पिछले एक वर्ष से जारी कोविड महामारी की वजह से उत्पन्न अभूतपूर्व संकट के कारण, सभी क्षेत्रों में लोगों के जीवन और आजीविका बुरी तरह से प्रभावित हुई है। इस संकट का प्रभाव विशेष रूप से, देश भर में वंचित आदिवासियों पर सबसे अधिक पड़ा है। ऐसे समय में, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के माध्यम से लघु वन उपज (एमएफपी) के विपणन के लिए तंत्र और एमएफपी के लिए मूल्य श्रृंखला का विकास, बदलाव के रूप में सामने आया है। देश के 21 राज्यों में राज्य सरकार की एजेंसियों के सहयोग से भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ-टीआरआईएफईडी द्वारा संकल्पित और कार्यान्वित, यह योजना अप्रैल 2020 से आदिवासी अर्थव्यवस्था में सीधे तौर पर 3000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा करने वाले आदिवासी संग्रहकर्ताओं के लिए बड़ी राहत का स्रोत बनकर उभरी है। यह मुख्य रूप से सरकार के समर्थन और राज्य सरकारों की सक्रिय भागीदारी के कारण संभव हो सका है। आदिवासी पारिस्थितिकी तंत्र में सरकार द्वारा अत्यंत आवश्यक नकदी प्रदान की गई है, जो प्रतिकूल समय में बहुत जरूरी है।
वन उपज के आदिवासी संग्रहकर्ताओं को पारिश्रमिक और उचित मूल्य प्रदान करने के अपने पहले से जारी प्रयासों के साथ, जनजातीय कार्य मंत्रालय ने लघु वन उपज की सूची के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को संशोधित किया है और 14 अतिरिक्त लघु वन उत्पादों को सूची में शामिल किया है। अतिरिक्त मदों की यह सिफारिश 26 मई, 2020 को जारी की गई पिछली अधिसूचना से अलग और बढ़कर है (जिसमें 23 लघु वन उत्पादों को शामिल करने के लिए सूची को संशोधित किया गया था) और 1 मई, 2020 की अधिसूचना में लघु वन उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में संशोधन की घोषणा की गई थी।
शामिल की गई नई वस्तुओं का विवरण उनके न्यूनतम समर्थन मूल्य-एमएसपी के साथ निम्नानुसार है: –
क्रम संख्या | लघु वन उत्पाद (एमएफपी) | श्रेणी
एफ: वन ए; कृषि एम: औषधीय पी: प्रसंस्कृत एस: मसाला |
न्यूनतम समर्थन मूल्य-एमएसपी
प्रस्तावित (रुपये प्रति किलोग्राम) |
लघु वन उत्पाद वस्तु के रूप में व्यावहारिकता |
I | टसर कोकून | एन/एच | झारखंड | |
रीलिंग क्लास ग्रेड I- विशिष्टता- जब औसत शेल का वजन 1.55 ग्राम और उससे अधिक हो | Rs 3200/ हज़ार नम्बर | |||
अनरेलिंग क्लास ग्रेड I – जब औसत शेल का वजन 1.40 ग्राम और उससे अधिक हो | Rs 1500/ हज़ार नम्बर | |||
2 | काज़ू बीज (एनाकार्डियम ऑक्सीडेंटले) | एफ/पी | 90 | अखिल भारतीय |
3 | एलीफैंट एप्प्ल सूखा | एफ/पी | 120 | पूर्वोत्तर |
4 | बाँस की गोली (फीलोस्टैचिस एडुलिस)) | एफ | 70 | पूर्वोत्तर |
5 | मलकानगनी बीज (सेलास्ट्र्स्पैनिकुलाटस वाइल्ड) | एफ | 100 | अखिल भारतीय |
6 | माहुल पत्तियां (बौहिनिया वाहली) | एफ | 15 | ओडिशा, छत्तीसगढ मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल |
7 | नागोद (विटेक्स निगंडो) | एफ | 20 | अखिल भारतीय |
8 | गोखरू (ट्रिबुलस टेरिस्ट्रिस) | एफ | 60 | अखिल भारतीय |
9 | पिप्पा / उचिथी (सूखे बेर) (पाइपर पेडिकेलैटम) | एफ | 120 | अखिल भारतीय |
10 | गमर / गामरी (सूखी छाल) (गमेलिना आर्बोरिया) | एफ | 20 | पूर्वोत्तर |
1l | ओरोक्सिल्यूमिंडिकम (सूखी छाल) | एफ | 40 | पूर्वोत्तर |
12 | जंगली मशरूम सूखा (अगरिकुसप) | एफ | 400 | पूर्वोत्तर |
13 | श्रृंगराज (ग्रहण अल्बा) | एफ/एम | 18 | अखिल भारतीय |
14 | ट्री मॉस (ब्रायोफाइट्स) | एफ/एम | 350 | कर्नाटक |
केंद्र सरकार ने 2011 में लघु वन उत्पादों-एमएफपी की एक चुनिंदा सूची के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) “न्यूनतम समर्थन मूल्य के माध्यम से लघु वन उत्पादों के विपणन तंत्र और एमएफपी के मूल्य श्रृंखला का विकास” के माध्यम से पेश किया था ताकि वंचित वन वासियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जा सके और उनका सशक्तिकरण में सहायता सहायता प्रदान की जा सके। इन आदिवासी लोगों की आजीविका और सशक्तीकरण में सुधार के लिए शीर्ष राष्ट्रीय संगठन के रूप में भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ-टीआरआईएफईडी, योजना के कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी है। वन धन आदिवासी स्टार्ट-अप्स भी इसी योजना का एक घटक है, जो एमएसपी योजना को अच्छी तरह से लागू कर रहा है और आदिवासी संग्रहकर्ताओं और वन वासियों तथा घर में रहने वाले आदिवासी कारीगरों के लिए रोज़गार सृजन का एक स्रोत बन गया है।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि अर्जित सफलता, विफलता में नहीं बदली है और राज्य स्तर के कार्यक्रम के कार्यान्वयन को मजबूत करने और जनजातीय आबादी के सशक्तिकरण में योगदान करने के लिए, भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ-टीआरआईएफईडी ने न्यूनतम समर्थन मूल्य-एमएसपी और लघु वन उत्पाद-एमएफपी योजना के द्वितीय चरण और वन धन जनजातीय स्टार्ट-अप्स की शुरुआत की है। इस चरण के दौरान, प्रमुख योजनाओं में से एक एमएफपी योजना के लिए एमएसपी के साथ वन धन योजना का सम्मिलन है। साथ में, ये दोनों पहलें रोजगार और आय तथा उद्यमशीलता को बढ़ावा देने वाले आदिवासियों के लिए एक व्यापक विकास पैकेज प्रदान करती हैं। अगले वर्ष में कई नियोजित पहलों के कार्यान्वयन के साथ भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ-टीआरआईएफईडी द्वारा देश भर में आदिवासी पारिस्थितिकी तंत्र के पूर्ण परिवर्तन के लिए काम करना जारी है।