नई दिल्ली: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आज जापान के शिक्षा, संस्कृति, खेल, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री हिरोशी हेज से टोक्यो में मुलाकात की। दोनों मंत्रियों ने भारत और जापान के बीच विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वर्ष 1985 में शुरू की गई दीर्घकालिक एवं करीबी भागीदारी को याद किया। वर्तमान संदर्भ में, ज्ञान संचालित दोनों अर्थव्यवस्थाओं के विस्तृत अन्योन्याश्रित सहयोग हैं,
जिन्होंने सामाजिक चुनौतियों के लिए नवीन एवं किफायती समाधान उपलब्ध कराते हुए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के साधनों का उपयोग कर अपार अवसरों का सृजन किया है। दोनों मंत्रियों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि दोनों सरकारों को जापान विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग का एजेंडा तय करने के लिए समन्वित प्रयास करने होंगे।
संयुक्त डीआईएएलएबी की स्थापना में भारत के बायोटैक्नालजी विभाग (डीबीटी) और जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड इंडस्ट्रीयल साइंस एंड टैक्नालजी (एआईएसटी) के बीच सफल सहयोग को याद करते हुए दोनों मंत्रियों ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और जापान की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एजेंसी (जेएसटी)के बीच इंटरनेट ऑफ थिंग्स, कृत्रिम आसूचना और बिग डाटा एनालिटिक्स के क्षेत्र में भागीदारी से भारत-जापान संयुक्त प्रयोगशालाओं के गठन पर सहमति व्यक्त की।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रमुख भागीदारी के रूप में केईके, तस्कुबा में सिंक्रोट्रॉन फोटोन फैक्ट्री में भारतीय बीम लाइन की स्थापना को याद करते हुए दोनों पक्षों ने ऊर्जा संबंधी अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करते हुए एडवांस्ड मेटिरियल्स के बारे में अध्ययन आरम्भ करने के लिए भारतीय बीम लाइन के अगले चरण का प्रारम्भ करने पर सहमति व्यक्त की। डीएसटी ने इस सहयोग के लिए पांच वर्षों की अवधि में 19 करोड़ रुपये के वित्तपोषण की प्रतिबद्धता व्यक्त की। डॉ. हर्षवर्धन की उपस्थिति में भारत की राजदूत सुश्री दीपा गोपालन वधवा द्वारा इस संबंध में आशय पत्र को सम्पन्न किया गया।
इतना ही नहीं, शोधकर्ताओं की अगली पीढ़ी को साथ जोड़ने के लिए भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और जापान की सोसायटी फॉर द प्रमोशन ऑफ साइंस (जेएसपीएस) ने एक-दूसरे की प्रयोगशालाओं में शोध कार्य करने के लिए डॉक्टरल और पोस्ट डॉक्टरल शोधकर्ताओं के आदान-प्रदान के लिए परस्पर फेलोशिप कार्यक्रम प्रारम्भ करने पर सहमति व्यक्त की है।
डॉ. हर्ष वर्धन ने भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और जापान के जापान एजेंसी फॉर मैरीन-अर्थ साइंस एंड टैक्नालजी (जेएएमएसटीईसी) सामुद्रिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग शुरू करने की जरूरत पर बल दिया। जापान के मंत्री ने जलवायु अनुसंधान एवं समुद्रीय जीव विज्ञान के क्षेत्र में आपसी सहयोग को सशक्त बनाने पर सहमति व्यक्त की।
डॉ. हर्ष वर्धन ने हाल ही स्थापित जेपनीज एजेंसी फॉर मेडिकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट (एएमईडी) का भी दौरा किया, जहां बायोमेडिकल उपकरणों और नैदानिक साधनों के क्षेत्रों में संयुक्त परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की गई। डॉ. हर्ष वर्धन ने इस नवाचार पहल के लिए भारत सरकार के प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया।