नई दिल्ली: पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने तेल प्राकृतिक गैस, स्वच्छ ऊर्जा, विद्युत ट्रांसमिशन और कौशल विकास के क्षेत्रों में भारत और कनाडा के मध्य ऊर्जा सहयोग बढ़ाने के बारे में विचार-विमर्श करने के लिए दूसरी भारत-कनाडा मंत्री स्तर ऊर्जा वार्ता के लिए 5 जुलाई को कालगरी, अलबर्टा, कनाडा में वहां के प्राकृतिक संसाधन मंत्री श्री ग्रेग रिकफोर्ड के साथ मुलाकात की।
इस अवसर पर बोलते हुए श्री प्रधान ने कहा कि भारत और कनाडा के साझा समान मूल्य और आदर्श हैं और वे दीर्घकालीन और टिकाऊ भागीदारी में विश्वास करते हैं। हमारा ऊर्जा सहयोग मजबूती से आगे बढ़ रहा है, लेकिन इसकी संभावना बहुत अधिक हैं। हमें इन संभावनाओं को वास्तविकता में बदलना है।
इस अवसर पर श्री रिकफोर्ड ने कहा कि भारत के साथ कनाडा का बढ़ता हुआ ऊर्जा संबंध रोजगार जुटाने और दोनों देशों की दीर्घकालीन समृद्धि में सहायता प्रदान कर रहा है। हम अपने ऊर्जा हितों की पूरकता के आधार पर व्यापक सहयोग द्वारा अपनी सामरिक भागीदारी का विस्तार करने के लिए तैयार हैं। दोनों मंत्रियों ने रोजगार का सृजन करने और दोनों देशों के लिए दीर्घकालीन आर्थिक समृद्धि बढ़ाने में मदद करने के लिए सरकार और व्यापारिक संबंधों को मजबूती प्रदान करके भारत और कनाडा की बढ़ती हुई ऊर्जा भागीदारी के बारे में प्रकाश डाला।
कनाडा विश्व के लिए ऊर्जा का सुरक्षित, विश्वसनीय उत्पादक और आपूर्तिकर्ता देश है और भारत की बढ़ती हुई ऊर्जा जरूरतों में मदद देने के लिए अपेक्षित संसाधन और विशेषज्ञता रखता है। 2012 में भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता देश था। अभी हाल में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अध्ययनों में दर्शाया गया है कि 2014 से 2025 के दौरान भारत की अर्थ व्यवस्था का तेजी से विकास होने की उम्मीद है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक 2014 के अनुसार भारत की तेल की मांग में 2013-2040 के दौरान विश्व में सबसे अधिक बढ़ोतरी हो जाएगी।
भारत और कनाडा के मध्य ऊर्जा की पूरकता में पहले ही महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल कर ली गई है जो द्वीपक्षीय ऊर्जा संबंधों का निर्माण करने में सहायक है। वर्ष 2009 में भारत को पहली बार कनाडा से तेल प्राप्त हुआ और 2014 में भारत ने कनाडा से प्रतिदिन 1500 बैरल कच्चा तेल प्राप्त किया। वर्ष 2013 में अलबर्टा पेट्रोलियम मार्केटिंग कमीशन और इंडियन ऑयल कारपोरेशन के मध्य सहयोग के लिए अभिरुचि की अभिव्यक्ति पर हस्ताक्षर हुए। मार्च 2014 में इंडियन ऑयल कारपोरेशन लिमिटेड ने एक समेकित एलएनजी परियोजना- लेलू आईलैंड ब्रिटिश कोलम्बिया में प्रस्तावित पैसिफिक नॉर्थ-वेस्ट एलएनजी में 10 प्रतिशत भागीदारी हित अर्जित किया। 15 अप्रैल 2015 को कनाडा ने विद्युत उत्पादन के लिए अगले पांच वर्षों के दौरान भारत को सात मिलियन पौंड से भी अधिक यूरेनियम की आपूर्ति के ठेके की घोषणा का स्वागत किया।
कनाडा 44 बिलियन क्यूबिक मीटर प्राकृतिक गैस की महत्वपूर्ण आपूर्ति कर सकता है जिसकी 2025 तक भारत को वार्षिक आयात करने की भविष्यवाणी की गई है। भारतीय कंपनियां कनाडा में ऐसी परियोजना में सक्रिय रूप से कार्य कर रही हैं। इनमें पैसेफिक नॉर्थ-वेस्ट एलएनजी और ए सी एलएनजी की परियोजनाएं शामिल हैं। मंत्रियों ने खनन और ऑयल सेंड्स गतिविधियों में भारत की भागीदारी बढ़ाने के अवसरों और भारत के ऊर्जा बुनियादी ढा़ंचे में कनाडा का निवेश बढ़ाने, सौर, वायु, विद्युत ट्रांसमिशन, कार्बन कैप्चर और भंडारण सहित स्वच्छ ऊर्जा की प्रौद्योगिकियों के क्षेत्रों में तकनीकी सहयोग बढ़ाने के बारे में विचार-विमर्श किया। भारत और कनाडा कौशल विकास बढ़ाने और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को अपनाने की गति बढ़ाने के लिए जानकारी साझा करने के लिए भी मिलकर काम करेंगे। दोनों मंत्री उपरोक्त विषयवस्तुओं में सरकार से सरकार और व्यापार से व्यापार सहयोग को मजबूत करने पर भी सहमत थे। उन्होंने ऊर्जा क्षेत्र में आपसी हितों के अवसरों का पता लगाने के लिए लगातार काम करने के लिए प्रतिबद्धता दर्शाई। तीसरी भारत-कनाडा मंत्री स्तर ऊर्जा वार्ता 2016 में भारत में आयोजित की जाएगी।