नई दिल्ली: केन्द्रीय वाणिज्य, उद्योग और रेल मंत्री श्री पीयूष गोयल ने यह आश्वासन दिया कि भारत किसी भी व्यापार अनुबंध को जल्दबाजी में अंतिम रूप नहीं देगा। आज नई दिल्ली में क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) के बारे में भारत द्वारा लिए गए निर्णय के संबंध में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि व्यापार समझौता वार्ता के दौरान सबसे पहले देश पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि भारत के आर्थिक हित और राष्ट्रीय प्राथमिकताएं सबसे पहले आती हैं। किसानों, डेयरी क्षेत्र, एमएसएमई और घरेलू विनिर्माण की चिंताओं का समाधान किया जाएगा और इन क्षेत्रों की सुरक्षा की जाएगी। श्री पीयूष गोयल ने कहा कि आरसीईपी में सात वर्ष लम्बी वार्ताओं के दौरान भारत लगातार व्यापार घाटा को नियंत्रित करने, अनुचित आयात के सापेक्ष, मजबूत संरक्षण और भारतीय वस्तुओं और सेवाओं के लिए बेहतर बाजार अवसरों के बारे में अपनी मांगों के लिए अपने रुख पर मजबूती से खड़ा है। भारतीय बाजार की शुरूआत ऐसे क्षेत्रों के अनुरूप होनी चाहिए, जहां हमारे व्यापार में लाभ हो सके। भारत अपने बाजारों को अन्य देशों की वस्तुओं के लिए डंपिंग ग्राउंड बनने की अनुमति नहीं देगा।
श्री पीयूष गोयल ने यह भी बताया कि जापान, कोरिया और आसियान देशों के साथ मुक्त व्यापार अनुबंधों (एफटीए) की समीक्षा की जा रही है। दक्षिण कोरिया के साथ एफटीए, जो तीन साल पहले शुरू हुआ था उसकी तेजी से समीक्षा की जा रही है। उन्होंने बताया कि भारत ने एफटीए की समीक्षा के लिए पहले ही आसियान से अनुबंध किया है और जापान एफटीए के संबंध में मुद्दों को निपटाने के लिए एक संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) विचार-विमर्श कर रहा है।
प्रश्नों का उत्तर देते हुए श्री गोयल ने कहा कि वर्तमान में भारत अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ व्यापार अनुबंधों का पता लगा रहा है। इन देशों में भारतीय उद्योग और सेवाएं प्रतिस्पर्धी होंगी और बड़े विकसित बाजारों में पहुंच से भारत को लाभ भी अर्जित होगा।