नई दिल्ली: भारत-नामीबिया संयुक्त व्यापार समिति के तीसरे सत्र का आज नई दिल्ली में आयोजन किया गया। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सुश्री निर्मला सीतारमण ने किया। नामीबिया के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व वहां के औद्योगीकरण, व्यापार और एसएमई विकास मंत्रालय के माननीय उप मंत्री श्री पीट वान डेर वॉल्ट ने किया।
बैठक के दौरान दोनों देशों में घनिष्ठ और सौहार्दपूर्ण संबंधों के बारे में प्रकाश डाला गया। यह भी उल्लेख किया गया कि भारत के राष्ट्रपति की जून, 2016 में हुई नामीबिया की यात्रा के दौरान भारत और नामीबिया दोनों ही पक्ष संयुक्त व्यापार समिति की अगली बैठक जल्द से जल्द बुलाने पर सहमत हुए थे। नामीबिया के माननीय उप मंत्री ने कहा कि जेटीसी दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक विकास के लिए एक आदर्श कार्य ढांचा है। उन्होंने व्यापार संबंधों को और मजबूत करने की इच्छा व्यक्त की।
द्विपक्षीय व्यापार मुद्दों के बारे में यह जानकारी साझा की गई कि 2015 के दौरान भारत ऐसा सातवां सबसे बड़ा देश था जिसे नामीबिया ने अपना आयात स्रोत बनाया था। जेटीसी ने यह पाया कि भारत-दक्षिण अफ्रीका सीमा शुल्क संघ (एसएसीयू) अधिमान्य व्यापार समझौता (पीटीए) की वार्ताओं के अभी तक पांच दौर हुए हैं। वार्ता का पांचवां दौर अक्टूबर, 2010 में दिल्ली में आयोजित किया गया था। पीटीए के निष्कर्ष बढ़ते व्यापार प्रवाह के लिए अवसरों का सृजन करेंगे।
भारतीय पक्ष ने नामीबिया के पक्ष को अवगत कराया कि भारत नामीबिया की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए चमड़ा, रत्न और आभूषण, खाद्य प्रसंस्करण उत्पादों और विद्युत और यांत्रिक उपकरणों जैसे इंजीनियरिंग सामानों के लिए नामीबिया के साथ सहयोग कर सकता है जबकि भारत को नामीबिया से धातु और खनिज की जरूरत है।
नामीबिया पक्ष ने इपानगेलो माइनिंग एंड एक्सप्लोरेशन कंपनी के साथ खनन और खनिज अन्वेषण के क्षेत्र में संयुक्त उपक्रम लगाने को प्रोत्साहित किया। कीमती और अर्द्ध कीमती रत्नों और पत्थरं के व्यापार के बारे में भी विचार-विमर्श किया गया। नामीबिया ने स्थानीय मूल्य संवर्धन को प्रोत्साहित करने और नामीबिया में रोजगार के अवसर जुटाने के लिए रत्न और आभूषण के क्षेत्रों में प्रशिक्षण के माध्यम से कौशल के विकास में दिलचस्पी दिखाई। नामीबिया ने इसके लिए 100 मिलियन डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट के उपयोग करने की इच्छा व्यक्त की। बैठक में जल प्रबंधन से सबंधित बुनियादी ढांचे के बारे में भी चर्चा की गई। भारत नामीबिया के साथ अपने अनुभव साझा करने की पेशकश की और नामीबिया पक्ष को इस क्षेत्र में अपना पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया ।
पनबिजली परियोजनाओं और सौर परियोजनाओं तथा जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्रों में सहयोग करना दोनों देशों के मध्य एजेंडे के महत्वपूर्ण मद थे। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के विकास में सहयोग को वार्ता में एक मुख्य स्थान दिया गया। भारतीय पक्ष ने आपसी सहमति के नियम और शर्तों पर नामीबिया में एक व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र एवं इंगक्यूबैशन केंद्र स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय उद्योग निगम लिमिटेड की इच्छा के बारे में जानकारी दी। पर्यटन के क्षेत्र में सहयोग पर भी चर्चा हुई। यह निर्णय लिया गया कि एक समझौता किया जाएगा जिसमें संयुक्त प्रशिक्षण, पर्यटन स्थलों के विकास, लोगों को परस्पर बातचीत आदि को बढ़ावा देने के कार्य को शामिल किया जाएगा।
नामीबिया की ओर से भारत द्वारा बाजरा के उत्पादन की गतिविधियों के विस्तार के मुद्दे पर प्रकाश डाला गया था। नामीबिया ने अपने देश में उर्वरक विनिर्माण और वैक्सीन उत्पादन के लिए हैन्ड्होल्डिंग और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की जरुरत बताई। इसके अलावा अंगूर और खजूर के लिए बाजार के प्रावधान पर भी चर्चा हुई। यह चर्चा बड़े सौहार्दपूर्ण वातावरण में संपन्न हुई जो दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को दर्शाती है। यह बैठक परस्पर सहमति वाले दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के साथ संपन्न हुई।