देहरादून: कैबिनेट में लिये जाने वाले निर्णयों का अनुपालन प्राथमिकता पर होना चाहिए। केवल शासनादेश जारी करने को ही अनुपालन न समझा जाय। अधिकारी सुनिश्चित करे कि शासनादेश का लाभ संबंधित व्यक्ति तक पहुंचे। कैबिनेट में कर्मचारियों के संबंध में लिये जाने वाले निर्णयों पर 3 माह में कार्यवाही हो जानी चाहिए। कैबिनेट द्वारा जिन बिन्दुओं को उप समितियों को सौपा गया है, उनकी रिपोर्ट तैयार कर अगली कैबिनेट में बैठक में रखा जाय। बजट भाषण में शामिल नई योजनाओं के लिए पर्याप्त बजट धनराशि की व्यवस्था की जाय। यह निर्देश मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बुधवार को बीजापुर अतिथि गृह में वर्ष 2014 से अब तक हुई कैबिनेट बैठकों में लिये गये निर्णयों के क्रियान्वयन व बजट भाषण में शामिल नई योजनाओं के लिए की गई बजट व्यवस्था के संबंध में समीक्षा के दौरान दिये।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने निर्देश दिये कि सभी सचिव व विभागाध्यक्ष मुख्य सचिव को निर्धारित प्रारूप पर एक रिपोर्ट सौपे कि अब तक हुई कैबिनेट बैठकों में लिये गये निर्णयों की क्या स्थिति है। कितनों के शासनादेश जारी हो गये है, कितनों का अनुपालन हो रहा है और कितनों के शासनादेश अभी तक जारी नही हुए है। जिन निर्णयों के शासनादेश जारी नही हुए है, उनका कारण भी बताये। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि कैबिनेट में लिये गये निर्णयों का अनुपालन त्वरित गति से होना चाहिए, यदि किसी निर्णय को लागू करने में कोई कठिनाई है, तो उसके लिए उच्चाधिकारियों से विचार-विमर्श किया जाय। लेकिन किसी भी निर्णय को अधिक समय तक लंबित न रखा जाय। सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं का लाभ अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचे, इसके लिए जरूरी है कि योजनाओं के शासनादेश समय पर जारी हो जाय। अधिकारी यह भी सुनिश्चित करे कि शासनादेश जारी होने के बाद उसका अनुपालन ठीक से हो भी रहा है कि नही। यदि किसी योजना के अनुपालन में कोई व्यावहारिक कठिन आ रही है, तो कारण बताया जाय या उसके समाधान के लिए सुझाव दिये जाय। कैबिनेट द्वारा उप समितियों को सौपे गये निर्णयों की रिपोर्ट जल्द तैयार की जाय, जिसे अगली कैबिनेट बैठक में रखा जाय। जारी होने वाले शासनादेशों का सचिव व विभागाध्यक्ष नियमित रूप से अनुश्रवण करे। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि ऐसे लंबित मामले जिन पर शासनादेश जारी होने है, पर त्वरित कार्यवाही करते हुए आगामी एक माह में निश्चित रूप से कोई न कोई निर्णय अवश्य ले लिया जाय। मुख्यमंत्री के समक्ष 63 ऐसे मामलों पर भी चर्चा की गई, जो विभागीय स्तर पर लंबित थे। चर्चा के बाद कुछ मामलों का समाधान निकाला गया। मुख्यमंत्री ने कहा इन सभी सभी बिन्दुओं के शासनादेश शीघ्र ही जारी कर दिये जाय।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने विभागवार समीक्षा की और लंबित प्रकरणों की जानकारी ली। बैठक में बताया गया कि वर्ष 2014 से अब तक 26 कैबिनेट बैठके हुई है, जिनमें 433 पर निर्णय लिया गया, जिसमें से 380 के शासनादेश जारी कर दिये गये है, जबकि 17 मामले उप समितियों को सौपे गये है, जिनकी रिपोर्ट आनी है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि बजट भाषण में जिन विभागों में नई योजनाएं शुरू की गई है, उनके लिए बजट धनराशि की पर्याप्त व्यवस्था की जाय। यदि किसी योजना के लिए धनराशि कम पड़ रही हो, तो अनुपूरक बजट में रखा जाय। बजट भाषण में जिन योजनाओं को रखा गया है, उनको मूर्तरूप दिया जाय। किसी भी योजना के लिए धन की कमी को आड़े नही आने दिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये गये अगली बैठक में मंडुवा, चैलाई, फाफर आदि के संबंध में प्रस्ताव लाया जाय। साथ ही चिकित्सा स्वास्थ्य, आई.सी.डी.एस., पुलिस विभाग, पर्यटन व शिक्षा विभाग भी अपनी तरफ से मंडुवा, चैलाई, फाफर, काला भट्ट, रामदाना, झिंगोरा आदि की डिमांड बताये। इंटरमीडिएट में वानिकी और कृषि विषय को शामिल करने संबंधी शासनादेश को जल्द जारी किया जाय। इसके साथ ही मेरा गांव मेरा धन योजना के शासनादेश में चिकित्सा स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा, तकनीकी शिक्षा विभाग को विशेष रूप से शामिल किया जाय। मुख्यमंत्री श्री रावत ने निर्देश दिये कि भूमि संबंधी प्रकरणों के शीघ्र निस्तारण के लिए अलग से नीति बनायी जाय। शिक्षा आयोग के गठन का निर्णय कैबिनेट में लिया जा चुका है, लेकिन अभी तक इसके गठन की कार्यवाही नही की गई है। उन्होंने निर्देश दिये कि उच्च शिक्षा आयोग का शीघ्र गठन किया जाय।
बैठक में मुख्य सचिव एन. रवि.शंकर, अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री ओम प्रकाश, प्रमुख सचिव रणबीर सिंह, सचिव डाॅ.उमाकांत पंवार, महानिदेशक सूचना विनोद शर्मा आदि उपस्थित थे।