धानाचुली (नैनीताल)/ देहरादून: नैनीताल के दुर्गम क्षेत्र धानाचुली में पांच दिवसीय कुमायू साहित्यकार उत्सव का शुभारम्भ मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत द्वारा किया गया।
देश व विदेश से आये साहित्यकारों, कवियों, लेखकों एवं फिल्मकारों का स्वागत करते हुये मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड का साहित्य पूरे विश्व में मान्य है। रविन्द्रनाथ टैगोर,सुमित्रानन्दन पंत, महादेवी वर्मा जैसे सैकडों साहित्यकारों ने देवभूमि में शान्त एवं प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच जो साहित्य सृजन किया वह अद्वितीय, बेजोड एवं बेमिसाल है। उन्होने इस आयोजन के लिए आयोजको को बधाई देते हुये कहा कि निश्चय ही देश विदेश एवं उत्तराखण्ड के साहित्यकारों के बीच जो समागम होगा, उससे नई विचारधारा जन्म लेगी। श्री रावत ने कहा कि प्रदेश सरकार साहित्यकारों, कवियों, लेखकों एवं फिल्मकारों को साहित्य सृजन के लिए विशेष सुविधायें दे रही है। प्रदेश सरकार द्वारा नई फिल्मनीति भी प्रचलित कर दी गयी है।
अपने सम्बोधन में पद्मश्री डा0 शेखर पाठक ने कहा कि कुमायू एवं गढवाल का साहित्य सदियों पुराना है। देवभुमि के साहित्य और कविता ने देश दुनियां को दिशा दी है। हमें इस प्रकार के सेमिनार उत्तराखण्ड के दूरदराज इलाकों मे भी करने होंगे। डा0 पाठक ने कहा देवभूमि में ईला जोशी, शिवानी,रमेश उप्रेती, गोविन्द लामा, चारू चन्द पाण्डे,तारापाण्डे, गोबिन्द बल्लभ पंत,पे्रम सिह नेगी, यमुनादत्त वैष्णव, बलवन्त मनराल, विरेन्द्र डंगवाल, जिम कार्वेट, रसकिन बाॅण्ड जैसे अनेको साहित्यकारों ने सृजन किया है। उन्होने बताया कि नैनीताल में 1818 में विनोद समाचार पत्र का प्रकाशन हुआ था। साहित्य नगरी अल्मोडा से 1918 से शक्ति समाचार पत्र का प्रकाशन हो रहा है।
कार्यक्रम में लेखिका जहांनवी प्रसाद, बरखा दत्त, विवेका ट्रॅवेरा, ऋषि सूरी, डा0 विवेक देवराय, डा0 रकशानन्द, विक्रम सम्पत, फहद समर, अनुजा चैहान के अलावा पाकिस्तान से आयी अमिना सयैद के अलावा अन्य लोगों ने सम्बोधित किया।