नई दिल्ली: इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी तथा विधि व न्याय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद ने आज नई दिल्ली में कहा कि पिछले साढ़े चार वर्षों में प्रशासन के डिजिटलीकरण में हुई उल्लेखनीय प्रगति की बदौलत देश अब एक ऐसे मुकाम पर पहुंच गया है, जहां बाहरी दुनिया भारतीय अनुभवों से बहुत कुछ सीखने की इच्छुक है। इसी तरह भारत की डिजिटल यात्रा अब एक ऐसे चरण में पहुंच गई है, जहां से वापसी संभव नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (एनआईसी) के प्रयासों ने हमें डिजिटल प्रशासन के युग में ला दिया है। 2300 से भी अधिक सेवाएं पहले से ही डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं। श्री प्रसाद डिजिटल पुरस्कार समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गवर्नेंस को बेहतर करने एवं विकास को और ज्यादा समावेशी एवं टिकाऊ बनाने के लिए प्रौद्योगिकियों को इस्तेमाल में लाने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र पर है।
श्री प्रसाद ने कहा कि डिजिटल इंडिया से जुड़ी पहल को सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और गवर्नेंस से परे देखा जाना चाहिए। यह मोदी सरकार की एक पहल है जिसका उद्देश्य आम जनता को सशक्त बनाना है। उन्होंने कहा कि लोगों द्वारा डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग सुनिश्चित करना एनआईसी की जिम्मेदारी है। इसका उद्देश्य शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में नजर आ रही खाई को पाटना और गवर्नेंस में पारदर्शिता लाने के राष्ट्रीय प्रयासों की कामयाबी सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि भारत में डेटा एनालिटिक्स का केन्द्र (हब) बनने की सारी सुविधाएं हैं और इसके साथ ही इस सेक्टर में भारत का वर्चस्व स्थापित करने में एनआईसी की प्रमुख भूमिका है। श्री प्रसाद ने कहा कि साइबर सुरक्षा से जुड़े किफायती समाधानों (सॉल्यूशन) का विकास करने के मुद्दे पर भी तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र को आवश्यक सहयोग देने में सरकार के प्रौद्योगिकी संरक्षक (कस्टोडियन) को कतई हिचकिचाना नहीं चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत के कृषि परिदृश्य को बेहतर करने, सरकारी स्कूलों को प्रौद्योगिकी उपकरणों से लैस करके प्राथमिक शिक्षा का मानकीकरण करने और सस्ती प्रौद्योगिकी वाली स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने में प्रौद्योगिकी का उपयोग सुनिश्चित करने की दिशा में एनआईसी को कार्यरत होना चाहिए।
डिजिटल इंडिया पुरस्कारों ने ई-शासन के लिए एक प्रभावी साधन के रूप में विश्वव्यापी वेब-मंच के इस्तेमाल को बढ़ावा देने में प्रमुख भूमिका निभाई है। साथ ही अनेक विभागों को इससे प्रेरणा मिली है और उन्होंने नवोन्मेष का सफलतापूर्वक अनुकरण किया है, जिसे डिजिटल इंडिया पुरस्कार मंच पर मान्यता मिली है और पुरस्कृत किया गया है।
अपने अस्तित्व में आने के बाद से डिजिटल इंडिया पुरस्कारों ने चार संस्करण देखे है, जिनकी शुरुआत वर्ष 2010 में हुई और हर दो वर्ष बाद 2012, 2014 और 2016 में इन पुरस्कार समारोहों का आयोजन किया गया।
पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न सरकारी विभागों को अनुकरणीय कार्य करने के लिए डिजिटल इंडिया पुरस्कार दिया जा चुका है। प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवीनतम चलन के साथ इन श्रेणियों को जोड़ा गया है। 5वें संस्करण में निम्नलिखित श्रेणियां होंगी : उभरती टेक्नोलॉजी, सर्वश्रेष्ठ मोबाइल एप, अच्छी ऑनलाइन सेवा, ओपन डेटा चैम्पियन, वेब रत्न- मंत्रालय/विभाग, वेब रत्न- राज्य/संघ शासित प्रदेश, वेब रत्न- जिला, एक स्थानीय संस्था द्वारा की गई उल्लेखनीय डिजिटल पहल।
5वें संस्करण में विभिन्न सरकारी संस्थानों का उपरोक्त श्रेणियों में एक उच्च स्तरीय ज्यूरी ने मूल्यांकन किया है, जिसमें वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, शिक्षाविद् और औद्योगिक विशेषज्ञ शामिल थे। इस वर्ष के पुरस्कार में एक नई श्रेणी की शुरूआत की गई है, जिसे ‘उभरती प्रौद्योगिकियों’ के रूप में जाना जायेगा। इस श्रेणी में ऐसी डिजिटल पहल की पहचान की जायेगी और उसे पुरस्कृत किया जायेगा जिसने उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग, नेचुरल लैंगवेज प्रोसेसिंग, वर्चुअल रियल्टी, ब्लॉकचेन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), वॉयस यूजर इंटरफेस, बिग डेटा एंड एनालिटिक्स का अच्छा इस्तेमाल किया है।
डिजिटल इंडिया पुरस्कार प्रदान करने के अलावा, निम्नलिखित को भी जारी किया गया :
·डिजिटल इंडिया कॉफी टेबल बुक
·डिजिटल इंडिया पुरस्कारों का सार-संग्रह
·एसटीक्यूसी सुगम्यता प्रमाणन योजना
·संदेश देने वाला समेकित मंच
·सार्वजनिक डीएनएस सेवा
·साइबर संकट प्रबंधन योजना 2019 (सीसीएमपी) और सीसीएमपी के लिए निर्देश की रूपरेखा
·डिजिटल इंडिया सार-संग्रह
·डिजिधन मित्र चैटबॉट
·प्रौद्योगिकी इन्क्यूबेशन एवं उद्यमी विकास 2.0 योजना
·निम्नलिखित पर उत्कृष्टता केन्द्रः
- आईओटी ओपन लैब, एसटीपीआई बेंगलुरू
- ईएसडीएम इन्क्यूबेशन, एसटीपीआई भुवनेश्वर
- उभरती प्रौद्योगिकियां, नैस्कॉम, गांधीनगर
- उभरती प्रौद्योगिकियां, नैस्कॉम, विशाखापत्तनम
डिजिटल इंडिया कॉफी टेबल बुक- ‘’नये भारत की ओर डिजिटल स्वप्न को हकीकत में बदलना’’ कॉफी टेबल बुक आम आदमी की बेहतरी के लिए देशभर में डिजिटल इंडिया की सफलता के बारे में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से तैयार की गई है।
डिजिटल इंडिया पुरस्कारों का सार-संग्रह- डिजिटल इंडिया पुरस्कारों का सार-संग्रह अनुकरणीय डिजिटल पहलों का एक संकलन है, जिसमें प्लेटिनम, स्वर्ण और रजत पुरस्कारों की आठ श्रेणियों में से प्रत्येक को पुरस्कृत किया जा चुका है। सार-संग्रह में ज्यूरी के चयन और विशेष उल्लेख पुरस्कारों का भी जिक्र है।
एसटीक्यूसी सुगम्यता प्रमाणन योजना- एस3डब्ल्यूएएएस ढांचा सरकारी संस्थानों को यह अधिकार प्रदान करता है कि वे सुरक्षित, मापनीय और सुगम्य वेबसाइट बनाएं, जिन्हें थोड़े से समय में एनआईसी समूह में तैयार किया जाए। एस3डब्ल्यूएएएस की शुरूआत पिछले वर्ष की गई थी, जिसका उद्देश्य थोड़े समय में देश के सभी जिलों को शामिल करना था।
संदेश देने वाला समेकित मंच-
·एमईआईटीवाई सरकारी संदेशों को सुरक्षित और प्रभावी तरीके से पहुंचाने के लिए शासनादेश के तहत अपना संदेश देने वाला समेकित मंच जारी कर रही है।
·इसकी बड़े पैमाने पर मौजूदगी के लिए एनआईसी कार्यान्वयन एजेंसी है। ई-मेल और मैसेजिंग ई-शासन की रीढ़ हैं।
·ई-मेल सेवा का आधार बढ़ा है 2014 में इसके उपयोगकर्ताओं की संख्या 0.45 मिलियन थी जो 2018 में बढ़कर 2 मिलियन हो गई और रोजाना 2 करोड़ से अधिक ई-मेल की आवाजाही होती है।
·एनआईसी का एकीकृत मैसेजिंग मंच केन्द्र और राज्य सरकार के 50 लाख अधिकारियों को ई-मेल सेवा प्रदान करता है, जिसका डोमेन @gov.in/@state.gov.in (for e,g @bih.gov.in) है।
·यह सेवा एमईआईटीवाई द्वारा भारत सरकार के लिए ‘’ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर अपनाने की नीति’’ के अनुसार ओपन सोर्स समाधान के जरिये तैयार की गई है, जो समाधान के बारे में सरकार का रणनीतिक नियंत्रण सुनिश्चित करती है।
·सेवा एक बहुभाषी मंच प्रदान करती है, जिसमें अंग्रेजी और हिन्दी में गो-लाइव के साथ अन्य स्थानीय 11 भाषाओं में शामिल किया गया है।
·यह सेवा सुरक्षा, प्रदर्शन, अतिरेक और एक समृद्ध फीचर सेट के अलावा सेवा जारी रखना सुनिश्चित करती है।
सार्वजनिक डीएनएस सेवा-
·एमईआईटीवाई जल्दी ही भारत के लिए सार्वजनिक डोमेन नेम सर्वर (डीएनएस) लागू करने जा रही है।
·एनआईसी ऐसी व्यवस्था कर रही है जिसकी सभी नागरिकों के समक्ष पेशकश की जायेगी। डीएनएस से तात्पर्य डोमेन नेम सिस्टम से है।
·भारत का सार्वजनिक डीएनएस तेजी से पहुंच, बढ़ी हुई उपलब्धता, सुरक्षित पहुंच सुनिश्चित करेगा, भारत के भीतर डेटा की निजता और डेटा के स्थानीयकरण को बनाये रखेगा और इंटरनेट का लचीलापन सुनिश्चित करने के प्रमुख घटकों में से एक होगा।
साइबर संकट प्रबंधन योजना (सीसीएमपी)-
·साइबर हमलों और साइबर आतंकवाद से निपटने के लिए साइबर संकट प्रबंधन योजना (सीसीएमपी) एक ढांचागत दस्तावेज है, जो साइबर से जुड़ी घटनाओं से निपटता है।
·सीईआरटी-आईएन भारतीय साइबर स्पेस में चल रहे केन्द्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों/राज्यों और महत्वपूर्ण संगठनों के-सीसीएमपी के कार्यान्वयन की अगुवाई कर रहा है। सीसीएमपी – 2019 के साथ सीईआरटी-आईएन ने सीसीएमपी के लिए निर्देश तैयार किये हैं जो सरकार के मंत्रालयों/विभागों/संस्थानों सहित विभिन्न संस्थानों को अपने प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत अपने सीसीएमपी तैयार करने और उन्हें लागू करने के लिए सक्षम बनायेगी।