आज नई दिल्ली में केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह की उपस्थिति में असम के मुख्यमंत्री श्री हिमंत बिस्वा सरमा और मेघालय के मुख्यमंत्री श्री कोनराड के. संगमा ने असम और मेघालय राज्यों के बीच अंतरराज्यीय सीमा विवाद के कुल बारह क्षेत्रों में से छह क्षेत्रों के विवाद के निपटारे के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के शांतिपूर्ण और समृद्ध पूर्वोत्तर के विजन की पूर्ति की दिशा में यह एक और मील का पत्थर है। इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्रालय, असम सरकार और मेघालय सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि आज का दिन एक विवादमुक्त नॉर्थईस्ट के लिए ऐतिहासिक दिन है। उन्होंने कहा कि 2014 में जब श्री नरेन्द्र मोदी जी देश के प्रधानमंत्री बने, तब से मोदी जी ने नॉर्थईस्ट की शांति प्रक्रिया, विकास, समृद्धि और सांस्कृतिक धरोहर के संवर्धन लिए अनेक प्रयास किए हैं, जिसके हम सभी साक्षी हैं। उन्होंने कहा कि 2019 में गृह मंत्री बनने के बाद जब मैं प्रधानमंत्री से मिलने गया तो उन्होंने इन चारों क्षेत्रों में सरकार की प्राथमिकताओं के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि 2019 से 2022 तक का ये सफ़र एक बहुत बड़ा माइलस्टोन हासिल करने में सफल रहा है।
श्री अमित शाह ने कहा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने उग्रवाद को समाप्त करने और पूर्वोत्तर के राज्यों में स्थायी शांति के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में उग्रवादियों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए अगस्त, 2019 में NLFT (SD) समझौते पर हस्ताक्षर किए गए जिसने त्रिपुरा को एक शांत राज्य बनाने में बहुत बड़ा योगदान दिया। फिर 23 साल पुराने ब्रू-रियांग शरणार्थी संकट को हमेशा के लिए हल करने के लिए 16 जनवरी, 2020 को एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इसके अंतर्गत 37,000 से ज़्यादा आदिवासी भाई-बहन जो कठिन जीवन जी रहे थे, वो आज सम्मानपूर्वक जीवन जी रहे हैं। श्री शाह ने कहा कि 27 जनवरी 2020 को हस्ताक्षरित बोडो समझौता किया गया जिसने असम के मूल स्वरूप को बनाए रखते हुए 50 साल पुराने बोडो मुद्दे को हल किया। असम और भारत सरकार ने इस समझौते की 95 प्रतिशत शर्तों को पूरा कर लिया है और आज बोडोलैंड एक शांत क्षेत्र के रूप में जाना जाता है और विकास के रास्ते पर अग्रसर है। 4 सितंबर, 2021 को असम के कार्बी क्षेत्रों में लंबे समय से चले आ रहे विवाद को हल करने के लिए कार्बी-आंगलोंग समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इसके अंतर्गत लगभग 1000 से अधिक हथियारबंद कैडर आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में शामिल हुए।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज 50 साल पुराना एक और विवाद इस समझौते के साथ हल होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि बहुत कम समय में आज असम और मेघालय के बीच 12 में से 6 मुद्दों पर समझौता हुआ है और दोनों राज्यों के बीच लगभग 70 प्रतिशत सीमा विवादमुक्त हो गई है। उन्होंने कहा जब तक राज्यों के बीच विवाद नहीं सुलझते, सशस्त्र समूहों का सरेंडर नहीं होता, तब तक नार्थईस्ट का विकास संभव नहीं है। उन्होंने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अधिकारियों को प्रधानमंत्री मोदी और केन्द्र सरकार की तरफ़ से धन्यवाद दिया।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के शांत और समृद्ध उत्तरपूर्व के स्वप्न को साकार करने के लिए आज़ादी के अमृत महोत्सव वर्ष में प्रयास करने चाहिएं। उन्होंने कहा कि 2019 से 2022 तक 6900 से ज़्यादा हथियारबंद कैडर ने आत्मसमर्पण किया और लगभग 4800 से ज़्यादा हथियार प्रशासन के सामने सरेंडर किए गए। ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी उत्तरपूर्व को अष्टलक्ष्मी कहते हैं और इन प्रयासों से पूर्वोत्तर भारत की मुख्यधारा में तो शामिल होगा ही, साथ ही देश के विकास का ड्राइविंग फ़ोर्स भी बनेगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने कई और अभियान चलाए हैं जिनमें नारकोटिक्स मुक्त, बाढमुक्त और घुसपैठिए मुक्त उत्तरपूर्व शामिल हैं। इन सभी मोर्चों पर समयबद्ध तरीक़े से भारत सरकार और नॉर्थईस्ट की सरकारें आगे बढ़ रही हैं। श्री अमित शाह ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि असम और मेघालय के मुख्यमंत्रियों ने जिस दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिचय दिया है उसी प्रकार सभी राज्यों के साथ चर्चा करके हम उत्तरपूर्व को विवादमुक्त बनाएंगे।
असम के मुख्यमंत्री श्री हिमंता बिस्वा सरमा और मेघालय के मुख्यमंत्री श्री कॉनराड संगमा ने इस दशकों से लंबित समस्या का समाधान करवाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री श्री अमित शाह का आभार व्यक्त किया।
भारत सरकार का लगातार यह दृष्टिकोण रहा है कि अंतर्राज्यीय सीमा संबंधी मुद्दों को केवल सम्बंधित राज्य सरकारों के सहयोग से सुलझाया जा सकता है और केंद्र सरकार सीमा मुद्दे का सौहार्दपूर्ण समाधान परस्पर सामंजस्य और तालमेल की भावना से करने के लिए सुविधा-प्रदाता के रूप में कार्य करती है| इस समझौते से क्षेत्र में रहने वाले लोगों को लाभ होगा क्योंकि दूरगामी शांति सुनिश्चित होगी और विकास को बढ़ावा मिलेगा। यह समझौता सहकारी संघवाद का उदाहरण है और राज्यों के बीच अन्य सीमा विवादों के समाधान के लिए एक रोडमैप प्रदान करेगा।