आयकर विभाग ने 13 दिसंबर, 2020 को चंडीगढ़ स्थित सूचीबद्ध दवा कंपनी और उससे जुड़े पक्षों के मामले में तलाशी और जब्ती कार्रवाई की। इस कार्रवाई में चंडीगढ़, दिल्ली और मुंबई में फैले कुल 11 परिसरों को शामिल किया गया।
समूह के खिलाफ प्राथमिक आरोप यह था कि निर्धारिती कंपनी ने इंदौर में एक बेनामी कंपनी के नाम पर 117 एकड़ बेनामी जमीन खरीदी थी। तलाशी के दौरान पर्याप्त सबूत पाए गए हैं और उन्हें जब्त किया गया, जो स्पष्ट रूप से स्थापित करता है कि बेनामी कंपनी की कोई वास्तविक व्यावसायिक गतिविधि नहीं है। बेनामी कंपनी के सभी डमी निदेशकों और शेयरधारकों ने भी अपने संबंधित बयानों में स्वीकार किया है कि कंपनी एक शेल कंपनी थी, जिसकी कोई वास्तविक व्यावसायिक गतिविधि नहीं थी और इंदौर में जमीन प्रबंध निदेशक के लाभ के लिए सूचीबद्ध कंपनी के फंड से खरीदी गई थी।
कंपनी इस बेनामी जमीन को बेचने की तैयारी में थी। सख्त पूछताछ की गई और रुपये की नकद रसीद वाली बेनामी भूमि के लिए “विक्रय के लिए समझौता” सहित संभावित खरीददारों के कब्जे से 6 करोड़ रुपये की नकद प्राप्ति का भी पता चला। खरीददारों ने अपने बयानों में स्वीकार किया है कि इस सौदे के लिए प्रबंध निदेशक से बातचीत की गई थी और प्रबंध निदेशक के कार्यालय में बेनामी भूमि की बिक्री के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। खरीददारों ने यह भी स्वीकार किया है कि उन्होंने एक हवाला ऑपरेटर के माध्यम से विभिन्न तारीखों पर 6 करोड़ रुपये की बेहिसाब नकद राशि दी थी। हवाला ऑपरेटर ने अपने बयान में, सूचीबद्ध कंपनी के कार्यालय में नकदी के हस्तांतरण की सटीक तिथियों और राशियों को सौंपने की एक विस्तृत जानकारी भी दी है।जांच में यह भी साबित हुआ है कि प्रबंध निदेशक ने अपने स्वयं के कब्जे वाली संपत्ति को अपने बेटों के लिए किराए की संपत्ति के रूप में दिखाकर आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 23 के तहत 2.33 करोड़ रुपये के गलत ब्याज व्यय का दावा किया है।
अब तक 4.29 करोड़ रुपये नकद राशि और 2.21 करोड़ रुपये के आभूषणों को जब्त किया गया है। 3 लॉकरों को प्रतिबंधित किया गया है।
प्रबंध निदेशक के अविभाजित हिंदू परिवार (एचयूएफ) द्वारा 140 करोड़ रुपये मूल्य के बेनामी शेयरों को धारण करने और पर्याप्त मात्रा में फर्जी खरीद के बारे में आगे की जांच जारी है।