नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री राधा मोहन सिंह से आज ब्राज़ील के कृषि, पशुधन एवं आपूर्ति मंत्री, श्री ब्लेयरो मैगी ने मुलाकात की। बैठक में श्री सिंह और श्री ब्लैयरो मैगी ने कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की। ब्राजील के कृषि, पशुधन एवं आपूर्ति मंत्री, श्री ब्लेयरो मैगी दिल्ली में 22-23 सितम्बर को होने वाली ब्रिक्स कृषि मंत्रियों की बैठक के लिए भारत के दौरे पर हैं।
श्री राधा मोहन सिंह और श्री ब्लेयरो मैगी ने दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण व सहयोगपूर्ण संबंधों और दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्धता दर्शायी ताकि अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की सहयता की जा सके और बहुपक्षीय क्षेत्र में अधिक सौहार्दपूर्ण संबंधों को मजबूत बनाया जा सके तथा साथ ही सहयोग व समन्वय स्थापित किया जा सके।
दोनों देशों के मंत्री इस बात पर सहमत हुए कि दोनों देशों को द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने की संभावना का पता लगाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने द्विपक्षीय व्यापार को बढावा देने के लिए स्वच्छता व पादप स्वच्छता मुद्दों के शीघ्र निपटान के लिए शीघ्र कार्य करने के लिए वचनबद्धता भी दर्शाई।
श्री सिंह और श्री मैगी ने इस बात को भी स्वीकार किया कि दोनों देशों की वैश्विक चीनी बाजार में महत्वपूर्ण भूमिका है और उन्हें संयुक्त कार्यनीति तैयार करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत और ब्राज़ील के किसानों को अपनी उपज के लिए उचित मूल्य मिले।
पर्ल मिलेट सीड, सोरघम, कॉर्न सीड, तोरिया एवं कपास सीड की मंडी पहुंच के लिए भारत के अनुरोध, जिसके लिए जुलाई 2012 में नाशीजीव जोखिम विश्लेषण करने के लिए तकनीकी सूचना पहले ही प्रस्तुत कर दी गई थी तथा साथ ही भारतीय बाजार में कपास, मक्का, सोयाबीन, अंगूर, सेब, जई व एवौकेडो के लिए मंडी पहुंच के ब्राजील के अनुरोध पर भी विचार-विमर्श किया गया।
भारतीय पशु नस्लों, जो ब्राजील के पशुधन का मुख्य आधार है, से संबंधित तकनीकी सूचना शेयर करने के लिए दोनों देशों की एजेंसियों के बीच प्रस्तावित समझौता ज्ञापन पर भी विचार-विमर्श किया गया तथा इस बात पर सहमति बनी कि बकाया मुद्दों को निपटाने के लिए तकनीकी दल विचार-विमर्श कर सकता है।
श्री राधा मोहन सिंह और श्री ब्लेयरो मैगी, भारत-ब्राज़ील की मंडियों में पहुंच बनाने में आ रही अड़चनों के दूर करने के लिए शीघ्रता से जांच कराने तथा ऐसे तकनीकी विचार-विमर्श के लिए आवश्यकता पड़ने पर पहले से गठित संयुक्त कार्यदल जैसे वर्तमान मंच का उपयोग करने पर सहमत हुए।