नई दिल्ली: नई दिल्ली में डीएसटी-सीआईआई भारत-नीदरलैंड प्रौद्योगिकी सम्मेलन के 25वें संस्करण का नीदरलैंड के राजा विलेम-अलेक्जेंडर और केंद्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने उद्घाटन किया। उन्होंने दोनों देशों की बीच सफल सहयोग पर प्रसन्नता जाहिर की।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए नीदरलैंड के राजा विलेम-अलेक्जेंडर ने कहा कि भारत भारत और नीदरलैंड प्रौद्योगिकी के मामले में एक-दूसरे के पूरक हैं और एक साथ मिलने पर वे महान टीम बनाते है। उन्होंने कहा कि नीदरलैंड के अनुसार भारत एक ऐसा भागीदार है जिस पर विश्वास किया जा सकता है। दोनों देश कृषि और खाद्य सुरक्षा, जल प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में एक साथ काम कर सकते हैं। दोनों देश सार्वजनिक निजी भागीदारी के रूप में अपने अनुभव और दृष्टिकोण को साझा कर सकते हैं।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने दोनों देशों के बीच साझा विरासत और आम धारणाओं पर प्रकाश डाला, जिसके कारण सहयोग को और अधिक मजबूत किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारे जैसे देशों को वैश्विक मुद्दों के बारे में दबाव डालने और स्थायी जवाब तलाशने के लिए सेनाओं को संयोजित करने की आवश्यकता है। इन मुद्दों में गरीबी, भुखमरी, रोजगार सृजन, ऊर्जा सुरक्षा, मानव अधिकार, लैंगिक असमानता शामिल हैं। साथ ही हमें जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और प्राकृतिक संसाधनों की कमी के बारे में भी मिलकर काम करने की जरूरत है।
भारत और नीदरलैंड के बीच सदियों पुरानी साझेदारी को याद करते हुए श्री हर्षवर्धन ने कहा कि उनके बीच व्यापार की पारंपरिक वस्तुओं ने ही उच्च प्रौद्योगिकी वाला रास्ता दिखाया है। उन्होंने कहा कि भारत और नीदरलैंड विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में 10 वर्षों के सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नीदरलैंड कृषि क्षेत्र में जल प्रौद्योगिकी में सुधार करके किसानों की आय को दोगुना करने में भारत की मदद कर सकता है।
उन्होंने ऐसे मजबूत हितों पर जोर दिया जो भारत और नीदरलैंड दोनों की अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि नीदरलैंड वैश्विक रूप से भारत का 28वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और यूरोपीय संघ का छठां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। 2000 और 2017 के बीच नीदरलैंड ने भारत में 24.31 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया, इस प्रकार यह जो देश के शीर्ष 5 निवेशकों में शामिल है।
इसके अतिरिक्त, मंत्री ने बताया कि भारत ने पिछले 5 वर्षों में 40,000 से अधिक स्टार्टअप का पोषण किया है, जिनमें से लगभग 31 ने यूनिकोर्न दर्जा प्राप्त किया है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि हमने स्टार्ट-अप इंडिया जैसे कार्यक्रम शुरू किए हैं और आज हम स्टार्ट-अप की संख्या के मामले में दुनिया में नंबर 3 पर हैं।
सुश्री इनेके डेजेंत्जे हेमिंग, वीपी, नीदरलैंड उद्योग परिसंघ और नियोक्ता वीएनओ-एनसीडब्ल्यू ने अपने संबोधन में कहा कि दोनों देश एक दूसरे के साथ ड्रेजिंग, कृषि और फूड प्रोसेसिंग और स्टार्ट-अप जैसे क्षेत्रों पर काम कर सकते हैं। उसने कहा कि उद्यमिता और प्रौद्योगिकी की कोई सीमा नहीं है और नीदरलैंड विकास की अपनी खोज में भारत के साथ शामिल होने के लिए तैयार है।
डीएसटी सचिव, प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा कि भारत प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहा है और अपने इच्छित लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि नीदरलैंड सहयोग के कुछ प्रमुख क्षेत्रों में जैसे सस्ती चिकित्सा विज्ञान, बिग डेटा, इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स, पानी और खाद्य प्रसंस्करण आदि में भारत की सहायता कर सकता है। सीआईआई के अध्यक्ष श्री विक्रम किर्लोस्कर ने कहा कि भारत और नीदरलैंड ने कई सार्थक सहयोगों में प्रवेश किया है जिनमें गंगा नदी की सफाई और दिल्ली में बारापुल्ला नाले की सफाई शामिल हैं। दोनों देशों को आपसी परियोजनाओं के बारे में सहयोग करने में बहुत लाभ हुआ है। शिखर सम्मेलन के दौरान क्रॉस-कटिंग, पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी), जल, कृषि, स्वास्थ्य, उद्यमशीलता, प्रौद्योगिकी टेक्नोलॉजी, बिग डेटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, IoT, साइबरस्पेस, डिजाइन थिंकिंग, शिक्षा, जियो डेटा और अंतरिक्ष पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
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