लखनऊ: यूपी में संस्कृत भाषा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध राज्य सरकार ने 03 महीने में लगभग 65 सौ से अधिक लोगों को सरल संस्कृत सिखा दी है। जहां लोग संस्कृत को पढ़ना तो दूर समझ नहीं पाते थे। वहीं अब वो संस्कृत में अपने परिचय के साथ-साथ दैनिक उपयोगी शब्द भी संस्कृत में बोल रहे हैं। ‘अहं गच्छामि’, ‘अहं भोजनं करोमि’ जैसे वाक्य भाषा की मिठास से लोगों को आकर्षित कर रहे हैं।
सितम्बर से संस्कृत संभाषण की कक्षा जुड़े प्रयागराज के अमित सिंह कहते हैं कि सरकार का यह प्रयास सरहानीय है। वो सरकार को इस बात के लिए धन्यावाद देते हैं कि उन्होंने इतनी इनोवेटिव योजना से जन-जन को जोड़ने का काम किया। मध्य प्रदेश के पुनीत बताते हैं कि संस्कृत हमारी मातृ भाषा है और योगी सरकार ने भाषा का संरक्षण ही नहीं बल्कि हमारे आदर्शों और पूर्वजों के परिश्रम को भलीभांति संमझा है। वो अपनी बात को समाप्त करते हुए कहते हैँ धन्यवाद योगी सरकार ! लखनऊ के दीपक कौशिक संस्कृत को सीखने की यह योजना काफी रोचक है, संस्कृत पढ़ाने का तरीका वास्तव में सरल है।
संस्थान की मिस्डकॉल योजना से जहां लोगों में संस्कृत के प्रति रुझान बढ़ रहा है वहीं लगातार संस्कृत सीखने वालों की पंजीकरण संख्या बढ़ी है। बीते 03 महीनों में प्रथम स्तरीय संस्कृत भाषा शिक्षण के लिये कुल 17480 पंजीकृत हुए। इनमें से 6434 लोगों का 132 ओनलाईन कक्षाओं के माध्यम से शिक्षण किया गया ।
डॉक्टर, इंजीनियर, व्यापारी, विद्यार्थी या नौकरी पेशा कोई भी व्यक्ति संस्कृत बोलने, पढ़ने और सीखने का निशुल्क प्रशिक्षण ले सकते हैं। इसके लिये आपको मोबाइल फोन नंबर 9522340003 मिसकॉल देनी होगी। जिसके बाद आपके मोबाइल पर एक ओटीपी आएगी और फिर गूगल फार्म भरना होगा। फार्म में व्यवसाय के साथ पढ़ाई और अन्य जानकारियां भरनी होंगी। व्यवसाय के अनुरूप ग्रुपवार इसमें संस्कृत की पढ़ाई कराई जाएगी।