वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत उद्योग और आंतरिक व्यापार विभाग के सचिव डॉ. गुरुप्रसाद महापात्र ने आज कहा है कि केंद्रीय बजट 2021-22 में बीमा कंपनियों में एफडीआई सीमा को 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी करने की घोषणा से भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
मीडिया को जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि नए ढांचे के तहत बोर्ड में निदेशकों और प्रबंधन से जुड़े लोगों में अधिकांश भारतीय होंगे। साथ ही कम से कम 50 फीसदी निदेशक स्वतंत्र होंगे और इसमें सामान्य आरक्षण के तौर पर निर्दिष्ट लाभ का प्रतिशत बरकरार रहेगा। बीमा अधिनियम, 1938 में संशोधन से बीमा कंपनियों में तय एफडीआई सीमा 49 फीसदी से बढ़कर 74 फीसदी हो जाएगी और संरक्षण के साथ विदेशी स्वामित्व और नियंत्रण की अनुमति होगी।
इसके लाभ बताते हुए डॉ. महापात्र ने कहा कि यह वैश्विक बीमा कंपनियों को भारतीय बीमा क्षेत्र पर अधिक रणनीतिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण लेने में सक्षम बनाएगा, जिससे दीर्घकालिक पूंजी में तेजी के साथ ही वैश्विक प्रौद्योगिकी, प्रक्रियाओं और सर्वोत्तम अंतर्राष्ट्रीय कार्यप्रणाली में तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि इससे अंतिम उपभोक्ताभी लाभान्वित होगा, क्योंकि यह प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा। एकीकरण में सक्षम बनाएगा और बीमा निवेश बढ़ाएगा, जिससे अंतिम उपभोक्ता के लिए और ज्यादा नए और किफायती उत्पादों में वृद्धि होगी।
उन्होंने कहा कि बीमा परिचालन को बढ़ाने से अद्र्धकुशल बीमा एजेंटों और सेल्स से जुड़े लोगों को रोजगार मिलेगा। एक मजबूत व्यावसायिक बीमा क्षेत्र लंबी निर्माण पूर्व अवधि वाली ढांचागत परियोजनाओं में दीर्घकालिक निवेश को भी मदद करेगा। प्रस्तावित वृद्धि बीमा क्षेत्र को निजी बैंकिंग क्षेत्र के बराबर लाएगी, जहां 74 फीसदी तक एफडीआई की अनुमति है। उन्होंने कहा कि एफडीआई सीमा बढ़ाने से बीमा कंपनियों को अपनी पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम बनाएगी, जिससे बीमा कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने से बैंकों, एनबीएफसी पर बोझ कम होगा।
एफडीआई सीमा बढ़ाने के क्षेत्रीय फायदे बताते हुए उन्होंने कहा कि मुंबई (महाराष्ट्र), एनसीआर, बेंगलुरु (कर्नाटक), हैदराबाद (तेलंगाना) में मुख्यालय और कार्यालय वाले बीमा प्रदाताओं को भी इससे लाभ होगा। यह अहमदाबाद में गुजरात अंतर्राष्ट्रीय वित्त प्रौद्योगिकी शहर (गिफ्ट सिटी) को भारत के उभरते वित्तीय / फिनटेक हब के रूप में विकसित करने में मदद करेगा। कोलकाता, जयपुर, सूरत, भोपाल, चंडीगढ़, पटना, आगरा समेत उच्च आय और वित्तीय साक्षरता वाले मौजूदा और उभरते मेट्रो हब को भी इससे लाभ होगा।