नई दिल्ली: लोकसभा में कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बताया कि विभिन्न सरकारी विभागों में अधूरी आरक्षित रिक्तियों के न भरे जाने संबंधी शिकायतें या संदर्भ जब भी प्राप्त होते हैं
तो उन्हें उचित कार्रवाई के लिए संबंधित विभागों को भेज दिया जाता है। समय-समय पर चिह्नित इन अधूरी रिक्तियों को भरने के लिए संबंधित विभागों/मंत्रालयों से आशा की जाती है कि वह इस दिशा में तुरंत कार्रवाई करेंगे।
मंत्रालयों/विभागों से प्राप्त सूचना के अनुसार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित 48,034 रिक्तियां अधूरी पड़ी थीं। इन्हें 31 मार्च, 2012 तक विशेष भर्ती अभियान के दौरान भर दिया गया था। अभियान के समाप्त होने के बाद 19,676 आरक्षित अधूरी रिक्तियों को भर दिया गया था।
सरकार ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता सचिव की अध्यक्षता में जुलाई 2013 में एक समिति गठित की थी ताकि अधूरी पड़ी आरक्षित रिक्तियों के कारणों का पता लगाया जा सके। समिति को यह आदेश भी दिया गया था कि वह आरक्षित वर्गों के उम्मीदवारों को रोजगार देने के उपायों में गति लाने के लिए सुझाव भी दे। समिति ने अपनी रिपोर्ट दे दी और उसके सुझावों पर विचार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया ताकि अधूरी आरक्षित रिक्तियों की पहचान की जा सके, उनके अधूरी पड़े रहने के कारणों का पता लगाया जा सके, शैक्षिक योग्यता की समीक्षा की जा सके और विशेष भर्ती अभियान शुरू किया जा सके। इन सबसे मंत्रालयों/विभागों को अवगत करा दिया गया है ताकि केन्द्र सरकार में विभिन्न सेवाओं और पदों के संबंध में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षित अधूरी पड़ी रिक्तियों में कमी लाई जा सके।
अधूरी आरक्षित रिक्तियों की समीक्षा और उनकी पहचान करने के बाद विशेष भर्ती अभियान चलाने के अलावा यह निर्णय भी किया गया कि प्रत्येक मंत्रालय/विभाग समिति के गठन के समय और अक्टूबर 2015 को अभियान की शुरूआत से ही विशेष भर्ती अभियान शुरू करे। यह अभियान सचिवालय, संबद्ध/अधीनस्थ कार्यालयों, केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों आदि की अधूरी आरक्षित रिक्तियों के संबंध में है। इसका उद्देश्य अधूरी आरक्षित रिक्तियों के अंतराल को कम करने का समेकित और सतत प्रयास करना है।