बीजिंग: भारत और चीन ने शनिवार को सीमा के जटिल सवाल के “निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक स्वीकार्य” हल के लिए यथाशीघ्र अपने प्रयासों की गति को “तेज” करने का संकल्प जताया. दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों ने इस मुद्दे पर “रचनात्मक और भविष्योन्मुखी” बातचीत की. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने शनिवार को चीन के दक्षिण पश्चिम सिचुआन प्रांत के चेंगडु में सीमा मसले पर बातचीत की. यह दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच 21वें दौर की वार्ता थी.
दोनों देशों को सीमा पर शांति और संयम बरतना चाहिए- प्रतिनिधि
सीमा वार्ता के लिये बनाए गए विशेष प्रतिनिधियों ने कहा कि अंतिम समाधान के लंबित रहने तक दोनों देशों को सीमा पर शांति और संयम बरतना चाहिए जिससे यह सुनिश्चित हो कि विवाद विकास के द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित नहीं करे. उन्होंने यह भी कहा कि इस समस्या का शीघ्र समाधान मूल हितों के उद्देश्यों को साधेगा. गौरतलब है कि भारत-चीन के बीच 3488 किलोमीटर की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर विवाद है. चीन अरूणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानता है.
सीमा विवाद निपटाने के लिए प्रयास तेज करने का संकल्प
इस वर्ष की शुरुआत में स्टेट काउंसलर यांग जिची का स्थान लेने के बाद वांग की यह पहली वार्ता है. चीनी सरकार के वरिष्ठता क्रम में स्टेट काउंसलर को विदेश मंत्री से एक पद उच्च माना जाता है. सीमा वार्ता के बाद बीजिंग में भारतीय दूतावास द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, “वुहान शिखर सम्मेलन में नेताओं द्वारा उनके काम को दिये गए रणनीतिक निर्देशन और सहयोग से विशेष प्रतिनिधियों ने भारत-चीन सीमा विवाद के जल्द ही निष्पक्ष, उचित और परस्पर स्वीकार्य समाधान के लिये प्रयास तेज करने का संकल्प व्यक्त किया है.” वे इस साल अप्रैल में वुहान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच हुई पहली अनौपचारिक शिखर वार्ता पर बात कर रहे थे.
सीमा विवाद के समाधान की तरफ बढ़ने के महत्व को किया रेखांकित
बयान में कहा गया कि डोभाल और वांग ने भारत-चीन के संबंधों के रणनीतिक परिदृश्य से सीमा विवाद के समाधान की तरफ बढ़ने के महत्व को रेखांकित किया और सीमा विवाद के ऐसे शीघ्र समाधान के लिये सहमति व्यक्त की जो दोनों देशों के मूल हितों की पूर्ति करे. विशेष प्रतिनिधियों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि सीमा विवाद के अंतिम समाधान होने तक यह महत्वपूर्ण है कि सीमा पर अमन-चैन बनाए रखा जाए जिससे यह सुनिश्चित हो कि सीमा का सवाल दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के विकास को प्रभावित न करे.
(इनपुट भाषा से)