देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. इसमें रेमडेसिविर इंजेक्शन के निर्यात पर रोक लगा दी गई है. ऐसा कोविड-19 के मामलों में वृद्धि के कारण रेमडेसिविर की मांग बढ़ने के मद्देनजर किया गया है. केन्द्र ने रविवार को कहा कि वायरल रोधी इंजेक्शन और इसकी सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) के निर्यात पर स्थिति में सुधार होने तक रोक लगा दी गई है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इसके अलावा दवा की आसानी से उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए रेमडेसिविर के सभी घरेलू निर्माताओं को अपने विक्रेताओं और वितरकों की जानकारी अपनी वेबसाइट पर प्रदर्शित करने की सलाह दी गई है.
रेमडेसिविर की जमाखोरी और कालाबाजारी पर रोक के निर्देश
औषधि निरीक्षकों और अन्य अधिकारियों को भंडार को सत्यापित करने, कदाचारों की जांच करने और इसकी जमाखोरी और कालाबाजारी को रोकने के लिए अन्य प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं. राज्यों के स्वास्थ्य सचिव संबंधित राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के औषधि निरीक्षकों के साथ इसकी समीक्षा करेंगे.
मंत्रालय ने कहा, ‘भारत में कोविड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. देश में 11 अप्रैल तक एक्टिव केसों की संख्या 11.08 लाख है और यह संख्या तेजी से बढ़ रही है. इससे कोविड मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग तेजी से बढ़ी है. ‘ कहा गया है कि आने वाले दिनों में रेमडेसिविर इंजेक्शन मांग में और बढ़ोतरी हो सकती है.
मंत्रालय ने कहा कि सात भारतीय कंपनियां मेसर्स गिलीड साइंसेज, अमेरिका, के साथ स्वैच्छिक लाइसेंसिंग समझौते के तहत इंजेक्शन का उत्पादन कर रही हैं. उनके पास प्रति माह लगभग 38.80 लाख इकाइयों को बनाने की क्षमता है. कहा गया कि, ‘भारत सरकार ने स्थिति में सुधार होने तक रेमडेसिविर और इसकी सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) के निर्यात पर स्थिति में सुधार होने तक रोक लगा दी गई है.’ मंत्रालय ने कहा कि फार्मास्युटिकल विभाग दवा के उत्पादन को बढ़ाने के लिए घरेलू निर्माताओं के साथ संपर्क में है. (रिपोर्ट – भाषा)