नई दिल्ली: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. हर्ष वर्धन ने आज यहां वीडियो कांफ्रेंस के जरिये कोविड-19 पर उच्च स्तरीय मंत्रियों के समूह (जीओएम) की 19वीं बैठक की अध्यक्षता की। बैठक के दौरान विदेश मामले मंत्री डा. एस जयशंकर, नागरिक उड्डयन मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी, जहाजरानी (स्वतंत्र प्रभार), रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री श्री मनसुख लाल मंडाविया, स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे तथा गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय बैठक के दौरान उपस्थित थे।
आरंभ में, जीओएम को भारत में कोविड-19 की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी दी गई। डा. हर्ष वर्धन ने कहा कि, ‘ भारत ने एक मिलियन से अधिक रिकवरी के साथ एक बड़ी उपलब्धि अर्जित कर ली है जिससे रिकवरी दर 64.54 प्रतिशत हो गई है। यह प्रदर्शित करता है कि चिकित्सा पर्यवेक्षण के तहत सक्रिय मामले केवल 33.27 प्रतिशत या लगभग कुल पॉजिटिव मामलों की एक तिहाई है। भारत के केस मृत्यु दर में लगातार कमी आती जा रही है और वर्तमान में यह 2.18 प्रतिशत है जो दुनिया में सबसे कम में से एक है।‘
भारत में पाए जाने वाले मामलों की गंभीरता पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि, ‘ कुल सक्रिय मामलों में से केवल 0.28 प्रतिशत रोगी वेंटिलेटर पर हैं, 1.61 प्रतिशत रोगियों को आईसीयू सहायता की आवश्यकता है और 2.32 प्रतिशत ऑक्सीजन की सहायता पर हैं। ‘ भारत की तेजी से बढ़ रही टेस्टिंग क्षमता के बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने रेखांकित किया कि आज की तिथि तक 1331 लैब (911 सरकारी प्रयोगशालाएं एवं 420 निजी प्रयोगशालाएं) के नेटवर्क के जरिये भारत ने पिछले 24 घंटों के दौरान रिकॉर्ड 6,42,588 टेस्ट किए हैं। इससे टेस्टों की संचयी संख्या 1.88 करोड़ से अधिक हो गई है।
जीओएम को पीपीई, मास्कों, वेंटिलेटर एवं एचसीक्यू जैसी दवाओं के विनिर्माण के लिए विभिन्न क्षेत्रों की घरेलू उत्पादन क्षमता को बढ़ाने संबंधी जानकारी दी गई। स्वास्थ्य देखभाल लॉजिस्टिक्स के लिहाज से, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों तथा केंद्रीय संस्थानों को संचयी रूप से 268.25 लाख एन95 मास्क, 120.40 लाख पीपीई एवं 1083.77 लाख एचसीक्यू टैबलेट बांटे जा चुके हैं।
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के निदेशक डा. सुजीत के सिंह ने सर्वोच्च केस लोड के साथ शीर्ष 10 देशों में दैनिक मामले, मृत्यु एवं वृद्धि दर पर वैश्विक तुलना प्रस्तुत की। जीओएम को बताया गया कि भारत के लिए समग्र रिकवरी दर 64.54 प्रतिशत है जिसमें दिल्ली द्वारा 89.08 प्रतिशत की सर्वोच्च रिकवरी दर अर्जित की गई है, इसके बाद हरियाणा (79.82 प्रतिशत) का स्थान है। कर्नाटक की सबसे कम, 39.36 प्रतिशत की रिकवरी दर है। जीओएम को ग्रामीण एवं शहरी भारत में कंटेनमेंट जोन में स्थान एवं सक्रिय मामलों के साथ पुष्ट मामलों के विवरण से अवगत कराया गया। एनसीडीसी के निदेशक ने भी जीओएम को शीर्ष 12 राज्यों (महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, तेलंगाना, बिहार, राजस्थान और असम)में वृद्धि दर, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में टेस्टों की संख्या एवं टेस्ट पॉजिटिविटी दर, और जिलों के बीच शीर्ष 20 जिलों तथा कंटेनमेंट जोन में सक्रिय मामले तथा मौतों के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने रेखांकित किया कि उच्च केस लोड जिलों/नगरों तथा पुणे, थाणे, बंगलुरु, हैदराबाद आदि जैसे हाल में तेज बढोतरी प्रदर्शित करने वाले नगरों में मृत्यु दर में कमी लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। जो उपाय किए जाने हैं, उनमें सख्त परिधीय नियंत्रण के जरिये कंटेनमेंट जोनों के प्रभावी प्रबंधन के लिए कार्यनीति का पुनर्निर्माण, व्यापक रैपिड एंटीजेन टेस्ट, सघन एवं रैपिड हर दरवाजे तक जांच, संदिग्धों/मामलों के लिए अधिक आइसोलेशन सुविधाएं, ऑक्सीजन समर्थित बेडों एवं वेंटिलेटरों में वृद्धि के साथ मानक केस प्रबंधन प्रोटोकॉल तथा सुनियोजित सेरो-सर्वे के जरिये वास्तविक बोझ का आकलन करना शामिल है। भविष्य की रणनीति में लक्षित आईईसी अभियानों तथा जन भागीदारी के जरिये जन चेतना का भी सुझाव दिया गया।
हल्के केस लोड जिलों/नगरों में प्रयासों का फोकस उच्च बोझ क्षेत्रों से प्लवन को रोकने, स्थानीय प्रसार को सीमित करने, मामलों की आरंभिक पहचान, प्रौद्योगिकी की मदद से कांटैक्ट ट्रेसिंग को सुदृढ़ बनाना तथा सामुदायिक भागीदारी पर होगा।
जहां तक कम बोझ वाले जिलों का सवाल है तो प्रयासों का लक्ष्य अन्य क्षेत्रों से आबादी के बीच संक्रमण को रोकने, इंफ्लुएंजा जैसी बीमारी(आईएलआई/सीवियर एक्यूट रेस्परटॉरी इलनेस (एसएआरआई) निगरानी तथा लक्षित टेस्टिंग, सख्त कांटैक्ट ट्रेसिंग जिसमें लक्ष्य स्थानीय प्रशासन द्वारा निर्धारित किए जाएं (> 15-20 कांटैक्ट/मामले) एवं उच्च जोखिम आबादी की पूर्व पहचान है।
डीजीएफटी श्री अमित यादव ने जीओएम को उन विभिन्न मदों जिन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान निर्यात प्रतिबंध/नियंत्रण के तहत रखा गया था एवं उनकी वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी दी। जीओएम ने बंदरगाहों पर अनुपालन किए जाने वाले प्रोटोकाल तथा आने वाले यात्रियों में से गंभीर रोगियों की छंटाई में बेहतरी लाने के लिए प्रणालीगत सुधारों पर विचार किया।
स्वास्थ्य सचिव सुश्री प्रीति सुडान, ओएसडी (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय) श्री राजेश भूषण, सचिव (फार्मा) पी डी वाघेला, सचिव (नागरिक उड्डयन) श्री प्रदीप सिंह खारोला, वाणिज्य सचिव श्री अनुप वधावन, कपड़ा सचिव श्री रवि कपूर, डीजी (आईसीएमआर) डा बलराम भार्गव, डीजीएचएस डा. राजीव गर्ग, डीजी, एएफएमएस लेफ्टिनेंट जनरल अनुप बनर्जी, अपर सचिव (विदेश मंत्रालय) श्री दम्मू रवि, अपर सचिव (कैबिनेट सचिवालय) श्री पंकज अग्रवाल, अपर सचिव (गृह मंत्रालय) श्री अनिल मलिक, अपर सचिव (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय) सुश्री आरती आहुजा, आईटीबीपी, डीजीएफटी, विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय के प्रतिनिधि एवं अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने वर्चुअल मीडिया के जरिये भाग लिया।