नई दिल्ली: अनेक मामलों में यह पाया गया है कि दूसरों के नामों से संपत्तियों में काले धन का निवेश किया जा रहा है यद्यपि इसका लाभ निवेशक द्वारा अपने आयकर रिटर्न में लाभकारी स्वामित्व को छुपा कर लिया जा रहा है। सरकार ने इससे पहले बेनामी संपत्ति लेनदेन अधिनियम, 1988 में बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन अधिनियम, 2016 के माध्यम से संशोधन किया था ताकि कानून को और मजबूत बनाया जा सके। काले धन का पता लगाने और कर चोरी में कमी लाने के आयकर विभाग के प्रयासों में लोगों की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से आयकर विभाग द्वारा ‘बेनामी लेनदेन मुखबिर पुरस्कार योजना 2018’ शीर्षक से नई पुरस्कार योजना जारी की है। इस योजना का उद्देश्य छिपे हुए निवेशकों और लाभकारी स्वामियों द्वारा किए गए बेनामी लेनदेन तथा संपत्तियों तथा ऐसी संपत्तियों पर अर्जित आय के बारे में सूचना देने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना है।
‘बेनामी लेनदेन मुखबिर पुरस्कार योजना, 2018’ के अंतर्गत बेनामी लेनदेन तथा संपत्तियां तथा ऐसी संपत्तियों से हुई प्राप्तियों जो बेनामीलेनदेन (निषेध) संशोधन अधिनियम, 2016 द्वारा संशोधित बेनामी संपत्ति लेनदेन अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई योग्य हैं, के बारे में निर्धारित प्रक्रिया के तहत आयकर विभाग के जांच निदेशालय में संयुक्त या अपर आयुक्त (बेनामी निषेध इकाई) को सूचना देने वाला व्यक्ति एक करोड़ रुपये तक का पुरस्कार प्राप्त कर सकता है।
इस पुरस्कार के लिए विदेशी भी पात्र होंगे। सूचना देने वाले व्यक्ति की पहचान प्रकट नहीं की जाएगी और पूरी गोपनीयता बरती जाएगी।
पुरस्कार के ब्यौरे बेनामी लेनदेन, मुखबिर पुरस्कार योजना, 2018 में उपलब्ध है जिसकी कॉपी आयकर कार्यालयों में तथा आयकर विभाग की वेबसाइट www.incometaxindia.gov.in पर उपलब्ध है।