नई दिल्ली: भारत के राजस्व सचिव श्री शक्तिकांत दास और भारत में अमेरिका के राजदूत श्री रिचर्ड वर्मा ने आज यहां विदेशी खाता टैक्स अनुपालन अधिनियम (एफएटीसीए) को लागू करने के लिए एक अंतर-सरकारी समझौते (आईजीए) पर हस्ताक्षर किए, ताकि कर मसलों पर दोनों देशों के बीच पारदर्शिता को बढ़ावा दिया जा सके। यह समझौता हर जगह कर चोरी रोकने के लिए बढ़ते अंतरराष्ट्रीय सहयोग की अहमियत को दर्शाता है। हस्ताक्षरित समझौते का मूल पाठ भारतीय आयकर विभाग की वेबसाइट (www.incometaxindia.gov.in) और अमेरिकी ट्रेजरी की वेबसाइट (www.treasury.gov) पर उपलब्ध है। भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से काफी अच्छे रिश्ते रहे हैं। इस मित्रता के तहत अब कर मसलों पर पारस्परिक सहायता भी दी जाने लगी है। अंतरराष्ट्रीय कर अनुपालन में बेहतरी सुनिश्चित करने की इच्छा भी इस मित्रता में शामिल है। आईजीए पर हस्ताक्षर होने से कर मसलों पर पारदर्शिता और विदेश में कर चोरी के खिलाफ जंग छेड़ने की तरफ भारत एवं अमेरिका की साझा प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि होती है।
राजस्व सचिव श्री शक्तिकांत दास ने कहा कि एफएटीसीए को लागू करने के लिए अमेरिका के साथ आज आईजीए पर हस्ताक्षर किया जाना विदेश में कर चोरी के मामलों से निपटने की दिशा में भारत सरकार के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है। यह काले धन के खिलाफ जंग में भारत सरकार की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि करता है। यह उम्मीद की जा रही है कि एफएटीसीए के तहत विदेश स्थित खातों के बारे में स्वत: आधार पर सूचनाओं के आदान-प्रदान से कर चोरी करने वालों पर लगाम लगाई जा सकेगी। यही नहीं, इससे कर पारदर्शिता को नई गति मिलेगी और इसके साथ ही प्रत्यक्ष कर व्यवस्था में अपेक्षाकृत ज्यादा इक्विटी का आगमन संभव हो पाएगा जो किसी भी स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक है।
अमेरिका की तरफ से आईजीए पर हस्ताक्षर करने वाले राजदूत श्री रिचर्ड वर्मा ने कहा, ”इस समझौते पर हस्ताक्षर किया जाना कर चोरी के मामलों से निपटने में अमेरिका और भारत के बीच सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। एफएटीसीए इस मसले को सुलझाने के लिए जारी अमेरिकी प्रयासों का एक अहम हिस्सा है।”
एफएटीसीए विदेश में कर चोरी पर लगाम लगाने के प्रयासों के तहत काफी तेजी से वैश्विक मानक बनता जा रहा है। अमेरिका ने अब तक 110 से भी ज्यादा क्षेत्राधिकारों के साथ आईजीए कर रखे हैं। यही नहीं, इस संबंध में अभी कई और क्षेत्राधिकारों के साथ अमेरिका की बातचीत जारी है।
अमेरिका ने वर्ष 2010 में एफएटीसीए को कानून का रूप प्रदान किया था। इसका मुख्य उद्देश्य अमेरिकी करदाताओं द्वारा अन्य देशों में खोले गए खातों के बारे में सूचनाएं हासिल करना रहा है।