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नई दिल्ली में केन्द्रीय ऊर्जा एवं कोयला राज्य मंत्री के साथ उत्तर प्रदेश की विद्युत परियोजनाओं के अनुमोदन के लिए बैठक

उत्तर प्रदेश
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के ऊर्जा राज्य मंत्री श्री यासर शाह ने आज नई दिल्ली में केन्द्रीय ऊर्जा एवं कोयला राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल के साथ बैठक में प्रदेश की ऊर्जा आवश्यकताओं एवं ऊर्जा परियोजनाओं से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया तथा उनके निराकरण का अनुरोध किया।

ऊर्जा राज्य मंत्री ने केन्द्रीय ऊर्जा एवं कोयला मंत्री से अनुरोध किया कि भारत सरकार उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और झारखण्ड जैसे कोयला प्रधान राज्यों में जहां विद्युत की अतिरिक्त उपलब्धता है, विद्युत की कमी वाले राज्यांे को दीर्घकालिक विद्युत क्रय अनुबन्ध (पी0पी0ए0) के माध्यम से विद्युत उपलब्ध कराने के लिए अधिकृत करे। उन्होंने कहा कि अनपरा ‘डी’ विद्युत परियोजना को 85 प्रतिशत की क्षमता पर चलाने के लिए प्रतिवर्ष 50 लाख टन कोयले की आवश्यकता होगी। आयातित कोयले पर आने वाली उच्च लागत को समाप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि उत्तर प्रदेश जैसे बन्दरगाह विहीन राज्यों को कोल लिंकेज की सुविधा दी जाय ताकि विद्युत संयंत्रों को 85 प्रतिशत क्षमता पर चलाने के लिये कोयले की आपूर्ति हो सके।
ऊर्जा राज्य मंत्री ने कहा कि उपभोक्ताओं पर बढ़ते हुए अतिरिक्त भार को कम करने के लिए यह आवश्यक है कि ललितपुर में बजाज हिन्दुस्तान द्वारा समझौता ज्ञापन (एम0ओ0यू0) रूट से स्थापित की जा रही 1980 मेगावाट तापीय विद्युत परियोजना को भी विद्युत क्षेत्र के लिए अधिसूचित मूल्य पर ही कोयले की आपूर्ति की जाय। उन्होंने कहा कि प्रदेश में एम0ओ0यू0 रूट से 4 तापीय विद्युत संयंत्रों की स्थापना की जा रही हैं, जो अपनी सम्पूर्ण उत्पादित ऊर्जा को उत्तर प्रदेश को ही बेचने के लिए वचनबद्ध हो चुकी हैं। इसलिए इन विद्युत गृहों को भी राज्य क्षेत्र की परियोजनाएं मानते हुए, इन्हें भी कोयले का आवंटन किया जाना चाहिए।
प्रदेश में अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट की स्थापना के लिए भारत सरकार सहमत है। इसी के मद्देनजर जनपद एटा में आवश्यक भूमि को चिन्हित कर लिया गया है। इसी तरह करछना में भी अल्ट्रा मेेगा पावर प्रोजेक्ट की स्थापना की जा सकती है, जहां 1320 मेगावाट के लिए भूमि व पानी की उपलब्धता है तथा आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त पानी व भूमि की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जा सकती है। इस मामले में भारत सरकार तत्काल अग्रेत्तर कार्रवाई करे ताकि परियोजना की स्थापना शीघ्रातिशीघ्र हो सके।
ऊर्जा राज्य मंत्री ने कहा कि राज्य की पारेषण एवं वितरण संस्थाओं को फण्ड का वितरण करने के लिए केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने पावर सिस्टम डेवलपमेंन्ट फण्ड की स्थापना की है, जो केन्द्रीय विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के तहत संचालित है। इसी के मद्देनजर यू0पी0 पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन ने 535 करोड़ रुपये की योजनाएं प्रेषित की हैें, जिसमें पारेषण लाइन के वर्तमान कन्डक्टरों को उच्च क्षमता के कंडक्टरों से प्रतिस्थापित किया जाना है। उन्होंने अनुरोध किया कि इसके लिए तत्काल धन की मंजूरी दी जाय। इसके अलावा पारेषण लाइनों एवं उपकेन्द्रों के सुदृढ़ीकरण के लिए 5861.47 करोड़ रुपये की योजनाएं भारत सरकार को प्रेषित की गयी है जिसमें से मात्र 900 करोड रुपये की योजनाओं को मंजूरी दी गयी है। उन्होंने अवशेष धनराशि को भी शीघ्र स्वीकृत करने का अनुरोध किया ताकि इन परियोजनाआंे को पूर्ण कर शहरी क्षेत्रों में 22 से 24 घण्टे विद्युत आपूर्ति की जा सके।़ इसके अलावा पारेषण लाइनों की स्थापना से संबंधित पर्यावरणीय अनुमोदन के लिए राज्य सरकार को शक्तियों का प्रतिनिधायन (डेलीगेशन आॅफ पावर) करने, मानसून से पूर्व विद्युत संयंत्रों को पर्याप्त कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित करने आदि अन्य मामलों पर भी राज्य सरकार का पक्ष भारत सरकार के सामने रखा गया। केन्द्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री ने संबंधित मांगों पर सकारात्मक कदम उठाने का आश्वासन दिया।
बैठक में ऊर्जा राज्य मंत्री के अलावा प्रमुख सचिव ऊर्जा एवं अध्यक्ष पावर कारपोरेशन श्री संजय अग्रवाल, विद्युत उत्पादन निगम के प्रबन्ध निदेशक श्री संजय प्रसाद एवं निदेशक वित्त श्री एस0के0अग्रवाल भी उपस्थित थे।

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