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वसुधैव कुटुम्बकम के अपने दर्शन में अंतर्निहित शांति और सद्भाव के मूल्यों के लिए भारत का पूरे विश्‍व में सम्मान है: उपराष्ट्रपति

देश-विदेश

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम के अपने दर्शन में अंतर्निहित शांति और सद्भाव के मूल्यों के लिए भारत का पूरे विश्वं में सम्मान है।

मित्रों और शुभचिंतकों द्वारा आयोजित सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि न्‍यूजीलैंड में निहत्‍थे लोगों की हत्‍या ने इस बात को फिर से रेखांकित किया है कि आतंकवाद को जड़ से समाप्‍त करने के लिए सभी देशों को मिलकर कार्य करना चाहिए। यह एक वैश्विक चुनौती है, जिसके लिए विश्‍व स्‍तर पर प्रक्रिया की जरूरत है। कोई भी देश इन खतरों से अछूता नहीं है। उपराष्‍ट्रपति को कोस्‍टारिका के पीस यूनिवर्सिटी ने डॉक्‍टरेट की मानद उपाधि से सम्‍मानित किया था। यह सम्‍मान कानून के शासन,लोकतंत्र, सतत विकास और शांति के क्षेत्र में उनके अमूल्‍य योगदान के लिए दिया गया है।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत पिछले कई दशकों से हिंसा और सीमा पार के आतंकवाद से जूझ रहा है। उन्‍होंने जैश-ए-मोहम्‍मद के मुखिया अजहर मसूद को विश्‍व आतंकी घोषित करने के संयुक्‍त राष्‍ट्र सुर‍क्षा परिषद के प्रस्‍ताव पर चीन द्वारा रोक लगाये जाने के प्रति अप्रसन्‍नता व्‍यक्‍त की। इसने सुरक्षा परिषद के विस्‍तार की जरूरत को भी रेखांकित किया।

उपराष्ट्रपति श्री नायडू ने कहा कि वे चाहते है कि पूरे देश में विभिन्‍न संगठनों के माध्‍यम से शांति को बढ़ावा देने, लोकतंत्र को मजबूत करने, भ्रष्‍टाचार को समाप्‍त करने, सतत विकास के प्रति जागरूकता फैलाने तथा सामाजिक सद्भाव को प्रोत्‍साहित करने के लिए एक अभियान की शुरूआत हो।

श्री नायडू ने कहा कि औद्योगिकीकरण और आधुनिकीकरण से वायुमंडल में कार्बन डाई-ऑक्‍साइड की मात्रा अत्‍यधिक बढ़ गई है। इसके कारण जलवायु परिवर्तन और ग्‍लोबल वार्मिंग जैसी समस्‍याएं सामने आ रही हैं।

ग्‍लोबल इन्‍वॉयरमेंट आउटलुक का हवाला देते हुए श्री नायडू ने कहा कि 25 प्रतिशत बीमारियों का कारण खराब पर्यावरण स्थितियां हैं। 2015 में 90 लाख लोगों की मौत इन बीमारियों से हुई थी। हमें मिलकर पर्यावरण को सुरक्षित करने, प्रदूषण कम करने, हरियाली बढ़ाने, जल स्रोतों को सुरक्षित रखने आदि का प्रयास करना चाहिए। हमें यह भी ध्‍यान रखना चाहिए कि विकास से  प्राकृतिक संसाधनों को कम से कम नुकसान पहुंचे।

मानद उपाधि के बारे में श्री नायडू ने कहा कि य‍ह सिर्फ एक व्‍यक्ति के लिए नहीं, बल्कि शांति और सद्भाव जैसे प्राचीन भारतीय मूल्‍यों की वैश्विक स्‍वीकृति हैं। ये मूल्‍य हमारे प्राचीन दर्शन – वसुधैव कुटुम्‍बकम् में अंतर्निहित है।

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