सांसे अटकाने वाले इस फाइनल मैच में भारत एशिया कप विजेता बन तो गया लेकिन बांग्लादेश की टीम ने उसे आखरी मैच तक जीत के लिए पानी पिला दिया। इस प्रकार कहा जाये तो बांग्लादेश क्रिकेट की टीम दुनिया में एक मजबूत टीम के रूप में उभरी है।
बता दें कि भारत ने बांग्लादेश की ओर से जीत के लिए मिला 223 रन का लक्ष्य आखिरी ओवर की आखिरी गेंद पर सात विकेट गंवाकर हासिल किया। वनडे क्रिकेट में सिर्फ़ दूसरा मौका है जब किसी टूर्नामेंट का ख़िताबी फ़ैसला आखिरी गेंद पर हुआ।
भारतीय टीम ने रिकॉर्ड सातवीं बार एशिया कप जीता है। इससे पहले वह 1984, 1988, 1990, 1995, 2010 और 2016 में भी चैंपियन रह चुकी है। फ़ाइनल में शतक बनाने वाले बांग्लादेश के लिटन दास को मैन ऑफ द मैच चुना गया। भारत के लिए पांच मैचों में 342 रन बनाने वाले शिखर धवन मैन ऑफ द सिरीज़ चुने गए। फ़ाइनल में भारतीय टीम फेवरिट मानी जा रही थी। भारत ने जीत भी हासिल की लेकिन भारतीय बल्लेबाज़ों को बांग्लादेश से पार पाने के लिए ख़ासी मशक्कत करनी पड़ी।
बांग्लादेश के गेंदबाजों ने भारत के स्टार बल्लेबाज़ों का छोटे लक्ष्य पहुंचने के लिए कड़ा इम्तिहान लिया।सुपर-4 के आख़िरी मैच में अफ़ग़ानिस्तान से टाई खेलने वाली भारतीय टीम बांग्लादेश के ख़िलाफ भी चैंपियन वाला दबदबा नहीं दिखा सकी।
भारत की सांसे अटकी:
भारत को आखिरी ओवर में जीत के लिए छह रन बनाने थे और उसके तीन विकेट बाकी थे। बांग्लादेश ने आख़िरी ओवर के लिए महमुदुल्लाह पर भरोसा दिखाया। क्रीज़ पर कुलदीप यादव और चोटिल केदार जाधव थे। कुलदीप ने इस ओवर के पहले मैच में सिर्फ़ एक गेंद खेली थी। कुलदीप ने पहली गेंद पर एक रन बनाया। दूसरी गेंद पर चोटिल जाधव ने एक रन लिया। तीसरी गेंद पर कुलदीप ने दो रन ले लिए। अब तीन गेंदों पर भारत को दो रन बनाने थे। चौथी गेंद पर कोई रन नहीं बना। भारत को आखिरी दो गेंदों पर दो रन बनाने थे। पांचवीं गेंद पर भारत को एक रन मिला। आखिरी गेंद पर एक रन की दरकार थी और जाधव स्ट्राइक पर थे। आखिरी गेंद पर जाधव के पैर से टकराकर शॉर्ट फाइन लेग की तरफ गई। भारत को लेग बाई के जरिए एक रन मिला और जीत उसके खाते में दर्ज़ हो गई। जाधव 23 रन बनाकर नाबाद लौटे। कुलदीप यादव ने नाबाद पांच रन का योगदान दिया।