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स्वास्थ्यवर्धक भोज्य पदार्थ का डेस्टिनेशन कंट्री बन रहा है भारत: श्री तोमर

कृषि संबंधितदेश-विदेश

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि भारत सरकार द्वारा बाजरा सहित अन्य पोषक-अनाज, फल-सब्जियों, मछली, डेयरी व जैविक उत्पादों सहित हमारे पारंपरिक खाद्य पदार्थों को फिर से लोगों के आहार में शामिल करने पर जोर दिया जा रहा है। हाल के वर्षों में इनका उत्पादन भारत में अभूतपूर्व रहा है व भारत स्वास्थ्यवर्धक भोज्य पदार्थ का डेस्टिनेशन कंट्री बन रहा है।

श्री तोमर ने यह बात इतालवी प्रेसीडेंसी द्वारा आयोजित, जी-20 के कृषि मंत्रियों की बैठक के दूसरे दिन के सत्र में कही। इस सत्र का विषय था- “भूख विहीनता के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु सहयोग: कृषि मंत्रालयों द्वारा कार्यान्वित सफल परियोजनाएं”।

बैठक में वर्चुअल संबोधन में श्री तोमर ने बताया कि पोषक-अनाज के महत्व को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने भारत सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया है। उन्होंने राष्ट्रों से पोषण व सतत कृषि को बढ़ावा देने के लिए इस पोषक-अनाज वर्ष का समर्थन करने की अपील की। श्री तोमर ने बताया कि स्वतंत्रता के बाद भारत में कृषि क्षेत्र ने काफी सफलता हासिल की है। कोविड महामारी के दौरान भी भारतीय कृषि क्षेत्र अप्रभावित रहा, जिससे एक बार फिर इसने अपनी प्रासंगिकता सिद्ध की है। उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि कोविड के दौरान कृषि-आदान सप्लाय चैन के साथ-साथ कृषि-बाजार गतिशील रखने के लिए भारत सरकार के विभिन्न कार्यकलापों से कृषि क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन में सहायता मिली है और वर्ष 2020-2021 के दौरान खाद्यान्नों के उत्पादन के साथ निर्यात में भी महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज हुई है। इससे वैश्विक खाद्य सुरक्षा में भी योगदान हुआ है।

श्री तोमर ने कहा कि जैव-किस्में सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर मुख्य आहार का स्रोत हैं, कुपोषण दूर करने के लिए इन्हें बढ़ावा दिया जा रहा है। भारत सरकार इस दिशा में सतत प्रयास कर रही है। विभिन्न फसलों की 17 ऐसी किस्मों को खेती के लिए विकसित और जारी किया गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार ने जल संसाधनों का अनुकूल उपयोग बढ़ाने, सिंचाई के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण, उर्वरकों के संतुलित उपयोग के साथ मिट्टी की उर्वरता संरक्षित करने, खेतों से बाजार तक कनेक्टिविटी प्रदान करने, प्रयोगशाला से लेकर भूमि तक सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का लिंकेज प्रदान करने के लिए अनेक कार्यक्रम शुरू किए हैं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत सरकार छोटे किसानों को प्रति वर्ष 6 हजार रुपये की आय सहायता प्रदान कर रही है। इस स्कीम में अभी तक 11.37 करोड़ से ज्यादा किसानों के बैंक खातों में 1.58 लाख करोड़ रुपये जमा कराए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर अपनी प्रतिबद्धताओं के प्रति भारत पूरी तरह सजग हैं और कृषि को टिकाऊ बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। सिंचाई के लिए ‘प्रति बूंद- अधिक फसल’ योजना और जैविक खेती के लिए ‘परंपरागत कृषि विकास योजना’ सफलतापूर्वक चलाई जा रही है। प्रतिकूल मौसम किसानों के उत्पादन व आय को प्रभावित करता हैं, ऐसे में भारत सरकार ने किसानों के लिए बीमा कवर प्रदान करने हेतु प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना लागू की हुई है। कुपोषण समस्या के समाधान के लिए, भारत दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य-आधारित सुरक्षा नेट कार्यक्रम चला रहा है, जिसमें सार्वजनिक वितरण प्रणाली व मध्याह्न भोजन योजना शामिल है।

श्री तोमर ने कहा कि भारत कृषि के क्षेत्र में अपनी विकास श्रृंखला के साथ, सर्वोत्तम पद्धतियों को साझा और अन्य विकासशील देशों की क्षमताओं का निर्माण करेगा। उन्होंने “गरीबी कम करने” और “जीरो हंगर गोल” को पूरा करने के लिए एक साथ काम करते रहने के भारत के संकल्प को दोहराया और उत्पादकता बढ़ाने के लिए अनुसंधान तथा विकास और सर्वोत्तम पद्धतियों के आदान-प्रदान में सहयोग करने के भारत के संकल्प की पुनःपुष्टि की।

केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने जी-20 मंत्रिस्तरीय बैठक में चार सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। कोविड-19 महामारी को देखते हुए यह बैठक हाइब्रिड मोड में आयोजित की गई। भारतीय प्रतिनिधिमंडल में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव डॉ. अभिलाक्ष लिखी; संयुक्त सचिव सुश्री अलकनंदा दयाल व डॉ. बी. राजेंदर शामिल रहे।

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