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आंतकवाद और कट्टरतावाद से लड़ने के लिए भारत और यूरोपीय संघ को मिलकर काम करना चाहिए: रामनाथ कोविंद

देश-विदेश

नई दिल्ली: राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने एथेंस में ‘बदलते विश्व में भारत और यूरोप’ विषय पर राजनयिकों, नीति निर्माताओं और शिक्षाविदों को संबोधित किया। इस कार्यक्रम का आयोजन हैलेनिक फाउंडेशन फॉर यूरोपियन एंड फॉरेन पॉलिसी (ईएलआईएएमईपी) संस्था द्वारा किया गया था, जो यूनान और यूरोप का विख्यात थिंकटैंक है।

राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि भारत विश्व शांति के लिए प्रतिबद्ध है। भारत संघर्ष की अनुपस्थिति को शांति नहीं समझता है, बल्कि शांति, सतत विकास की एक झलक है। वास्तव में शांति ऐसा प्रयास है जो दु:ख और तकलीफ को दूर करता है। जब हम अन्य विकासशील देशों की सहायाता करते हैं और विश्व में असमानता को कम करने का प्रयास करते हैं तो हम विश्व शांति में योगदान देते हैं। जब हम संकटग्रस्त क्षेत्रों से अपने नागरिकों का बचाव करते हैं या अपने नागरिकों के साथ अन्य देशों के नागरिकों का बचाव करते हैं एवं उन्हें सहायता प्रदान करते हैं तो हम विश्व शांति में अपना योगदान देते हैं। 2015 के यमन संकट के दौरान हमने ऐसा किया। हमने 40 अन्य देशों के नागरिकों के राहत एवं बचाव कार्य में अपना योगदान दिया है। जब हम संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के लिए अपने सैनिक भेजते हैं तो हम विश्व शांति में अपना योगदान देते हैं।

राष्‍ट्रपति महोदय ने कहा कि कट्टरतावाद और आतंकवाद वैश्विक समस्‍याएं हैं। भारत के पश्चिम में और यूरोप के पूर्व में कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जो अस्थिरता और उग्रवाद से प्रभावित हैं। यह यूरोप और भारत दोनों के लिए ही चिंता का विषय है।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत और यूरोप को पूरे विश्‍व से यह आग्रह करना चाहिए कि वह ‘अच्‍छे’ और ‘बुरे’ आतंकियों के बीच अंतर न करे। इसके साथ ही फाइनेंशिल एक्‍शन टास्‍क फोर्स तथा वैश्विक आतंक विरोधी फोरम जैसे बहुपक्षीय मंचों को मजबूत किया जाना चाहिए। भारत घरेलू अनुभव को साझा करना चाहता है, ताकि यह यूरोपीय संघ के लिए फायदेमंद साबित हो।

स्‍वच्‍छ ऊर्जा और जलवायु परितर्वन के बारे में राष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत और यूरोपीय संघ 2015 के पेरिस समझौते के लिए प्रतिबद्ध है। भारत ऊर्जा में अजैविक संसाधनों के अंश को बढ़ा रहा है। 2027 तक यह वर्तमान के 31 प्रतिशत से बढ़कर 53 प्रतिशत हो जाएगा। भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा के संदर्भ में 175 गीगावाट का लक्ष्‍य निर्धारित किया है। इनमें से 100 गीगावाट सौर ऊर्जा से प्राप्‍त होगा। राष्‍ट्रपति ने यूनान को अंतर्राष्‍ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) का सदस्‍य बनने के लिए आमंत्रित किया।

इस कार्यक्रम से पहले राष्‍ट्रपति महोदय ने एथेंस में भारत-यूनान व्‍यापार मंच को संबोधित किया। इस अवसर पर राष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत और यूनान का द्विपक्षीय व्‍यापार 530 मिलियन डॉलर है, जो अपनी क्षमता से बहुत कम है। यदि हम प्रयास करें, तो अगले कुछ वर्षों में द्विपक्षीय व्‍यापार एक बिलियन डॉलर से अधिक हो सकता है।

राष्‍ट्रपति महोदय ने यूनान की शिपिंग, कृषि, खाद्य प्रसंस्‍करण, पर्यटन, अवसंरचना, तकनीक, प्रतिरक्षा, दवा, रियल एस्‍टेट, मनोरंजन और र्स्‍टाट-अप कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया। उन्‍होंने कहा कि यूनान की शिपिंग कंपनियों के लिए भारत की सागरमाला परियोजना एक सुनहरा अवसर है।

राष्‍ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद कल शाम (18 जून, 2018) यूनान के राष्‍ट्रपति द्वारा उनके सम्‍मान में दिए गए भोज में शामिल हुए। उन्‍होंने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी का निंरतर समर्थन करने के लिए यूनान को धन्‍यवाद दिया।

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