विभिन्न नागरिक केंद्रित क्षेत्रों में सुधारों के लिए भारत सरकार द्वारा राज्यों को अतिरिक्त उधार अनुमतियों के अनुदान को जोड़ने से राज्यों को कारोबार में सुगमता को बढ़ावा देने के लिए सुधार करने हेतु प्रोत्साहन मिला है। 5 राज्यों ने अब तक कारोबार में सुगमता के लिए किए गए निर्धारित सुधारों को पूर्ण कर लिया है। इन राज्यों को खुले बाजार में उधार के माध्यम से 16,728 करोड़ रुपये के अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने की अनुमति दे दी गई है। ये राज्य आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना हैं। अतिरिक्त उधार अनुमतियों की राज्यवार राशि निम्नानुसार है:
राज्य | धनराशि (करोड़ रुपये में) |
आंध्र प्रदेश | 2,525 |
कर्नाटक | 4,509 |
मध्य प्रदेश | 2,373 |
तमिलनाडु | 4,813 |
तेलंगाना | 2,508 |
कारोबार में सुगमता देश में निवेश के अनुकूल व्यवसायी वातावरण बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेतक है। कारोबार में आसानी के लिए किए गए सुधारों से राज्य की अर्थव्यवस्था का तेजी से विकास हो सकेगा। इसलिए, भारत सरकार ने मई 2020 में कारोबार में आसानी के लिए सुधार कार्यों का कार्यान्वयन करने वाले राज्यों को अतिरिक्त उधार की अनुमति देने का निर्णय लिया है। इस श्रेणी में शामिल सुधार निम्नलिखित हैं:
(i)) ‘जिला स्तरीय कारोबार सुधार कार्य योजना’ के प्रथम मूल्यांकन की निष्पत्ति
(ii) कम से कम निम्नलिखित अधिनियमों के तहत विभिन्न गतिविधियों के लिए व्यवसायों द्वारा प्राप्त पंजीकरण प्रमाणपत्र/अनुमोदन/लाइसेंस के नवीकरण की आवश्यकताओं का निरसन: –
- दुकान और प्रतिष्ठान अधिनियम
- संविदा श्रम (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम, 1970
- कारखाना अधिनियम, 1948
- विधिक मापविज्ञान अधिनियम
- अन्तरराज्यीय प्रवासी श्रमिक (आरई एंड सीएस) अधिनियम, 1979
- औषधि विनिर्माण/विक्रय/भंडारण लाइसेंस
- नगर निगमों द्वारा जारी कारोबार लाइसेंस।
(iii) अधिनियमों के तहत, कम्प्यूटरीकृत केंद्रीय यादृच्छिक निरीक्षण प्रणाली का कार्यान्वयन, जिसमें निरीक्षकों का आवंटन केंद्रीय रूप से किया जाता है। बाद के वर्षों में इस निरीक्षक को समान इकाई की जिम्मेदारी नहीं दी जाती है। पूर्व निरीक्षण नोटिस व्यवसायी को प्रदान किया जाता है, और निरीक्षण के 48 घंटे के भीतर निरीक्षण रिपोर्ट अपलोड की जाती है। इस निरीक्षण के अंतर्गत निम्नलिखित शामिल है:
- समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976
- न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948
- दुकान और प्रतिष्ठान अधिनियम
- बोनस का भुगतान अधिनियम, 1965
- मजदूरी का भुगतान अधिनियम, 1936
- ग्रेच्युटी का भुगतान अधिनियम, 1972
- अनुबंध श्रम (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम, 1970
- कारखाना अधिनियम, 1948
- बॉयलर्स अधिनियम, 1923
- जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974
- वायु (रोकथाम और प्रदूषण का नियंत्रण) अधिनियम, 1981
- विधिक मापविज्ञान अधिनियम, 2009 और नियम
कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए संसाधन की आवश्यकता के मद्देनजर, भारत सरकार ने 17 मई, 2020 को राज्यों की उधार सीमा को उनके जीएसडीपी के 2 प्रतिशत तक बढ़ा दिया था। इस विशेष वितरण का आधा हिस्सा राज्यों द्वारा नागरिक केंद्रित सुधारों के उपक्रम से जुड़ा था। सुधारों के लिए पहचाने गए चार नागरिक केंद्रित क्षेत्र (ए) एक देश एक राशन कार्ड प्रणाली का कार्यान्वयन, (बी) कारोबार में सुगमता के लिए सुधार (सी) शहरी स्थानीय निकाय/ उपयोगिता सुधार और (डी) ऊर्जा क्षेत्र सुधार।
अब तक 10 राज्यों ने एक देश एक राशन कार्ड प्रणाली को लागू किया है, 5 राज्यों ने कारोबार में सुगमता के लिए सुधार किया है और 2 राज्यों ने स्थानीय निकाय सुधार किए हैं।
अतिरिक्त उधार अनुमतियों के अलावा, चार में से तीन सुधारों को पूरा करने वाले राज्य “पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता योजना” के तहत अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्राप्त करने के हकदार हैं। इस योजना के तहत, इस प्रयोजन के लिए 2,000 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है।
इन सुधारों को प्रारंभ करने और अतिरिक्त उधार लेने हेतु अधिक राज्यों को सुविधा देने के लिए, हाल ही में वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने राज्यों के लिए विभिन्न क्षेत्रों में नागरिक केंद्रित सुधारों को पूरा करने की समय सीमा बढ़ा दी थी। अब, यदि सुधार के कार्यान्वयन के संबंध में नोडल मंत्रालय की सिफारिश 15 फरवरी, 2021 तक प्राप्त हो जाती है, तो राज्य सुधार से जुड़े लाभों के लिए पात्र होगा।