नई दिल्ली: भारत और श्रीलंका के बीच आज कोलंबो में मछुआरों के मुद्दें पर मंत्रिस्तरीय वार्ता का आयोजन किया गया। भारत के कृषि और कृषक कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने श्रीलंका के मत्स्य पालन और जलीय संसाधन विकास मंत्री श्री महिंदा अमारावीरा से मुलाकात की। ये वार्ता 31 दिसंबर, 2016 को नई दिल्ली में मत्स्य पालन पर संयुक्त कार्य समूह की प्रथम बैठक के बाद आयोजित की गई। संयुक्त कार्य समूह का गठन 5 नवंबर,2016 को नई दिल्ली में हुई मंत्रिस्तरीय बैठक में लिए गए निर्णय को आगे बढ़ाने के लिए किया गया था। इस बैठक की सह-अध्यक्षता भारत के पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन, सचिव और श्रीलंका के मत्स्य और जलीय संसाधन विकास, सचिव के द्वारा की गई।
दोनों मंत्रियों ने मछुआरों के मुद्दों पर एक स्थाई समाधान तलाशने में सहायता के लिए संभव तंत्र पर विचारों का आदान-प्रदान किया। संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) के सह-अध्यक्षों ने प्रथम जेडब्ल्यूजी बैठक के परिणामों की जानकारी मंत्रियों को दी और उन्होंने इस विषय में आगामी प्रक्रिया को बढ़ाने के लिए निर्देश भी दिए।
दोनों पक्षों ने संबंधित कानूनी और प्रक्रियागत औपचारिकताओं के पूरा होने पर एक-दूसरे की हिरासत में लिए गए मछुआरों की रिहाई और उन्हें सौंपे जाने के लिए एक निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया पर सहमति जताई। मंत्रिस्तरीय वार्ता के बाद वर्तमान हिरासत में मछुआरों की तत्काल रिहाई की घोषणा की गई।
मंत्रियों ने भारत और श्रीलंका के तट गार्डों के हॉट लाइन के परिचालन हेतु जेडब्ल्यूजी के द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की हिरासत में ली गई मछली पकड़ने वाली नौकाओं को छोड़ने की मुद्दे पर भी विचार-विमर्श किया। भारत की ओर से भारतीय नौकाओं को शीघ्र छोड़ने का अनुरोध भी किया गया।
जेडब्ल्यूजी की अगली बैठक अप्रैल 2017 में आयोजित की जाएगी और इस बैठक में मछुआरों से जुड़े मुद्दों के समाधान में हुई प्रगति की व्यापक स्तर पर समीक्षा की जाएगी।