नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भूमि अधिनियम जैसे मुद्दों का समाधान निकालने तथा संसद का कामकाज प्रभावी तरीके से चलाने के लिए सामूहिक प्रयास करने की जरूरत है।
संसद का मानसून सत्र कल शुरू होने से पहले आज दोनों सदनों में सभी दलों के नेताओं की सर्वदलीय बैठक को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने इस मामले में समाजवादी पार्टी के श्री रामगोपाल यादव द्वारा व्यक्त विचारों का समर्थन किया।
प्रधानमंत्री ने कहा, ” संसद में प्रत्येक मुद्दे पर नियमों के तहत चर्चा होने देनी चाहिए। हमारा प्रयास संसद के प्रभावी कामकाज की दिशा में होना चाहिए। पिछले सत्र के दौरान यह फैसला किया गया था कि कुछ मुद्दों पर संसद के अगले सत्र के दौरान चर्चा की जाएगी। अभिव्यक्ति के लिए उपलब्ध सभी मंचों में से संसद सर्वश्रेष्ठ मंच है। वहां रचनात्मक बहस होनी चाहिए और सुझाव मिलने चाहिए। जैसाकि रामगोपालजी का कहना है, हमें मिल-जुलकर समाधान निकालना चाहिए। यह बात जरूर है कि संसद का कामकाज सामान्य तरीके से चलाने के लिए सरकार की जिम्मेदारी अधिक है लेकिन साथ ही आप लोगों का भी दायित्व है।”
संसदीय कार्य मंत्री श्री एम. वेंकैया नायडू ने सर्वदलीय बैठक में मीडिया में आ रही इन खबरों पर चिंता जाहिर की कि इस बार मानसून सत्र हंगामे की भेंट चढ़ जाएगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि ये खबरें सही साबित नहीं होंगी। उन्होंने कहा, ”सरकार को किसी भी मुद्दे पर किसी भी समय चर्चा कराने में कोई समस्या नहीं है। संसदीय लोकतंत्र में स्वस्थ चर्चा से अच्छा कोई विकल्प नहीं है। राज्यों से जुड़े किसी भी मुद्दे को संसद में उठाने के संबंध में गंभीर विचार-विमर्श करने की जरूरत है।” श्री वेंकैया नायडू ने कल से शुरू हो रहे मानसून सत्र के दौरान सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले, विचार किए जाने वाले और पारित कराए जाने वाले विधेयकों की जानकारी दी।
श्री नायडू ने इन नेताओं को बताया कि प्रधानमंत्री की मध्य एशियाई देशों की यात्रा और सरकार द्वारा की गई कुछ प्रमुख पहलों के बारे में सरकार सदन में बयान देना चाहती है। बाद में मीडिया से बातचीत करते हुए श्री नायडू ने जानकारी दी कि विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज ललित मोदी के यात्रा दस्तावेजों के संबंध में उन पर लगे आरोपों के बारे में सदन में बयान देना चाहती हैं। श्री नायडू ने कांग्रेस की इस्तीफों की मांग को खारिज कर दिया।
कांग्रेस के श्री गुलाम नबी आजाद ने कहा कि व्यापम और ललित मोदी से जुड़ा घटनाक्रम गंभीर है और सरकार को इस संबंध में कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने इन मामलों से जुड़े अन्य नेताओं के इस्तीफे की भी मांग की। उन्होंने कहा कि ये घटनाक्रम ‘सर्वांगी पतन’ को दर्शाते हैं।
समाजवादी पार्टी के श्री रामगोपाल यादव ने सुझाव दिया कि लेन-देन की पद्धति को अपनाकर भूमि अधिनियम मुद्दे का समाधान निकालने के लिए सरकार और विपक्ष को सामूहिक प्रयास करने चाहिए। उन्होंने सदन को सुचारू रूप से चलाने के प्रयासों को प्राथमिकता दी।
दो घंटे तक चली बैठक के दौरान विभिन्न नेताओं ने भारत-पाकिस्तान संबंधों और विदेश नीति, बढ़ती सामाजिक असमानताओं, किसानों की आत्महत्या और कृषि क्षेत्र के संकट, आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम से जुड़े मुद्दे, पदोन्नति में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण, तम्बाकू किसानों की समस्याओं, सामाजिक-आर्थिक और जातिगत गणना, उप राज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच संबंधों, 2016 में होने वाले ओलम्पिक की तैयारी, एमपीलैड योजना, उच्च शिक्षा से जुड़े क्षेत्र, पूर्वोत्तर क्षेत्र से जुड़े मुद्दे, जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक रबर के उत्पादन से जुड़े मुद्दे, डा. बी.आर.अम्बेडकर के 125वें जन्मदिन पर समारोह, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के बोर्ड में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने जैसे मुद्दों पर चर्चा कराने का सुझाव दिया।
संसद के दोनों सदनों में 29 दलों के कुल 42 नेताओं ने दो घंटे तक चली बैठक में भाग लिया। बैठक कल यानी 21 जुलाई 2015 से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र के लिए कार्य सूची पर विचार-विमर्श के लिए बुलाई गई थी।