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भारत विश्‍वभर के निवेशकों के लिए एक आकर्षक लक्ष्य के रूप में उभरा है: उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू

देश-विदेश

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि भारत विश्‍वभर के निवेशकों के लिए एक आकर्षक लक्ष्य के रूप में उभरा है। उन्‍होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को उच्च मानकों को बनाए रखना चाहिए और शैक्षणिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देना चाहिए। श्री नायडू आज चेन्नई में ग्रेट लेक इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।

इस बात की चर्चा करते हुए कि भारत अगले कुछ वर्षों में 5 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है,  श्री नायडू ने बताया कि आर्थिक असंतुलन, शहरी-ग्रामीण विभाजन, स्‍त्री-पुरूष भेदभाव और सामाजिक भेदभाव को दूर करने तथा सभी संस्थानों की प्रतिष्ठा बढ़ाने की आवश्यकता है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट, केंद्रीय सर्तकता आयोग (सीवीसी), नियंत्रक‍ और महालेखा परीक्षक (कैग) और निर्वाचन आयोग, संसद और राज्य विधानसभाएँ शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन संस्थानों की पवित्रता को कमजोर करने के लिए किसी को भी कुछ नहीं कहना या करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि किसी के पास कोई शिकायत हो तो उसके निवारण के लिए उपयुक्त मंच भी उपलब्‍ध हैं।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा संसदीय लोकतंत्र है और प्रभावी चुनाव प्रणाली और नियमित आधार पर चुनाव कराने का ट्रैक रिकॉर्ड है। चुनावों को  ‘लोकतंत्र का त्योहार’ बताते हुए, उन्होंने निर्वाचन आयोग को शांतिपूर्ण और व्यवस्थित तरीके से संचालन के लिए बधाई दी।

संस्‍थान से उतीर्ण होने वाले छात्रों को अपने अल्मा मेटर का सम्मान करने और हमेशा अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए काम करने का आह्वान करते हुए, श्री नायडू ने उन्हें अकादमिक उत्कृष्टता प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करने और सामाजिक रूप से कर्तव्यनिष्ठ नागरिक बनने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के परिसरों पर माहौल को बाहरी मुद्दों से प्रभावित नहीं किया जाना चाहिए और उन्होंने प्रसन्‍नता व्यक्‍त करते हुए कहा कि कुछ को छोड़कर, अधिकांश 900 विश्वविद्यालय किसी भी व्‍यवधान से मुक्त हैं।

उपराष्ट्रपति ने उन्हें अपने माता-पिता, मातृभाषा, मूल स्थान, मातृभूमि और गुरु (शिक्षक) की उपेक्षा नहीं करने के लिए भी कहा। उन्होंने कहा कि उन्हें मातृभूमि की सुरक्षा और सुरक्षा को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा के लिए भी प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा, “साथी इंसानों का ख्याल रखना राष्ट्रवाद है और केवल वंदे मातरम या जय हिंद कहना राष्‍ट्रवाद नहीं है।” उन्होंने छात्रों में नैतिकता और नैतिक मूल्यों को विकसित करने के लिए शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

यह बताते हुए कि प्रबंधन केवल कॉर्पोरेट क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है, श्री नायडू ने कहा कि प्रबंधन अध्ययन का दायरा ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कृषि और संबद्ध उद्योग तक बढ़ाना चाहिए और इन क्षेत्रों को व्यवहार्य और जीवंत बनाने के लिए समाधान प्रदान करना चाहिए।

कृषि को संकट में बताते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि कृषि को लाभदायक और टिकाऊ बनाने के लिए संरचनात्मक बदलाव लाने और नई रणनीतियों और कार्यक्रमों की जरूरत है। कर्म योग कार्यक्रम के तहत ग्रामीणों के साथ बातचीत करने के लिए छात्रों को तैयार करने के लिए ग्रेट लेक इंस्टीट्यूट की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि ग्रामीण समस्याओं को जानना और समझना उनके लिए महत्वपूर्ण है।

श्री नायडू ने भारतीय प्रबंधन संस्थानों के लिए वैश्विक रूप से स्वीकृत शिक्षण परपंराओं, कार्यप्रणाली और पाठ्यक्रम को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारे छात्रों को वैश्विक रोजगार बाजार में विधिवत मान्यता मिले। भारतीय संस्थानों को वैश्विक प्रमुखता प्राप्त करने और अन्य प्रबंधन संस्थानों के साथ तालमेल कायम करने के लिए विश्व स्तर पर स्वीकृत मापदंड अपनाने होंगे। उन्होंने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के संस्थानों के साथ इस तरह के अकादमिक संबंध छात्रों को शिक्षण अनुभव प्रदान करने का एक शानदार तरीका है”।

उपराष्ट्रपति ने युवाओं को बताया कि वे एक बहुत ही रोमांचक मोड़ पर भारत की विकास की गाथा में शामिल हो रहे हैं। आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और स्टार्टअप के लिए दूसरा सबसे बड़ा वैश्विक केंद्र बन गया है।

यह बताते हुए कि चौथी औद्योगिक क्रांति तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित थी, श्री नायडू ने संस्‍थान से उतीर्ण होने वाले छात्रों से कहा कि प्रबंधकों के रूप में उन्हें औद्योगिक प्रक्रियाओं और प्रथाओं में प्रौद्योगिकी संचालित परिवर्तनों का प्रबंधन करने की आवश्यकता होगी। उपराष्ट्रपति ने कहा ”प्रत्येक परिवर्तन संभावित रूप से विघटनकारी है। आपको इस व्यवधान को नियंत्रित और प्रबंधित करना होगा। इसलिए अपने आप को ज्ञान से लैस करें और अपने कौशल को लगातार उन्नत करें” ।

उपराष्ट्रपति ने अपना संदेश दिया, उन्होंने थिरुक्कलुर के हवाले से कहा: “जो सीखा है उसे अच्छी तरह से जानो। और जो अधिक महत्वपूर्ण है, वह है उस शिक्षा के प्रति सच्चा रहना।

अपनी कक्षा 12 की परीक्षाओं में शानदार युवा छात्रों की प्रभावशाली शैक्षणिक उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा “जैसा कि हम उनकी उपलब्धियों का आनंद लेते हैं, यह हमारी पूरी जिम्मेदारी है कि हम उन्हें वैश्विक मानकों की सर्वोत्तम और सस्ती उच्च शिक्षा प्रदान करें जिससे उन्हें वैश्विक रोजगार बाजार में प्रवेश के अवसर मिलेंगे”।

 प्रख्यात वैज्ञानिक और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के पूर्व महानिदेशक डॉ. रमेश माशेलकर, ग्रेट लेक्स इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के प्रिंसिपल और एसोसिएट डीन, डॉ. वैद्यनाथन जयरामन,  वरिष्ठ संकाय सदस्य और संस्‍थान से उतीर्ण होने वाले छात्रों के माता-पिता/अभिभावक इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।

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