ञान भारती के सहयोग से आयोजित महोत्सव है, जिसकी केंद्रीय एजेंसी प्रौद्योगिकी सूचना, पूर्वानुमान एवं मूल्यांकन परिषद (टाइफैक) है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव आशुतोष शर्मा और वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद के महानिदेशक गिरीश साहनी ने आशा जताई कि महोत्सव भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी को उन्नत बनाने में काफी लंबा रास्ता तय करेगा।
विज्ञान भारती के अध्यक्ष विजय पी भत्कर एवं महोत्सव की विज्ञान संबंधी समिति के सदस्य सचिव सचिन मांडवगने ने कहा कि महोत्सव का एक प्रमुख वैशिष्ट्य इसमें अलग अलग क्षेत्र के लोगों के लिहाज से अलग अलग विषयों का समावेश होना है। उन्होंने कहा कि समारोह में वैज्ञानिकों और विद्यार्थियों के बीच परस्पर संवाद है, विज्ञान संबंधी विषयों पर बनी फिल्मों और वृत्तचित्रों की स्क्रीनिंग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और उद्योग प्रदर्शनी आदि है। उन्होंने कहा कि महोत्सव का एक प्रमुख उद्देश्य भारतीय विज्ञान को आम आदमी तक ले जाना एवं वैज्ञानिक समुदाय और आम लोगों के बीच की दूरी को कम करना है।
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