देहरादून: बीजापुर हाउस में आयोजित प्रेसवार्ता में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि वे पहले भी कई बार कह चुके हैं कि 18 मार्च के बाद राज्य में जो भी अप्रिय घटनाएं हुई हैं उन्हे भूलकर राज्यहित में मिलकर आगे बढ़ना चाहिए। व्यापक हित में महत्वपूर्ण बिंदुओं को चयनित कर एक सामान्य सहमति बनाई जानी चाहिए। केंद्र में भाजपा की सरकार है। हमें राज्य के विकास में केंद्र व भाजपा का सहयोग चाहिए। अभी मैं एक चिंतित मुख्यमंत्री हूं। मैं चाहता हूं कि जो कठिनाई मुझे झेलनी पड़ रही है वह 2017 के चुनाव के बाद आने वाली सरकार को न झेलनी पड़े। वर्ष 2017 के बाद उत्तराखण्ड में संसाधनों का टोटा न पड़े। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि वे प्रधानमंत्री से गुहार लगाकर पूछेंगे कि ‘‘मेरू बजट कख गय’’। हम जनता में भी इस बात को लेकर जाएंगे और जनता के दरबार में धात लगाएंगे। अब भी अवसर है कि हम राजनीति से ऊपर उठकर स्टैटमेनशिप दिखाएं। भाजपा सहयोग करे तो मैं तो यह भी मानने को तैयार हूं कि बजट का दस्तावेज हम सभी का साझा होगा। आर्थिक अनिश्चितता के वातावरण को समाप्त करना बहुत जरूरी है। हम अगर नए निर्णय नहीं ले सके तो 14 प्रतिशत की हमारी विकास की गति थम जाएगी। प्लान केवल वर्तमान के लिए ही नही बल्कि भविष्य की योजनाओं का भी खाका होता है। जनता के हित को देखते हुए भाजपा के मित्रों को सहयोग के लिए आगे आना चाहिए। संघीय व्यवस्था में राज्य व केंद्र एक दूसरे के सहयोगी होते हैं। बजट राज्य की आवश्यकता है। हमारा बजट विधानसभा से पारित बजट है। राज्य में राष्ट्रपति शासन के दौरान इस पर केंद्र द्वारा कुछ निर्णय लिया गया। इसलिए अब केंद्र सरकार का ही इसके संबंध में दायित्व बनता है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हम कुछ नए क्षेत्रों का सर्वेक्षण करवाने जा रहे हैं। राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में कुछ स्थल ऐसे रह गए हैं जो कि आर्थिक रूप से व ढांचागत विकास के तौर पर पिछड़े रह गए हैं। इन क्षेत्रों में पर विशेष फोकस किए जाने की आवश्यकता है। इसके लिए हम एक एक्सपर्ट ग्रुप बनाने जा रहे हैं जो कि ऐसे विकास से अछूते क्षेत्रों को चिन्हित करेगा जहां अधिक प्रयास किए जाने की जरूरत है।