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आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल के अखिल भारतीय सदस्यों के सम्मेलन को सम्बोधित करते हुएः राष्ट्रपति

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नई दिल्ली: आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल ने आयकर दाताओं के लिए न्याय सुनिश्चित करते हुए देश की सेवा में 75 साल पूरे कर लिए हैं। इस

यादगार मौके पर मैं आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल परिवार को बधाई देता हूं और उम्मीद करता हूं कि वे आने वाले समय में ज्यादा उत्पादक और नतीजे देने वाली सेवा को अंजाम दें। वर्ष 1941 में अपनी स्थापना के बाद ही आईटीएटी ने आयकर मामलों में न्याय प्रदान करने में नए मानकों की स्थापना की है। आईटीएटी के स्थापित मॉडल का बाद में अप्रत्यक्ष करों ,प्रशासन, रेलवे और विदेशी विनिमय के क्षेत्र में ट्रिब्यूनल स्थापित करने में इस्तेमाल किया गया। आईटीएटी की छवि अन्य ट्रिब्यूनलों के संविधान में दिखती है और इस तरह से यह देश की सभी ट्रिब्यूनलों की जननी है।

2. भारत में 1860 में एक कानून लागू कर आय कर लगना शुरू हुआ। तब से 1941 तक यानी ट्रिब्यूनल की स्थापना तक आतंरिक प्रशासनिक व्यवस्था के तहत टैक्स मामलों से जुड़े न्याय किए जाते थे। लेकिन इसमें निष्पक्षता और आजादी का अभाव था। इसलिए प्रत्यक्ष कर के मामलों में न्याय प्रदान करने के लिए एक ऐसे ट्रिब्यूनल की स्थापना हुई, जिसने एक निष्पक्ष, आसान और त्वरित न्याय व्यवस्था की बुनियाद रखी।

3. पिछले कुछ सालों के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में काफी परिवर्तन हुआ है। जब 24 जुलाई, 1860 में आय कर लगना शुरू हुआ तो वर्ष 1860-61 में देश में प्रत्यक्ष कर का कुल संग्रह 30 लाख रुपये था। लेकिन वर्ष 2015-16 के दौरान प्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़ कर 7.98 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है। इससे आय कर लागू होना शुरू होने के बाद प्रत्यक्ष कर के बढ़ते महत्व का पता चलता है।

4. प्रत्यक्ष कर विवाद प्रणाली में आईटीएटी तथ्यों का पता लगाने वाली अंतिम प्राधिकरण होता है। इसने टैक्स दाताओं और प्रशासन दोनों से एक दूरी बना कर व्यवस्था में विश्वास कायम किया है। ट्रिब्यूनल की स्वतंत्रता सबसे महत्वपूर्ण है।

5. कराधान प्रणाली की जटिलता और चुनौतियों की वजह से टैक्स दाताओं को कई शिकायतें रहती हैं। इसलिए विवादों का तुरंत निपटारा कर दाताओं की शिकायतें दूर करने का एक महत्वपूर्ण उपाय है। त्वरित न्याय के लिए कानून , तकनीक और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में संगठन में उच्च दक्षता की जरूरत होती है। बदलते कानूनी और आर्थिक परिदृश्य में आपको अपनी जानकारी को भी अद्यतन रखनी पड़ती है। मुझे यह जानकारी खुशी हुई कि यूएनडीपी ने आईटीएटी के महत्व को मान्यता दी है। आईटीएटी अब घाना और नाइजीरिया जैसे विकासशील देशों में कर संबंधित न्याय व्यवस्था स्थापित करने में मदद कर रहा है। मैं आईटीएटी को करों से संबंधित उऩ न्याय क्षेत्रों में नेतृत्वकारी भूमिका निभाते देखना चाहता हूं, जहां विवाद प्रबंधन प्रणाली अभी नवजात अवस्था में है।

6. पिछले कुछ सालों के दौरान प्रत्यक्ष कर विवादों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। भारतीय अर्थव्यवस्था के लगातार विकसित होने के साथ ही प्रत्यक्ष कर और करदाताओं में भी काफी बढ़ोतरी दर्ज हुई है। इसने कर विवाद निवारण व्यवस्था पर दबाव काफी बढ़ा दिया है। हालांकि सरकार ने इन चुनौतियों का सामना किया है और इसने पूरे देश में आईटीएटी की बेंचों की संख्या बढ़ाया है। आज आईटीएटी की 63 बेंच हैं, जो 27 जगहों से अपना संचालन करती हैं। कर विवादों और इनकी संख्या में बढ़ोतरी को देखते हुए नए तरीके ईजाद करने वाली विवाद प्रबंधन प्रणाली की जरूरत है।

7. आज की जटिल और आधुनिक अर्थव्यवस्था में ट्रांसफर प्राइसिंग, अंतरराष्ट्रीय कराधान और डिजिटल अर्थव्यवस्था में कराधान जैसे मुद्दे ऐसे हैं जो उच्च दक्षता की मांग करती हैं। पिछले कुछ सालों के दौरान कराधान विभाग ने अपनी क्षमताओं को निर्माण के जरिये इन चुनौतियों का सामना किया है। कराधान से जुड़े मामलों के विवादों को निपटाने के लिए कर विवाद और कर न्याय व्यवस्था दोनों क्षेत्रों में प्रशिक्षित मानव संसाधनों की जरूरत है। भारत कर न्याय व्यवस्था में अंतरराष्ट्रीय तौर पर प्रतिस्पर्धी बना रहे इसके लिए यह जरूरी है। मुझे बताया गया कि आईटीएटी के सदस्यों के सम्मेलन में आप लोग कराधान के तीन क्षेत्रों से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं – 1. सीमा पार लेनदेन में टैक्स न्याय क्षेत्र क्या हो 2. न्याय प्रदान करने से जुड़ी प्रणाली टेक्नोलॉजी का उदय 3. टैक्स विवाद बनाम भारत में कारोबार सुगम बनाना। एक स्थायी, निष्पक्ष और समान कराधान व्यवस्था सुनिश्चत करने के लिए किसी भी कराधान व्यवस्था के ये अहम तत्व हैं। मैं आयोजकों को विचार-विमर्श के इन मुद्दों का चयन करने के लिए बधाई देता हूं।

8. टेक्नोलॉजी की वजह से कारोबार की गति बेहद तेज हो गई है। तकनीकी दक्षता से लैस उद्यमी और वैश्विक दुनिया में रह रहे भारतीय भी विश्वस्तरीय बेहतरीन न्याय प्रणाली चाहते हैं। 21वीं सदी के इन उद्यमियों की उम्मीदों को पूरा करना एक चुनौती भरा काम है। मुझे उम्मीद है कि आईटीएटी परिवार के सदस्य और कानून मंत्रालय एक कदम आगे बढ़ा कर इन चुनौतियों का जवाब देगा।

9. टैक्स विवाद समाधान प्रणाली देश में निवेश और कारोबार बढ़ाने लायक व्यवस्था का अहम तत्व है। अब चूंकि भारत निवेशकों के लिए पसंदीदा जगह बनता जा रहा है इसलिए आपको इस व्यवस्था में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। विश्व बैंक के एक समूह की 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक कारोबार सुगमता के मामले में भारत विश्व रैंकिंग में 130वें स्थान पर है। इस स्थिति में सुधार होनी चाहिए। त्वरित न्याय, नियमित आदेशों और निष्पक्ष नजरिये और व्यवसायोन्मुखी विवाद प्रबंधन व्यवस्था से आप भारत के विकास में अहम योगदान दे सकते हैं।

10. ट्रिब्यूनल के सदस्यों की ओर से छोटे स्टेशनों के मामलों को निपटाने के लिए ई-अदालतों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ई-अदालतों में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये इस तरह न्याय प्रदान करना सराहनीय कदम है। इस तरह का कदम अहमदाबाद में आईटीएटी के सदस्यों ने उठाया, जहां राजकोट में एक ही महीने में 300 अपीलों का निपटारा कर दिया गया। यह सदस्यों की ओर से नई प्रक्रिया और कामकाज की नई व्यवस्था को अपनाने की इच्छा को जाहिर करता है। आपको इस तरह के कामकाज के तरीकों को पूरे देश में लागू करने की जरूरत है ताकि आईटीएटी आयकर दाताओं के दरवाजे तक त्वरित न्याय पहुंचाने का प्रतीक बन सके।

11. पचहत्तर साल किसी भी संगठन के लिए बेहद अहम पड़ाव होता है। इन वर्षों में आईटीएटी ने खुद को एक ऐसे संगठन के तौर पर स्थापित कर लिया है जो कामकाज के बेहतर तरीकों को अपनाने के साथ समय के साथ खुद को विकसित करने में विश्वास रखता है। मुझे उम्मीद है कि आईटीएटी और आईटीएटी परिवार के सदस्य देश के विकास में अपना अहम योगदान देते रहेंगे। मैं एक बार फिर आईटीएटी के 75 वर्ष पूरे होने और इसकी प्लेटिनम जुबिली समारोह के लिए बधाई देता हूं।

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