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पिछले 2 वर्षों में एससी और ओ‍बीसी छात्रों को करोड़ रुपए की छात्रवृत्तियां मिलीं

देश-विदेश

नई दिल्ली: एक समावेशी समाज के निर्माण के लिए, जिसमें कि अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग

उत्पादक, सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सकें, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा उनके विकास एवं वृद्धि में सहायक विभिन्न योजनाएं लागू की जाती हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य इन लक्षित समूहों का आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक सशक्तिकरण करना है।

अनुसूचित जाति के शैक्षिक स‍शक्तिकरण के लिए उपाय

       मैट्रिक या माध्यमिक स्तर पर अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए अनुसूचित जाति के छात्रों को सक्षम बनाने के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग मैट्रिक के बाद छात्रवृत्ति के रूप में आर्थिक मदद देता है। प्राथमिक स्कूलों, उच्च माध्यमिक स्‍कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले अनुसूचित जाति के लड़कों और लड़कियों को होस्टल सुविधाओं के लिए भी सहायता दी जाती है।   सरकार विश्वविद्यालयों, शोध संस्थानों और वैज्ञानिक संस्थानों में एम. फिल, पीएच.डी और समतुल्य शोध करने वाले अनुसूचित जाति के छात्रों को आर्थिक सहायता भी दी जाती है।  सिर्फ इतना ही नहीं, चुने हुए अनुसूचित जाति के छात्रों को विदेशों में भी मास्टर स्तर के पाठ्यक्रम और पीएचडी की ऊंची पढ़ाई के लिए राष्ट्रीय विदेशी छात्रवृत्तियां दी जाती हैं।

      2014-15 और 2015-16 के दौरान सामाजिक कल्याण और सशक्तिकरण विभाग ने विभिन्न योजनाओं के तहत लगभग 7,465 करोड़ की छात्रवृत्तियां दी हैं, जैसेकि – पूर्व मैट्रिक, मैट्रिक के बाद, राष्ट्रीय विदेशी, राष्ट्रीय फेलोशिप और ईबीसी के लिए डॉ. अंबेडकर मैट्रिक के बाद की छात्रवृत्तियां अनुसूचित जातियों, अन्य पिछड़ा वर्ग, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों आदि के छात्रों के लिए चलाई जाती हैं। छात्रवृत्तियों से लगभग 3,30,64,900 छात्र को लाभ हुआ है।

आर्थिक सशक्तिकरण के उपाय 

      चालू वित्त वर्ष के दौरान अनुसूचित जाति उप योजना (एससीएसपी) के लिए अतिरिक्‍त रूप से राज्‍यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 38,832 रुपए आवंटित किए गए हैं। इसका मुख्य उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले अनुसूचित जाति के परिवारों के आर्थिक विकास की योजनाओं पर जोर देना है।

      सरकार ने स्टैंडअप इंडिया अभियान के तहत भी 2.5 लाख अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों के लिए आर्थिक सहायता देने का निर्णय किया है।

इन लक्षित समूहों के आर्थिक सशक्तिकरण के अन्‍य उपायों में शामिल हैं :

  • 500 करोड़ रुपये की लागत से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों के लिए केंद्र बनाए जा रहे हैं।
  • मुद्रा योजना के तहत 3.22 करोड़ ऋण दिए गए, जिनमें 72.89 लाख ऋण अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति उद्यमियों को दिए गए।
  • राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम द्वारा ऐसी 250 महिलाओं को मोटर ड्राइविंग प्रशिक्षण दिया गया है, जो सफाई कर्मचारी हैं या जिन पर आश्रित है, इनमें से 60 महिलाओं को रोजगार मिला है।

अनुसूचित जाति का सामाजिक सशक्तिकरण

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अत्याचारों की जाँच करने के प्रावधानों को मजबूत करने के लिए, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम (अत्याचार निवारण) में संशोधन किया गया है, और नया अधिनियम 26.1.2016 से लागू किया गया है। नए प्रावधान अनुसूचित जाति के सामाजिक सशक्तिकरण में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

संसद ने पिछले साल संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश (संशोधन) अधिनियम 2015 पारित किया था, जिसमें हरियाणा, कर्नाटक, ओडिशा और दादर और नगर हवेली के नए समुदायों को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल किया गया था और अब उन्‍हें भी वे उन सभी योजनाओं के लाभ मिलेंगे, जो अनुसूचित जाति के सशक्तिकरण के लिए चलाई जा रही हैं।

ये सभी उपाय निश्चित रूप से अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़े वर्गों के शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक विकास में योगदान देंगे।

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