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भारत विश्व में डेटा पावरहाउस के रूप में उभरा है और यह विधायी व अन्य उपायों से डेटा संरक्षण के लिए सभी कदम उठा रहा है: डॉ. जितेंद्र सिंह

देश-विदेश

हैदराबाद में ई-गवर्नेंस पर दो दिवसीय 24वें राष्ट्रीय सम्मेलन में उद्घाटन भाषण देते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत 21वीं सदी की डिजिटल क्रांति का नेतृत्व कर रहा है।

मंत्री ने कहा कि भारत विश्व में डेटा पावरहाउस के रूप में उभरा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विधायी व अन्य उपायों से डेटा संरक्षण के लिए सभी कदम उठाए जा रहे हैं।

सम्मेलन की थीम “भारत की तकनीक (टेकेड) : महामारी के बाद की दुनिया में डिजिटल प्रशासन” पर बोलते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि डिजिटल इंडिया ने लाखों लोगों, विशेष रूप से देश में गरीबों और जरूरतमंदों के लिए सेवाओं तक पहुंच को आसान बनाने में मदद की है। उन्होंने कहा कि चाहे आधार कार्ड जारी करना हो या ड्राइविंग लाइसेंस, जन्म प्रमाण पत्र या बिजली बिल का भुगतान, पानी का बिल, या आयकर रिटर्न इन्हें अब डिजिटल इंडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से तेजी से और आसानी से किया जा सकता है और यहां तक कि गांवों में भी कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से ये चीजें हो रही हैं।

उद्घाटन समारोह में तेलंगाना सरकार में नगर प्रशासन और शहरी विकास, उद्योग, सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार मंत्री, श्री के. टी. रामा राव, प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग, भारत सरकार के सचिव श्री वी. श्रीनिवास, तेलंगाना सरकार के मुख्य सचिव श्री सोमेश कुमार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के अपर सचिव श्री राजेंद्र कुमार, तेलंगाना सरकार के सूचना तकनीकी के प्रमुख सचिव श्री जयेश रंजन और डीएआरपीजी व राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

“टेकेड” पहलु का उल्लेख करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने उद्धृत किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते हैं कि यह दशक डिजिटल तकनीकी में भारत की क्षमताओं और वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में इसकी हिस्सेदारी को बढ़ाने वाला है। इसलिए शीर्ष विशेषज्ञ इस दशक को “इंडियाज टेकेड” के रूप में देख रहे हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक सेवा वितरण के माध्यम से सेवाओं को फेसलेस, पेपरलेस और कैशलेस बनाने में सरकारों द्वारा कई सफल पहल की गई हैं और अच्छी तरह से आधार समर्थित डीबीटी, पीडीएस, मनरेगा, एलपीजी और पेंशन का उपयोग कर सब्सिडी वितरण किया गया, जो सफलता की कहानियों को मान्यता देती हैं। मंत्री ने ई-गवर्नेंस में उत्कृष्टता के क्षेत्रों में 26 सफल प्रस्तावों को मान्यता दी और कहा कि मापदंड स्थापित करना व स्वतंत्र मूल्यांकन करना भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हम डिजिटल गवर्नेंस मॉडल को बेहतर बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि तेलंगाना उद्योग और वाणिज्य में सुशासन के साथ-साथ सामाजिक कल्याण और विकास में सुशासन के लिए तकनीकी का उपयोग करते हुए डिजिटल शासन में भारत के सबसे उन्नत राज्यों में से एक है। उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि तेलंगाना सरकार की पहल को सुशासन सूचकांक 2021 में मान्यता मिली है। तेलंगाना के जनहित मंच को भारत के सबसे अच्छे क्रियाशील शिकायत निवारण प्लेटफार्मों में से एक माना गया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सीपीजीआरएएमएस को आज सभी केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, संबद्ध, अधीनस्थ और स्वायत्त निकायों में अपनाया और लागू किया गया है। वर्ष 2021 में सीपीजीआरएएमएस पर 21 लाख पीजी मामले प्राप्त हुए, जिसमें 19.95 लाख का निवारण किया गया है। उन्होंने कहा कि सीपीजीआरएएमएस सुधारों के कार्यान्वयन के साथ अंतिम स्तर के शिकायत अधिकारियों तक पहुंच, 68,000 से अधिक शिकायत अधिकारियों को सीपीजीआरएएमएस व्यवस्था से जोड़ा गया है और महामारी के दौरान शिकायत निवारण का समय औसतन 1.45 दिन था। मंत्री ने कहा कि सीपीजीआरएएमएस सुधारों को 2022 में अन्य 20 मंत्रालयों/विभागों में लागू किया जाएगा, जिसमें सीपीजीआरएएमएस संस्करण 7.0 से 40 को अपनाने वाले मंत्रालयों की बढ़ती हुई संख्या होगी।

मंत्री ने अपने समापन वक्तव्य में कहा कि राष्ट्रीय सम्मेलन ने हमें ई-गवर्नेंस डोमेन में उपलब्धियों को पहचानने के लिए एक मंच दिया है और हम आज उन लोगों को धन्यवाद देंगे और पुरस्कृत करेंगे जो इस दशक को भारत का “टेकेड” बनाने में ईमानदारी से काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सम्मेलन डिजिटल क्रांति के भीतर निहित अंतर्निहित क्षमता को बढ़ावा देने व प्रतिस्पर्धी और सहयोगी भावना दोनों का मिश्रण स्थापित करने का प्रयास करता है।

तेलंगाना सरकार के सहयोग से भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत (डीएआरपीजी) विभाग व केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्राद्यौगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) की ओर सम्मेलन का आयोजन से किया गया।

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