लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री दीपक सिंघल ने निर्देशित किया हैं कि प्रदेश में यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से लागू की जाने वाली ‘‘एकीकृत यातायात प्रबंधन प्रणाली’’ एवं ‘‘स्मार्ट सिटी सर्विलांस योजना’’ हेतु जमीनी हकीकत को ध्यान में रखकर प्रस्ताव तैयार किया जाये, ताकि वह जन आकांक्षाओं पर खरा उतर सके। इस योजना के अन्तर्गत प्रथम चरण में लखनऊ एवं गौतमबुद्धनगर में इस परियोजना की शुरुआत की जायेगी जिसके लिये उन्होंने विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं।
मुख्य सचिव आज शास्त्री भवन स्थित कमाण्ड सेण्टर में वीडियो कान्फ्रेन्सिंग के माध्यम से परियोजना से जुड़े जनपदों के संबंधित अधिकारियों से वार्ता की। उन्होंने यह भी निर्देश दिये हैं कि नोएडा में अथाॅरिटी द्वारा इस परियोजना का क्रियान्वयन कराया जाये तथा लखनऊ में प्रदेश सरकार इसमें सहयोग करेगी। उन्होंने इसके लिए व्यावहारिक प्रस्ताव विकास प्राधिकरण, नगर निगम, जिलाधिकारियों, मण्डलायुक्तों व अन्य सम्बन्धित विभागों को मिलकर तैयार कर शीघ्र प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं।
इस अवसर पर प्रमुख गृह श्री देबाशीष पण्डा, पुलिस महानिदेशक श्री जावीद अहमद, गृह सचिव श्री कमल सक्सेना, अपर पुलिस महानिदेशक यातायात श्री अनिल अग्रवाल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के 12 नगरों क्रमशः लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, आगरा, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली, अलीगढ़ व गोरखपुर के नगरीय क्षेत्र में यह योजना लागू किये जाने का प्रस्ताव है। एकीकृत यातायात प्रबंधन प्रणाली के अन्तर्गत प्रदेश की सड़को पर यातायात व्यवस्था को अनुशासित, सुव्यवस्थित एवं सुचारू रूप से चलाने के उद्देश्य से यातायात के दबाव का आकलन कर प्रमुख मार्गो पर केन्द्रीयकृत आधुनिक यातायात संकेतक, आवश्यक सूचनात्मक संकेत तथा अन्य उपकरणों आदि की व्यवस्था की जायेगी। साथ ही चैराहो की रोड इंजीनियरिंग को भी दुरूस्त किया जायेगा। योजना के तहत सीसीटीवी कैमरे स्थापित किये जायेंगे, जिसकी रिकार्डिंग नियंत्रण कक्ष में देखी जायेगी तथा उसे सुरक्षित भी किया जायेगा। स्मार्ट सिटी सर्विलांस योजना के अंतर्गत विभिन्न स्थानों पर फिक्स कैमरे, पीटीजेट कैमरे, एनपीआर कैमरे, पी0ए0 सिस्टम, इमरजेंसी काॅल बाक्स, वीडियो एनालिटिक्स आदि लगाये जाने की योजना है। इसके माध्यम से सार्वजनिक स्थलों पर जनसामान्य की सुरक्षा में गुणात्मक सुधार होगा तथा अपराधियों पर प्रभावी अंकुश लगाने में सहायता मिलेगी।