नई दिल्ली: भारत 03 जून, 2015 को पेरिस, फ्रांस में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, कोस्टा राइसा, इंडोनेशिया और न्यूजीलैंड के साथ वित्तीय लेखा जानकारी के स्वत: आदान-प्रदान पर बहुपक्षीय सक्षम प्राधिकारी समझौता (एससीएए) में शामिल हो गया। भारत की ओर से एमसीएए के प्रावधानों के अनुपालन की घोषणा पर फ्रांस में भारत के राजदूत श्री मोहन कुमार ने हस्ताक्षर किए।
इससे पूर्व बर्लिन में 29 अक्टूबर, 2014 को 51 देश एमसीसी में शामिल हुए और स्वीट्जरलैंड 19 नवंबर, 2014 को एमसीसीए में शामिल होने वाला 52वां देश था। घाना और सेशेल्स 14 मई, 2015 को इसमें शामिल हुए। 03 जून, 2015 को 6 देशों द्वारा एमसीसीए में शामिल होने से एमसीसीए के अनुसार स्वत: जानकारी के आदान-प्रदान पर सहमति जताने वाले देशों की संख्या 60 हो गई है।
जानकारी के स्वत: आदान-प्रदान पर नए वैश्विक मानकों के अनुसार 2017 के बाद स्वत: आधार पर जानकारी के आदान-प्रदान के लिए 94 देश प्रतिबद्ध हैं। जानकारी के स्वत: आदान-प्रदान पर नए वैश्विक मानकों को साझा रिपोर्टिंग मानकों (सीआरएस) के रूप में जाना जाता है। दूसरे देशों को जानकारी उपलब्ध कराने के दृष्टिकोण से भारत में इन मानकों को लागू करने के लिए आयकर अधिनियम 1961 की धारा 285बीए को संशोधित करके वित्त (नं.2) अधिनियम 2014 के द्वारा आवश्यक विधायी परिवर्तन किए गए हैं। आवश्यक नियम और दिशा-निर्देशों को वित्तीय संस्थानों के परामर्श से तैयार किया जा रहा है।
सीआरएस पर आधारित जानकारी के स्वत: आदान-प्रदान (एईओआई) जब पूरी तरह से लागू हो जाएंगे तो भारत अपतटीय वित्तीय कंद्रों सहित लगभग प्रत्येक देश से जानकारी प्राप्त कर सकेगा जो अंतर्राष्ट्रीय कर चोरी रोकने में महत्वपूर्ण होगी। इससे भारतीयों द्वारा विदेशों में बनाई गई परिसंपत्तियों के बारे में जानकारी हासिल करने में सहायता मिलेगी। यह सरकार की कर चोरी रोकने और काले धन की समस्या से निपटने में मदद करेगा।