नई दिल्ली: केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग, शिपिंग, रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री श्री मनसुख मंडविया ने आज एक वक्तव्य में बताया कि फार्मा सेक्टर पर सेवा और वस्तु कर (जीएसटी) का प्रभाव मोटे तौर पर सकारात्मक और रचनात्मक रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के देश के सभी नागरिकों के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के विजन का अनुपालन करते हुए रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने सभी नागरिकों के लिए सस्ती और गुणवत्ता युक्त दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए अनेक कदम उठाए हैं।
इस संदर्भ में श्री मंडविया ने बताया कि जीएसटी लागू होने के बाद फार्मा सेक्टर में सकारात्मक प्रगति देखी गई है, जो निम्नलिखित से स्पष्ट होती है-
जीएसटी से पहले फार्मा सेक्टर का वार्षिक कारोबार (31.05.2017 के अनुसार) 1,14,231 करोड़ रुपये था जो जीएसटी लागू होने के बाद 1,31,312 करोड़ रुपये (31.05.2018 के अनुसार) तक पहुंच गया है। इस प्रकार यह पूर्व- जीएसटी शासन (2016-17) की तुलना में 6 प्रतिशत अधिक है।
2016-17 के दौरान फार्मा सेक्टर का निर्यात 2,75,852 करोड़ रुपये था जबकि वर्ष 2017-18 में जीएसटी लागू होने के बाद यह 3,03,526 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया। इस प्रकार यह पूर्व- जीएसटी शासन की तुलना में 10 प्रतिशत से भी अधिक है। उन्होंने बताया कि चालू वर्ष के लिए निर्यात आंकड़े 3,27,700 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। जो पूर्व- जीएसटी शासन (2016-17) की तुलना में लगभग 12 प्रतिशत अधिक है।
उन्होंने यह भी बताया कि औषधि अनुमोदनों की संख्या जो जीएसटी से पूर्व (01.07.2016 से 30.06.2017 तक) 7,857 थी वह जीएसटी लागू होने के बाद (01.07.2017 से 30.06.2018 तक) महत्वपूर्ण उछाल लेकर 10,446 हो गई। श्री मंडविया ने बताया कि ‘एक राष्ट्र एक कर’ शासन के तहत विविध करों की जटिलता समाप्त हो गई है। जीएसटी से पहले लागू सभी करों के विलय को देखते हुए निर्माण लागत में कमी आने और देश में कारोबार करने में आसानी को बढ़ावा दिया है। इससे सभी हित धारकों के लिए एक एकल बाजार और विकास के समान अवसर उपलब्ध होंगे। श्री मंडविया ने यह भी बताया कि जीएसटी लागू होने के बाद केंद्रीय करों को हटाए जाने के कारण लेनदेन लागत कम होगी क्योंकि दो डीलरों के मध्य अंतर्राज्यीय लेनदेन पर कोई कर नहीं लगेगा।