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इलाको में बिजली, पानी, सड़क, सिंचाई, खाद्यान्न सहित सभी अवस्थापना सुविधाओं को प्राथमिकता के तौर पर मुहैया कराने हेतु निर्देश दिए: मुख्यमंत्री हरीश रावत

उत्तराखंड
देहरादून: मंगलवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रदेश के समस्त जिलाधिकारियों के साथ विडियो कांफ्रेंसिंग कर विगत दिनों आई दैवीय आपदा

से प्रभावित इलाको में बिजली, पानी, सड़क, सिंचाई, खाद्यान्न सहित सभी अवस्थापना सुविधाओं को प्राथमिकता के तौर पर मुहैया कराने हेतु निर्देश दिए। मुख्यमंत्री श्री रावत बुधवार को आपदा प्रभावित क्षेत्र घनसाली का दौरा भी करेंगे। मुख्यमंत्री श्री रावत ने आपदा राहत कोष में प्रत्येक जनपद हेतु एक-एक करोड़ रूपए जारी किये।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि प्रभावित परिवारों को तत्काल सहायता राशि उपलब्ध कराई जाए। मानक के अनुरूप प्रभावित क्षेत्रों में ब्लाक प्रमुख, एसडीएम एवं अन्य अधिकारियों एवं कर्मचारियों सहित टीम बनाकर निरीक्षण किया जाय। उन्होने कहा कि हमारा पूर्ण प्रयास है कि कोई भी प्रभावित परिवार सहायता से वंचित न रह पाये। उन्होने वीडियो कांफ्रेंसिंग में जिलाधिकारी चमोली को निर्देश दिये कि थराली के प्रा0विद्यालय आगरा में रह रहे आपदा प्रभावितों को सुरक्षित स्थानों में ठहारने की व्यवस्था कर उन्हें आवास बनाने के लिए एकमुश्त राशि हेतु प्रस्ताव तैयार किया जाए। उन्होने सभी जिलाधिकारियों को दिशा निर्देश देते हुए कहा कि जितने भी नाले एवं गधेरे आदि आपदा सम्भावित क्षेत्रों को रेखांकित कर उधर निवास कर रहे लोगों को सर्तक किया जाए। मुख्यमंत्री श्री रावत ने आपदा प्रबन्धन विभागो के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक गांव से दो-तीन लोगो को शारीरिक प्रशिक्षण देकर स्वंय सेवी के रूप में तैयार किये जाये। उन्होने एसडीआरएफ को निर्देश देते हुए कहा कि गुरिल्ला के साथ-साथ एक एसोशिएट फोर्स भी बनायी जाए जिस हेतु राज्य सरकार प्रत्येक माह वित्तीय सहायता भी देगी। मुख्यमंत्री ने लो0नि0वि के अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि बन्द सड़क मार्ग को खोलने के लिए अधिशासी अभियन्ता को फिक्स टारगेट दे। इन सड़को की जानकारी रिजनल चीफ इंजीनियर के पास भी होनी चाहिए। आपदा से बन्द सड़क खुलवाने के मानक 60 हजार रूपए/कि0मी0 होने की दशा में मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि इसको बढ़ाने हेतु केन्द्र सरकार को पत्र भेजा जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि जनपद उत्तरकाशी में आपदा से क्षतिग्रस्त सिलक्यारा-कोटधार-जिब्या मोटर मार्ग बनाने हेतु शीघ्र प्रस्ताव बना कर प्रस्तुत करें। कल्याणी-जुणगा मोटर मार्ग में पानी से भू-धसाव से डामडा गांव को उत्पन्न हो रहे खतरे को ठिक करने हेतु जिलाधिकारी उत्तरकाशी को उक्त स्थल में डीडीएमए के तहत कार्यदायी संस्थान को मार्ग सही करने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी उत्तरकाशी द्वारा बताया गया कि आपदा से 21 सड़के बन्द हुई थी जिनमें 20 को खोल दिया गया है। वहीं चिन्यालीसौड ब्लाक में छः पेयजल लाइन ध्वस्त हुई है। जिनमें बुधवार तक पानी की सप्लाई कर दी जायेगी। भटवाड़ी एवं चिन्यालीसौड में 66 गांव में विद्युत लाइन बन्द पड़ी है जिनमें 3 जून तक विद्युत आपूर्ति करा दी जाएगी। उत्तरकाशी एवं घनसाली में आपदा से 18 नहरे ध्वस्त हुई है। जिनपर मुख्यमंत्री ने सिंचाई विभाग को वैकल्पिक व्यवस्था से सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने के निर्देश देने के साथ ही उन्होने अधिक ध्वस्त हुई नहरो के पुर्नर्निमाण हेतु धनराशि का प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए।  सिचाई विभाग द्वारा बताया गया कि विभाग के आकस्मिक निधि में 5 करोड़ की धनराशि उपलब्ध है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में प्रभावितों को राहत देने हेतु डिमांड को न्यूनतम रूप में भेंजे जिससे की यथाशिघ्र उनतक सहायता पंहुच पाए। विधायक अनुसूया प्रसाद मैखुरी द्वारा बताया गया कि कर्णप्रयाग में कालेश्वर नदी का डायवर्जन होने से खतरा बना हुआ है। इस पर मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि ऐसे गांव जिन पर खतरा लग रहा है उन गांव में मलबा हटाने की योजना बनाकर प्रस्तुत करे। साथ ही अतिरिक्त बजट की आवश्यकता होने पर भी शीघ्र सचिव वित को प्रस्ताव भेजे।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने सचिव वित्त को निद्रेश दिए कि सभी जनपदो हेतु सिचाई के लिए अलग से एक हैड बनाया जाय। आपदा राहत हेतु उपकरण को खरीदने हेतु सभी जिलाधिकारियों को वित्तीय स्वीकृति भेजी जा रही है। जिनमें 15 लाख छोटे जनपद एवं 25 लाख की धनराशि बडे जनपद को दी जा रही है।  मुख्यमंत्री ने शीतकाल एवं ग्रीष्मकाल के आवासीय घरो को आपदा से क्षतिग्रस्त होने पर निर्देश दिए कि दैवीय आपदा के मानक पर लाए। दूरसंचार बाधित होने के मामले पर मुख्य सचिव को निर्देश देते हुए कहा कि बीएसएनएल के शीर्ष अधिकारी एवं पाईवेट कम्पनी के साथ बैठक के आमंत्रित करे। पौड़ी में देवलगांव, बडकोट, चरागांव परसुन्डाखा, जामवर, दुंगली, रवास्यूं, अगरोड़ा आदि गावों में निरीक्षण करें। यदि पटवारी ने दैवीय आपदा में गलत रिपोर्ट की है तो उसको निस्कासित करें। सरकारी योजनाओं का लाभ पात्र लोगों को मिलना चाहिए। थराली, श्रीनगर पुल, बग्वान पुल, बौरागाड़, चोपडा, नारायणबगड, नंदप्रयाग आदि पुल जो मंजूर हुए है वर्ल्ड बैंक से बैठक कर कार्यों में तेजी लाएं । मुख्यमंत्री ने इन कार्यों के अभी तक शुरू न होने पर नाराजगी भी व्यक्त की। त्यूनी एवं चकराता क्षेत्र में दैवीय आपदा से प्रभावित क्षेत्रों के लोगो को सहायता तत्काल उपलब्ध कराई जाए। चकराता क्षेत्र में अधिकारी समिति बनाकर जांच कराए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सोमेश्वर में दैवीय आपदा से जो मलबा आया है उसे हटाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी, कानूनगो रिटायर हो रहें है, उन्हें प्रदेश भर में 1 वर्ष का सेवा विस्तार देंगे। उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए है कि जो तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी पिछले 6 महीने में रिटायर हुए है उन्हें भी 1 वर्ष का सेवा विस्तार किया जाए।
मुख्यमंत्री ने सचिव आपदा अमित नेगी को निर्देश दिए कि वे आपदा प्रबंधन से संबंधित अपनी पूर्ण तैयारियों से आपदा प्रबंधन को दे ताकि आपदा प्रबंधन तुरन्त इसका फीडबैक ले सकें। उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि आपदा प्रभावितों को सुविधाएं मुहैया कराएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षतिग्रस्त छोटे भवनों के लिए 1.5 लाख रूपये एवं बडे घरों के लिए 2 लाख की सहायता की गई है। उन्होंने कहा कि दैवीय आपदा में पानी, बिजली, सड़क आदि मूलभूत सुविधाएं इन क्षेत्रों में की जाए।  मुख्यमंत्री ने कहा कि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बद्रीनाथ जाने वाले यात्रियों को रात्रि आठ बजे के बाद जोशीमठ से आगे ना जाने दिया जाए। प्रशासन इसका व्यापक प्रचार प्रसार करने के साथ ही ऋषिकेश एवं हरिद्वार में भी बैनर लगाए जाए।

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