नई दिल्ली: केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने कहा कि जेनरिक दवाइयों के क्षेत्र में भारत की वैश्विक पहचान एक अहम किरदार की बन चुकी है। नई दिल्ली में आज भारत के दवा उत्पादकों के संगठन (ओपीपीआई) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि क्रमिक वृद्धि के साथ भारत 2020 तक दुनिया के तीन बड़े दवा बाजारों में शामिल होगा और दवा बाजार के आकार के संदर्भ में यह दुनिया का छठा सबसे बड़ा दवा बाजार बन जाएगा। उन्होंने कहा कि मध्यवर्गीय परिवारों में बढ़ोत्तरी के साथ देश में चिकित्सा इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार होगा, जो दवा क्षेत्र में वृद्धि को प्रभावित करेगा।
श्री सुरेश प्रभु ने कहा कि भारत जीनोमिक्स और उसके एप्लीकेशन में अनुसंधान की सबसे अच्छी जगह है। उन्होंने फॉर्मा सेक्टर में वृद्धि और उपभोक्ता हितों के संरक्षण में संतुलन बनाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय दवा उद्योग के लिए अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों में आपार संभावनाए हैं और स्वास्थ्य देखरेख क्षेत्र में संपूर्ण समाधान देने में भारत सक्षम है। उन्होंने कहा कि भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में शामिल करने में फॉर्मा उद्योग अहम भूमिका निभाएगा।
भारतीय दवा बाजार में वर्ष 2011 से 2016 तक 5.64 फीसदी की मिश्रित वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) दर्ज की गई। भारतीय दवा बाजार वर्ष 2011 में 20.95 अरब डॉलर का था, जो वर्ष 2016 में बढ़कर 27.57 अरब डॉलर को हो गया। दवा क्षेत्र के राजस्व में वर्ष 2017 में 7.4 प्रतिशत की दर से वृद्धि अनुमानित है।