नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच शिक्षा, प्रशिक्षण एवं अनुसंधान के क्षेत्रों में सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी प्रदान की है।इस सहमति पत्र के अंतर्गत सहयोग की गतिविधियों की लागत का वहन परस्पर स्वीकृत शर्तों पर किया जाएगा और यह धन की उपलब्धता पर निर्भर होगा।
सहमति पत्र से भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा, स्कूल, व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण सहित उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान में मौजूदा सहभागिता बढ़ाने में सहायता मिलेगी और सहयोग के नये और अभिनव क्षेत्र खुलेंगे।
अन्य बातों के अलावा इस सहमति पत्र के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
1) शिक्षा, नीति निर्माता और उद्योग जगत से आवश्यकता एवं सहमति के आधार पर समय-समय पर उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिये ऑस्ट्रेलिया भारत शिक्षा परिषद की सदस्यता में विस्तार,
2) नीतिगत संवाद और शिक्षा, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण के लिये योग्यता और गुणवत्ता प्रारूप तथा मापदंडों सहित परस्पर लाभ के क्षेत्रों में आदान प्रदान को मजबूती प्रदान करना,
3) औपचारिक आदान प्रदान के कार्यक्रमों, इन्टर्नशिप और अन्य तौर तरीकों के माध्यम से छात्रों और शिक्षकों की परिवर्तनीयता में सहायता प्रदान करना,
4) भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच ऋण हस्तांतरण व्यवस्था को बेहतर बनाना और योग्यता को मान्यता देने की दिशा में कार्य करना,
5) विषय के विशेषज्ञों, शैक्षिणिक प्रशासकों, शिक्षकों और अध्यापकों के लिये व्यावसायिक विकास कार्यक्रमों का आयोजन करना और उन्हें सहायता देना,
6) उच्च शिक्षण संस्थानों के बीच दोहरे संबंधों को प्रोत्साहन देना तथा संयुक्त अनुसंधान कार्यक्रमों और प्रकाशनों का आयोजन करना,
7) साझा अनुसंधान, संयुक्त पीएचडी कार्यक्रमों और संयुक्त डिग्रियों का दायरा बढ़ाने के लिये उच्च शिक्षण संस्थानों के बीच अनुसंधान संबंधी सहयोग को बढ़ावा देना,
8) शोध सामग्रियों, प्रकाशनों और शैक्षणिक साहित्य सहित सर्वोत्म शिक्षा सामग्री साझा करना,
9) राष्ट्रीय मानक विकास में साझा सम्मेलनों, संगोष्ठियों, नीतिगत संवाद और तकनीकी सहयोग के माध्यम से कौशल विकास में सहायता प्रदान करना,
10) दोनों देशों में शिक्षा, प्रशिक्षण एवं अनुसंधान की गतिविधियों के विकास के लिये नई नीतिगत पहलों और अवसरों के संबंध में सूचना के आदान प्रदान के लिये संचार को सशक्त बनाना,
11) तकनीकी, व्यावसायिक, स्कूल एवं उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट संस्थानों के बीच द्विपक्षीय कार्यक्रमों का विकास करना और
12) दोनों पक्षों द्वारा पारस्परिक रूप से निर्धारित कोई भी अन्य कार्यकलाप।