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लखनऊ नगर में गोमती नदी के दाएं तटबन्ध पर अमर शहीद पथ से 45 मीटर मास्टर प्लान रोड तक बन्धे का निर्माण कराया जाएगा: मुख्यमंत्री 

उत्तर प्रदेश
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा कि लखनऊ प्रदेश की राजधानी के साथ-साथ एक ऐतिहासिक नगर भी है। शहर के बीच से गुजरने वाली गोमती नदी के रिवर फ्रण्ट के विकास का कार्य इस प्रकार किया जाना चाहिए, जिससे नगरवासियों के दैनिक जीवन में सुखद गुणात्मक परिवर्तन आए और शहर, देश-दुनिया के लिए एक उदाहरण बने।

उन्होंने कहा कि अधिकांश नदियां नगरों की वर्तमान व्यवस्था के कारण प्रदूषित होती हैं। इसलिए गोमती को लखनऊ नगर में स्वच्छ बनाकर एक सकारात्मक संदेश दिया जाना चाहिए। उन्होंने गोमती नदी के दाए तटबन्ध पर अमर शहीद पथ से 45 मीटर मास्टर प्लान रोड तक बन्धे के निर्माण का कार्य कराने की घोषणा भी की।
मुख्यमंत्री आज यहां अपने सरकारी आवास पर विगत तीन वर्षों में किए गए कार्यों, लखनऊ महानगर में गोमती रिवर फ्रण्ट का विकास, नदियों की सतत् अविरलता बनाए रखने के लिए प्रस्तावित रबर डैम परियोजना आदि पर सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग द्वारा दिए गए प्रस्तुतिकरण के बाद अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। शहर के बीच बहने वाली नदी का सौन्दर्यीकरण करके दुनिया के कई देशों ने सम्बन्धित नगरों को जीवन्त बना दिया है। इसी प्रकार प्रदेश सरकार भी गोमती नदी का रिवर फ्रण्ट डेवलपमेण्ट करके लखनऊ को जीवन्त एवं आकर्षक शहर बनाने का प्रयास कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए गोमती में मिलने वाले नालों पर ध्यान देना होगा ताकि नदी का पानी स्वच्छ एवं लगातार प्रवाहित होता रहे। शहर के विभिन्न सड़कों पर अलग से साइकिल ट्रैक बनाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि लखनऊ में तांगा चलाने की भी व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने वर्तमान में ठोस अपशिष्ट निस्तारण एवं यातायात व्यवस्था को एक बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि अगर इन दोनों बिन्दुओं पर शीघ्र ध्यान नहीं दिया गया तो लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर नदियों का जल बड़े नगरों में आने से पहले स्वच्छ होता है, लेकिन जैसे ही किसी बड़े नगर में नदी प्रवेश करती है, उसका जल प्रदूषित हो जाता है। इसलिए नगरों से उत्सर्जित होने वाले गंदे प्रवाह पर शीघ्र काम किया जाना चाहिए।
 श्री यादव ने कहा कि वर्तमान सरकार नगरों, विशेष रूप से लखनऊ की आबोहवा एवं संसाधनों के विकास पर गम्भीरता से काम कर रही है। जनेश्वर मिश्र पार्क का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अवकाश के दिनों में वहां हजारों की तादाद में लोग एकत्रित होकर अपनी जीवनचर्या में विशेष बदलाव का अनुभव करते हैं। उन्होंने भरोसा जताया कि गोमती रिवर फ्रण्ट के विकास से लखनऊ नगर के लोगों के जीवन में गुणात्मक परिवर्तन आएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत तीन वर्षों में सिंचाई विभाग द्वारा वर्षों से लम्बित अनेक परियोजनाओं पर तेजी से अमल करते हुए प्रदेश के किसानों को राहत पहुंचाने का काम किया गया है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती राज्य सरकार द्वारा लगभग 3,000 करोड़ रुपए की योजनाएं इस क्षेत्र में लागू करने का अनुबंध किया गया था, लेकिन इन पर कार्य आगे नहीं बढ़ा। परन्तु वर्तमान राज्य सरकार ने पिछले तीन वर्षों में इस क्षेत्र की 13 अधूरी सिंचाई परियोजनाओं में से अब तक 4 परियोजनाएं पूर्ण कर दी हैं। शेष 9 परियोजनाएं भी आगामी दो वर्षों में पूरी हो जाएंगी। इन परियोजनाओं के पूरा हो जाने से बुन्देलखण्ड क्षेत्र में सिंचाई एवं पेयजल की समस्या का समाधान हो जाएगा। सिंचाई विभाग को गांव, गरीब एवं किसान से जुड़ा विभाग बताते हुए उन्होंने कहा कि जनता को तत्काल राहत पहुंचाने वाली सिंचाई परियोजनाओं को पूरी गुणवत्ता के साथ शीघ्र पूरा करने का प्रयास किया जाए। ऐसी परियोजनाओं के लिए धन की कमी नहीं होने दी जाएगी।
प्रदेश के विकास को लेकर वर्तमान सरकार की संवेदनशीलता का जिक्र करते हुए श्री यादव ने कहा कि जनपद सोनभद्र के सूखाग्रस्त एवं पिछड़े क्षेत्र को राहत पहुंचाने वाली कनहर सिंचाई परियोजना 33 वर्ष पूर्व शुरू की गई थी। वर्तमान सरकार से पूर्व, इस परियोजना की प्रगति संतोषप्रद नहीं थी। इस परियोजना के क्रियान्वयन हेतु न केवल नाबार्ड से आवश्यक धनराशि स्वीकृत कराई गई अपितु परियोजना से सम्बन्धित छोटे-बड़े सभी मुद्दों को सुलझाकर वर्तमान वित्तीय वर्ष में 315 करोड़ रुपए खर्च कर योजना को गति प्रदान की गई। इस योजना से प्रभावित कृषकों के पुनर्वास के लिए 150 करोड़ रुपए की धनराशि भी स्वीकृत की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नदियों की अविरलता को बनाए रखने के लिए कई विकसित देशों में रबर डैम बनाया जाता है। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया कि नदियों का प्रवाह बनाए रखने के लिए ऐसी नई तकनीक पर जरूरत के मुताबिक विचार किया जाना चाहिए। ज्ञातव्य है कि सिंचाई विभाग द्वारा कानपुर, आगरा एवं वृंदावन में पाइलेट प्रोजेक्ट के रूप में रबर डैम बनाने की योजना पर काम किया जा रहा है।
सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्री श्री शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि वर्षों से लम्बित कई परियोजनाओं पर मुख्यमंत्री के नेतृत्व में विगत तीन वर्षों में तेजी से काम किया गया है। उन्होंने सरयू नहर परियोजना की चर्चा करते हुए कहा कि 32 वर्षों से संचालित इस योजना में 1400 गैप्स होने एवं 125 कि0मी0 लम्बी राप्ती नहर में एक इंच भी खुदाई न होने के कारण, इसका लाभ किसानों को नहीं मिल रहा था। वर्तमान सरकार ने इस परियोजना को प्रयास करके राष्ट्रीय परियोजना घोषित कराया और 1234 करोड़ रुपए व्यय करके अब तक 1,000 गैप्स पूर्ण कर तथा 103 कि0मी0 मुख्य नहर एवं 150 कि0मी0 रजवाहे/अल्पिकाओं की खुदाई कराकर 63,000 हेक्टेयर सिंचन क्षमता में वृद्धि की गई। इस परियोजना से पूर्वांचल के बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोण्डा, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीरनगर, गोरखपुर एवं महराजगंज जनपदों के किसान लाभान्वित होंगे।
इस मौके पर प्रमुख सचिव सिंचाई श्री दीपक सिंघल ने विस्तार से परियोजनाओं की जानकारी देते हुए कहा कि राज्य सरकार शुरू की गई अधिकांश परियोजनाओं को अगले दो वर्षों में पूरा कर देगी। सरकार के प्रयासों के चलते वर्ष 2014-15 में सिंचाई संसाधनों के सुधार एवं परियोजनाओं पर 4500 करोड़ रुपए का उपयोग किया गया।

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