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शिशु भवन में बच्‍चों की मृत्‍यु होने के मामले में ओडिशा की सहायता के लिए स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय का विशेषज्ञ दल

देश-विदेश

नई दिल्ली: कटक, ओडिशा स्थित त्रिस्‍तरीय सेवा रेफरल अस्‍पताल सरदार वल्‍लभभाई स्‍नात्‍कोत्‍तर बाल रोग संस्‍थान, जिसे शिशु भवन के नाम से भी जाना जाता है, में बच्‍चों की मृत्‍यु के संबंध में मीडिया में छपी खबरों का संज्ञान लेते हुए केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री श्री जे पी नड्डा ने निर्देश दिया है

कि बाल रोग विशेषज्ञों का एक दल ओडीशा भेजा जाए ताकि बच्‍चों की मृत्‍यु के कारणों का पता लगाया जाए और इस संबंध में राज्‍य को हर संभव सहायता दी जाए। विशेषज्ञ दल यह सलाह भी देगा कि भविष्‍य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों और उसके लिए किस प्रकार प्रबंधन और तैयारी की जाए।

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय को यह आदेश भी दिया है कि आवश्‍यक विशेषज्ञों का एक दल ओडिशा भेजा जाए ताकि बच्‍चों के नाजुक रोगों की समस्‍याओं से निपटा जा सके।

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय में अवर सचिव डॉ. अरूणा के पांडा के नेतृत्‍व में तीन विशेषज्ञों का दल ओडिशा गया है। इस दल में लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, डॉ. राममनोहर लोहिया अस्‍पताल और सफदरजंग अस्‍पताल के बाल रोग विशेषज्ञ शामिल हैं। इस दल को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान, भुवनेश्‍वर के एक सहायक प्रोफेसर सहायता प्रदान कर रहे हैं। यह दल 29 अगस्‍त, 2015, दिन शुक्रवार को ओडिशा पहुंचा और संस्‍थान के बाल रोग विभाग के वरिष्‍ठ चिकित्‍सक-अध्‍यापकों, मेडिकल सुपरी‍टेंडेंट और डीन के साथ विस्‍तृत बातचीत की। दल के सदस्‍यों ने उन बच्‍चों के केस-शीटों की जांच की जिनकी मृत्‍यु 21 अगस्‍त से लेकर 26 अगस्‍त, 2015 के बीच हो गयी थी। सदस्‍यों ने वार्डों, आईसीयू और प्रयोगशालाओं का दौरा भी किया।

संस्‍थान के इस दौरे के बाद दल ने नाजुक मामलों से निपटने की तैयारी और क्षमताओं में सुधार के लिए कई सुझाव दिए। फौरी और अल्‍पकालिक उपायों के तहत और सीनियर रे‍सीडेंट की तैनाती सहित अस्‍पताल के अंदर आपातकालीन स्थिति में जांच की सुविधाएं बढ़ाने, प्रयोगशाला के तकनीशियनों, एक्‍सरे तकनीशियनों और पैरामेडिकल स्‍टॉफ की संख्‍या बढ़ाने का सुझाव दिया ताकि 24 घंटे चिकित्‍सा सेवा उपलब्‍ध हो सके। इसके अलावा जीवन रक्षक दवाओं और एंटीबायोटिक को नि:शुल्‍क उपलब्‍ध कराने, आपात स्थितियों में और अधिक नर्सिंग स्‍टॉफ की तैनाती तथा संक्रमण निगरानी प्रणाली को मजबूत करने की आवश्‍यकता पर बल दिया।

दीर्घकालिक उपायों के तहत विशेषज्ञों के दल ने सुझाव दिया कि संस्थान में मेडिकल और पैरामेडिकल पदों पर और नियुक्तियां की जाएं, प्रयोगशाला और जांच सुविधाएं 24 घंटे उपलब्‍ध हों तथा मेडिकल रिकार्ड प्रणाली का कंप्‍यूटरीकरण किया जाए ताकि किसी भी समय आवश्‍यकता पड़ने पर जांच रिपोर्ट और आंकड़े देखे जा सकें। इसके अलावा काउंसलरों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की नियुक्ति करने का सुझाव भी दिया गया।

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