देहरादून: मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री आवास स्थित जनता मिलन हाॅल में माननीय न्यायालयों में आबद्ध विधि अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में विधायक श्री मुन्ना सिंह चैहान, महाधिवक्ता श्री एस.एन बाबुलकर, मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव श्री ओमप्रकाश, श्रीमती राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव न्याय श्रीमती मीना तिवारी, प्रमुख सचिव गृह श्री आनन्द वर्द्धन, सचिव श्री नितेश झा, श्री दिलीप जावलकर सहित न्यायलयों के महा अधिवक्ता, अपर महाअधिवक्ता, उप महाअधिवक्ता व आॅन रिकाॅर्ड अधिवक्ताओं सहित अन्य अधिवक्ता शामिल थे।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि शासन एवं अधिवक्ताओं के बीच बेहतर समन्वय बने इसके लिए इस तरह की बैठकों का आयोजन आगे भी किया जायेगा। बैठक में चर्चा के दौरान आये सुझावों को अनुपालन करने के निर्देश दिये। न्यायालय सम्बन्धी मामलों के सही समाधान के लिए शासन एवं अधिवक्ताओं के बीच बेहतर समन्वय एवं टीम वर्क के साथ कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि न्यायालयों में मामलों के शीघ्र निस्तारण के लिए विभागवार अधिवक्ताओं की टीम बनाई जाय। ताकि विभाग की कार्यप्रणाली को समझकर सभी मामलों को न्यायालय के समक्ष कुशलता पूर्वक प्रस्तुत करें, जिससे आने वाले समय में न्यायालय सम्बन्धी मामलों के निस्तारण में अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे। न्यायालयों के समक्ष जितनी सक्षमता से हम अपना पक्ष रखेंगे, उतनी तेजी से मामलों का निस्तारण होगा। इसके लिए बेहतर संवाद का होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास यह होना चाहिए कि अदालतों में अपना पक्ष समय पर व सही तरीके से रखा जाए।
मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि न्यायलयों से सम्बन्धित मामलों में शासन के अधिकारियों, विभागीय अधिकारियों एवं अधिवक्ताओं को एक दूसरे से समन्वय कर कार्यकुशलता एवं पारदर्शिता के साथ आगे बढना होगा। सिस्टम को किस तरह इम्प्रूव किया जा सकता है, इसके लिए जिम्मेदारी निर्धारित कर आगे बढ़ना होगा।
प्रदेश के महाधिवक्ता श्री एस.एन बाबुलकर ने कहा कि बैठक में शासन एवं वरिष्ठ अधिवक्ताओं द्वारा जो मसले रखे गये हैं, उनका उचित समाधान किये जाने का प्रयास किया जायेगा।
बैठक में रिट याचिकाओं का समय से प्राप्ति के उपायों, प्रतिशपथपत्रों के काउण्टर फाईल की गुणवत्ता में सुधार, न्यायालयों के मामलों में शासन के अधिकारियों एवं अधिवक्ताओं के बीच कैसे बेहतर समन्वय स्थापित किया जा सकता है आदि मसलों पर विस्तार से चर्चा की गई।