नई दिल्ली: भारत सरकार ने 24 दिसंबर 2018 को चाबहार त्रिपक्षीय समझौता बैठक के दौरान ईरान में शाहिद बेहिश्ती बन्दरगाह, चाबहार के एक भाग के प्रचालन का दायित्व ग्रहण कर लिया। चाबहार स्थित भारतीय एसपीवी – इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल चाबहार फ्री जोन (आईपीजीसीएफजेड) के कार्यालय का भारत, ईरान और अफगानिस्तान के शिष्टमंडलों के प्रमुखों ने संयुक्त रूप से उद्घाटन किया। टर्मिनल एरिया, कार्गो हैंडलिंग इक्विप्मेंट और कार्यालय की इमारत को वास्तविक रूप से नियंत्रण में लेने का कार्य 29 दिसंबर 2018 तक पूरा हो जाएगा।
आईपीजीसीएफजेड में वाण्जियिक प्रचारलन एक पोत के आगमन के साथ ही आरंभ हो गया। साइप्रस में पंजीकृत यह पोत 72458 एमटी मक्का के नौभार के साथ चाबहार पहुंचा। पोत एमवी मेचेराज ने 30 दिसंबर 2018 को 0130 बजे टर्मिनल पर लंगर डाला। आईपीजीसीएफजेड ने नुमैटिक अन-लोडर्स का इस्तेमाल करते हुए आयतित नौभार (एक्स ब्राजील) को डिस्चार्ज कर अपने प्रथम कार्गो प्रचालन को कार्यान्वित किया।
इसके साथ ही एक लंबी यात्रा की शुरूआत हो गई। चाबहार के साथ संबंध जोड़कर भारत ने इतिहास रच दिया और अब वह चारों तरफ से जमीन से घिरे अफगानिस्तान की सहायता के लिए क्षेत्रीय सहयोग और साझा प्रयासों की अगुवाई कर रहा है। भारत द्वारा अपने भू-भाग से बाहर किसी बंदरगाह के प्रचालन का यह पहला मौका है।
भारत ने चाबहार बन्दरगाह के बारे में ईरान के साथ 2003 के आसपास बातचीत शुरू की थी, लेकिन इसे महत्वपूर्ण बल 2014 की आखिरी छिमाही में मिला, जिसके परिणामस्वरूप चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए मई 2015 में दोनों देशों के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर हुए। इस एमओयू को चाबहार बंदरगाह को उपकरणों से लैस करने और उसका प्रचालन करने के लिए 10 साल के औपचारिक समझौते में परिवर्तित किया गया, जिसे 23 मई 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ईरान यात्रा के दौरान निष्पादित किया गया। उक्त समझौते को कार्यशील बनाने की राह में चुनौतियां थीं, इसलिए ईरान के राष्ट्रपति डॉ. हसन रुहानी की फरवरी 2018 की भारत यात्रा के दौरान एक अंतरिम अवधि के समझौते की आधारशिला रखी गई। इसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों के बीच 6 मई 2018 को औपचारिक अल्पावधि समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल करने के लिए मार्ग दर्शन और निरंतर सहायता हेतु किए गए भारत सरकार के प्रयासों को ईरान के पीएमओ तथा भारत में ईरानी दूतावास, ईरान में भारत के दूतावास, विदेश मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और नीति आयोग के द्वारा पूरी तरह प्रतिफलित किया गया।