नई दिल्ली: केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) के मामले में भारत द्वारा प्राप्त सफलता पर बोलते हुए कहा कि भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी एमएमआर की रिपोर्ट के अनुसार ” भारत की मातृ मृत्यु अनुपात दर (एमएमआर) में एक वर्ष में 9 अंकों की गिरावट आई है। यह अनुपात 2015-17 में 122 से घटकर 2016-18 में 113 हो गया है। उन्होंने कहा कि देश में एमएमआर में 2011 से लेकर 2018 के दौरान लगातार कमी देखी गई। 2011-2013 में जहां यह 167 वहीं 2014-2016 में यह 130 हो गया, 2015-17 में यह घटकर 122 और 2016-18 में 113 रह गया।
सतत विकास लक्ष्यों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता पर बोलते हुए, डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “ एमएमआर में इस निरंतर गिरावट के साथ, भारत 2030 तक 70 / लाख जीवित बच्चों के जन्म के सतत विकास लक्ष्य और 100 / जीवित बच्चों के जन्म की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एनएचपी) लक्ष्य 2020 को हासिल करने की राह पर अग्रसर है। एसडीजी लक्ष्य हासिल करने वाले राज्यों की संख्या अब 3 से बढ़कर 5 हो गई है। इन राज्यों में केरल (43), महाराष्ट्र (46) तमिलनाडु (60), तेलंगाना (63) और आंध्र प्रदेश (65) शामिल है। देश में ग्यारह राज्य हैं जिन्होंने एनएचपी द्वारा निर्धारित एमएमआर के लक्ष्य को प्राप्त किया है जिसमें उपरोक्त 5 और झारखंड (71), गुजरात (75), हरियाणा (91), कर्नाटक (92), पश्चिम बंगाल (98) और उत्तराखंड (99) जैसे राज्य हैं।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि तीन राज्यों (पंजाब) (129), बिहार (149), ओडिशा (150) में एमएमआर 100-150 के बीच है, जबकि 5 राज्यों छत्तीसगढ़ (159), राजस्थान (164), मध्य प्रदेश के लिए (173), उत्तर प्रदेश (197) और असम (215), एमएमआर 150 से ऊपर है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने राजस्थान जिसमें एमएमआर में 22 अंकों की अधिकतम गिरावट देखी गई , उत्तर प्रदेश जिसमें 19 अंकों, ओडिशा जिसमें 18 अंकों, बिहार जिसमें 16 अंकों और मध्य प्रदेश जिसमें 15 अंको की गिरावट दर्ज हुई को बधाई दी। उन्होंने यह भी कहा कि दो राज्यों (तेलंगाना और महाराष्ट्र) ने एमएमआर में 15 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की है जबकि 4 राज्यों अर्थात् ओडिशा, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और गुजरात में 10 से 15 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। कर्नाटक, असम, झारखंड, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे साता राज्यों में एमएमआर में 5 से 10 प्रतिशत की की गिरावट देखी गई है।
डॉ. हर्षवर्धन ने केन्द्र, राज्यों और संघ शासित प्रदेश की सरकारों द्वारा इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संस्थागत प्रसस को बढ़ावा देने के साथ-साथ सेवाओं की गुणवत्ता और उनकी पहुंच पर ध्यान केन्द्रित करने के सरकार के गहन प्रयास और एनएचएम के तहत जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम और जननी सुरक्षा जैसी योजनाएं और प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान और लक्ष्य जैसी नई पहलों का इस सफलता के पीछे बड़ा हाथ है।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने प्रसव बाद और पूर्व की देखभाल के लिए मिडवाइफ की व्यवस्था करने के साथ ही सुमन कार्यक्रम को लागू करने की भी योजना बनाई है ताकि प्रसूताओं और नवजात शिशुओ के लिए मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण सेवाओं की व्यापक पहुंच हो सके। इसमें ऐसी सेवाओं की अनुपलब्धता पूरी तरह से खत्म करने के साथ ही सम्मानजनक मातृत्व देखभाल सुनिश्चित किया जाना शामिल है।